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वैदिक विज्ञान का जीता-जागता प्रमाण है कोविदार वृक्ष! इस ऋषि ने ‘हाइब्रिड तकनीक’ से किया था उत्पन्न, इन 2 पौधों का है मेल!

Ayodhya Ram Mandir Kovidara Flag: अयोध्या आज विवाह पंचमी (Vivah Panchami) के दिन भक्ति, आस्था, उत्साह और गर्व का एक अनोखा संगम देखेगी. हजारों साल पुरानी सनातन संस्कृति का प्रतीक माने जाने वाला ‘कोविदार ध्वज’ भव्य रामलला मंदिर के शिखर पर फहराया जाएगा. प्रधानमंत्री मोदी के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पर एक बटन दबाने के साथ ही यह झंडा पूरे देश और दुनिया में अयोध्या की शानदार आवाज गूंज उठेगा.

वाल्मीकि रामायण में ध्वज के पुराने ज़िक्र मिलते हैं

कोविदार झंडे का ज़िक्र वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड में मिलता है. चित्रकूट में अपने वनवास के दौरान भगवान राम ने लक्ष्मण से कहा कि उन्हें सेना से लैस रथ और घोड़े दिखाई दे रहे है और लक्ष्मण ने जवाब दिया कि “स एष हि महाकायः कोविदार ध्वजो रथे.” (Kovidar Flag) यह कोट साफ दिखाता है कि कोविदार पेड़ वाला झंडा अयोध्या की पहचान, ताकत, व्यवस्था और गरिमा का प्रतीक था. समय के साथ यह धरोहर लोगों की यादों से भुला दी गई, लेकिन रीवा के इतिहासकार ललित मिश्रा ने बहुत रिसर्च के बाद इसे फिर से खोजा है.

‘कोविदार ध्वज’ इतना खास क्यों है?

ध्वज पर कोविदार वृक्ष के निशान के साथ-साथ सूरज और ओम के निशान भी है. सूरज का निशान राम के सूर्यवंशी रघुकुल को दिखाता है. जबकि कोविदार पेड़ (Kovidara Tree) को रघुवंशी तप, त्याग और रघुवंशी कुल की शान का प्रतीक माना जाता है. मंदिर ट्रस्ट के मुताबिक यह ध्वज सिर्फ एक कपड़ा नहीं, बल्कि हमेशा गर्व करने की निशानी है, जो राम भक्तों का आत्मविश्वास बढ़ाएगा.

यह अनोखा और बड़ा ध्वज कैसे बना?

यह कोविदार ध्वज अहमदाबाद की एक पैराशूट बनाने वाली कंपनी ने बनाया है. इसे नायलॉन और सिल्क के साथ मिलाकर एक मजबूत कपड़े से बनाया गया है ताकि यह तेज हवाओं और मौसम की चुनौतियों का सामना कर सकेगा. यह तीन किलोमीटर (3KM) की दूरी से साफ दिखाई देगा. आर्मी अफसर और डिफेंस एक्सपर्ट्स की मौजूदगी में इसकी कड़ी टेस्टिंग की गई है.

मंदिर परिसर में लगाए गए कोविडार के वृक्ष

प्राण प्रतिष्ठा के समय राम मंदिर परिसर में कोडिवार के वृक्ष (Kovidara Tree) लगाए गए थे, और अब वे 8 से 10 फीट ऊंचे हो गए है. आम तौर पर माना जाता था कि ‘कचनार’ रघुकुल का पेड़ है, लेकिन रिसर्च से पता चला कि असली निशान ‘कोविदार’ है. अब यह पेड़ मंदिर परिसर में भक्तों का ध्यान खींचेगा.

कोविदार को पहला हाइब्रिड पौधा माना जाता

हरिवंश पुराण के अनुसार महर्षि कश्यप ने पारिजात और मंदार पौधों के गुणों को मिलाकर ‘कोविदार’ (Kovidara Tree) बनाया था. इसलिए इसे दुनिया का पहला हाइब्रिड पौधा माना जाता है. यह 15 से 25 मीटर ऊंचा वृक्ष बैंगनी रंग के फूल और पौष्टिक फल देता है. जो कचनार जैसे होते है. राम मंदिर बनने के बाद पेड़ और झंडे को फिर से राष्ट्रीय और आध्यात्मिक महत्व मिल रहा है, जिसे एक नए युग की शुरुआत के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है.

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. India News इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.

Chhaya Sharma

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