Hindi News / Dharam / In Mahabharat Katha Why Did Draupadi Cook Food Only In Copper Utensils

एक धनवान राजा की बेटी होकर भी सिर्फ तांबे के ही बर्तन में खाना क्यों पकाती थी द्रौपदी?

Draupadi Ki Vanvas Kahani: द्रौपदी ने दुर्वासा ऋषि और उनके शिष्यों को सम्मानपूर्वक भोजन कराया। पांडवों के अतिथि-सत्कार से प्रसन्न होकर दुर्वासा ऋषि बिना कोई श्राप दिए, आशीर्वाद देकर चले गए।

BY: Prachi Jain • UPDATED :
Advertisement · Scroll to continue
Advertisement · Scroll to continue

India News (इंडिया न्यूज़), Draupadi Ki Vanvas Kahani: द्रौपदी और पांडवों का वनवास, जो कि दुर्योधन की दुष्टता और शकुनि की कुटिल चालों का परिणाम था, उनके जीवन का सबसे कठिन समय था। महलों के ऐश्वर्य से दूर, जंगलों में रहना पांडवों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। इस कठिन समय में भी, द्रौपदी ने अपने साहस और धैर्य का अद्वितीय परिचय दिया। लेकिन भगवान की कृपा से, इस कठिन वनवास में भी उन्हें कुछ अद्भुत वरदान प्राप्त हुए, जिनमें से एक था सूर्यदेव का दिया हुआ तांबे का बर्तन, जिसे “अक्षय पात्र” के नाम से जाना जाता है।

द्रौपदी के लिए बेहद खास बना तांबे का बर्तन

द्रौपदी के लिए यह तांबे का बर्तन महज एक बर्तन नहीं, बल्कि वरदान था। वनवास के दौरान, सूर्यदेव ने द्रौपदी को यह अक्षय पात्र प्रदान किया और कहा कि जब तक पांडवों का वनवास चलेगा, इस पात्र में वह भोजन पकाएंगी, तो उसमें भोजन कभी कम नहीं पड़ेगा। यह अक्षय पात्र पांडवों के लिए आशा की किरण बन गया, क्योंकि इसके कारण उन्हें कभी भोजन की कमी का सामना नहीं करना पड़ा।

शनिवार को हनुमान जी देंगे वरदान! बस कर लें ये उपाय शनि की साढ़ेसाती होगी रफूचक्कर, ढैय्या का असर होगा छू-मंतर!

अपने पांच पतियों में से इस एक के प्राण लेने पर उतारू हो बैठी थी द्रौपदी, जानें क्या थी वजह?

दुर्योधन ने रचा ऐसा षड्यंत्र

एक दिन, जब पांडव अपने दिन भर के परिश्रम के बाद भोजन कर चुके थे और रात्रि विश्राम की तैयारी कर रहे थे, तब दुर्योधन ने अपनी दुष्टता की एक और चाल चली। उसने दुर्वासा ऋषि को, जो अपने क्रोध के लिए प्रसिद्ध थे, पांडवों के आश्रम में भेज दिया। दुर्योधन को विश्वास था कि पांडवों के पास अब भोजन नहीं होगा, और जब दुर्वासा ऋषि को सम्मानपूर्वक भोजन नहीं मिल पाएगा, तो वह क्रोधित होकर उन्हें श्राप देंगे।

दुर्योधन की यह योजना पांडवों के लिए एक बड़ी विपत्ति का कारण बन सकती थी। जब दुर्वासा ऋषि अपने शिष्यों के साथ पांडवों के आश्रम में पहुंचे, तो द्रौपदी चिंतित हो उठीं, क्योंकि सभी भोजन समाप्त हो चुका था। लेकिन तभी उन्हें सूर्यदेव के वरदान का स्मरण हुआ। उन्होंने अक्षय पात्र का प्रयोग करते हुए भोजन बनाया, और जैसे ही उन्होंने पात्र को देखा, उसमें फिर से पर्याप्त भोजन तैयार हो गया था।

कौन थी महाभारत की ये शक्तिशाली स्त्री, जिसका बल देख भीम के भी उड़ गए थे होश?

जब द्रौपदी ने बनाया ऐसा भोजन

द्रौपदी ने दुर्वासा ऋषि और उनके शिष्यों को सम्मानपूर्वक भोजन कराया। पांडवों के अतिथि-सत्कार से प्रसन्न होकर दुर्वासा ऋषि बिना कोई श्राप दिए, आशीर्वाद देकर चले गए।

इस प्रकार, सूर्यदेव द्वारा दिए गए अक्षय पात्र ने न केवल पांडवों को भूख से बचाया, बल्कि उनके जीवन को संकट से भी उबारा। यह कहानी इस बात का प्रतीक है कि जब सच्चे और धर्म के मार्ग पर चलने वाले लोग कठिनाइयों का सामना करते हैं, तो भगवान उनकी सहायता के लिए अवश्य आते हैं। द्रौपदी का यह अक्षय पात्र उनकी भक्ति, साहस, और धर्म के प्रति उनकी निष्ठा का प्रमाण था, जो वनवास के समय में पांडवों के लिए सबसे बड़ी सहायता सिद्ध हुआ।

कौन थे श्रीकृष्ण के वो सार्थी जो प्रभु के संग रहते थे किसी साये की तरह, महाभारत के आधार पर रखा गया था नाम?

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Tags:

Arjun In MahabharatDraupadi in Mahabharatindianewslatest india newsMahabharat Gathamahabharat kathaPandavastoday india newsइंडिया न्यूज
Advertisement · Scroll to continue

लेटेस्ट खबरें

Advertisement · Scroll to continue