India News (इंडिया न्यूज), Holika Dahan Pooja: होलिका दहन भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि ज्योतिषीय महत्व के कारण भी महत्वपूर्ण है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और इस दिन की गई पूजा से जीवन की कई परेशानियां दूर होती हैं।
होलिका दहन की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। इस दिन भगवान विष्णु ने भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए होलिका का अंत किया था। यह त्योहार हमें सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
Holika Dahan Pooja: क्यों इकलौती संतान के माता-पिता को नहीं देनी चाहिए होलिका को अग्नि
होलिका दहन के समय पूजा-अर्चना करने से नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है और घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है। इस दिन भगवान नरसिंह, होलिका, और भक्त प्रह्लाद की पूजा करने से जीवन में आ रही बाधाएं दूर हो जाती हैं।
सबसे पहले इस स्थान पर हुआ था होलिका दहन…प्रहलाद से भी पहले सतयुग की इस जगह से है गहरा संबंध
ज्योतिष के अनुसार, होलिका दहन का समय बेहद शुभ होता है। इस दिन की गई पूजा और अनुष्ठान से ग्रह-नक्षत्रों के अशुभ प्रभाव को समाप्त किया जा सकता है। यह पर्व विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में शत्रुओं, नकारात्मक ऊर्जाओं, या किसी भी प्रकार की मानसिक और शारीरिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुछ विशेष लोग होलिका दहन में शामिल नहीं हो सकते। इनमें शामिल हैं:
होलिका दहन नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने और सकारात्मकता लाने का प्रतीक है। यह पर्यावरण को शुद्ध करता है और परिवार में खुशियां लाने में सहायक है। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और सभी बाधाएं दूर होती हैं।
होलिका दहन एक ऐसा पर्व है जो हमें जीवन में सत्य, धर्म, और सकारात्मकता के महत्व को समझाता है। हालांकि, कुछ धार्मिक नियमों और परंपराओं का पालन करना आवश्यक है ताकि इस त्योहार का पूरा लाभ प्राप्त हो सके। इकलौती संतान के माता-पिता, गर्भवती महिलाएं, और अन्य बताए गए लोगों को इन नियमों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.