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India News(इंडिया न्यूज), Circumambulation Of God: हिंदू धर्म में परिक्रमा करने की परंपरा सदियों पुरानी है और इसे धार्मिक कर्मकांडों का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। परिक्रमा का अर्थ है किसी मंदिर, देवता, नदी या पवित्र पेड़ की परिधि में घूमना, जिसे एक विशेष धार्मिक क्रिया माना जाता है। इसे श्रद्धा, भक्ति और आत्मसमर्पण का प्रतीक माना जाता है। परिक्रमा करते समय, भक्त भगवान की कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, विभिन्न देवताओं और पवित्र स्थलों की परिक्रमा की संख्या अलग-अलग बताई गई है, और इसे सही तरीके से करना अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
शिवलिंग की परिक्रमा करते समय ध्यान रखना चाहिए कि पूरी परिक्रमा नहीं की जाती। केवल आधी परिक्रमा ही की जाती है। इसका कारण यह है कि शिवलिंग का निचला हिस्सा “योनिपीठ” कहलाता है, जिसे पार करना अशुभ माना जाता है। इसलिए, भक्त शिवलिंग के चारों ओर आधी परिक्रमा करके उसे प्रणाम करते हैं।
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भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनकर्ता माना जाता है। उनकी परिक्रमा पांच बार की जाती है। यह संख्या उनकी पांच प्रमुख शक्तियों और पांचों तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, और आकाश) का प्रतीक मानी जाती है।
भगवान हनुमान, जिन्हें बल, भक्ति और सेवा का प्रतीक माना जाता है, उनकी परिक्रमा तीन बार की जाती है। तीन परिक्रमा उनकी त्रिपुष्टियों (बल, भक्ति, और ज्ञान) का प्रतीक मानी जाती है।
किसी भी देवी की एक परिक्रमा की जाती है। देवी को शक्ति का प्रतीक माना जाता है, और एक परिक्रमा से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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सूर्यदेव, जो प्रकाश और जीवन के स्रोत हैं, उनकी सात बार परिक्रमा की जाती है। सात परिक्रमा उनके सात रूपों और सप्ताह के सात दिनों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
गणपति, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है, उनकी तीन बार परिक्रमा की जाती है। तीन परिक्रमा उनके त्रिगुण (सत्त्व, रजस, और तमस) का प्रतीक मानी जाती है।
पीपल वृक्ष को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। इसकी 108 बार परिक्रमा की जाती है। 108 अंक हिंदू धर्म में बहुत शुभ माना जाता है, और इसे पूर्णता का प्रतीक माना जाता है।
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श्री राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की एक साथ पूजा श्री राम दरबार के रूप में की जाती है। उनकी चार बार परिक्रमा की जाती है, जो चारों युगों (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, और कलियुग) का प्रतीक मानी जाती है।
भगवान कृष्ण और राधा की दिव्य प्रेम कथा को सम्मानित करने के लिए, उनकी चार बार परिक्रमा की जाती है। यह चार परिक्रमा प्रेम, समर्पण, सेवा, और भक्ति का प्रतीक मानी जाती है।
शनिदेव, जिन्हें न्याय के देवता माना जाता है, उनकी सात बार परिक्रमा की जाती है। सात परिक्रमा उनके सात ग्रहों पर नियंत्रण और सप्ताह के सात दिनों पर उनकी उपस्थिति का प्रतीक है।
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
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