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मात्र एक घांस के तिनके से क्यों कांपता था लंकानरेश? माता सीता को छू तक नहीं पाया था रावण!

मात्र एक घांस के तिनके से क्यों कांपता था लंकानरेश? माता सीता को छू तक नहीं पाया था रावण, Why did the king of Lanka tremble with just a straw of grass? Ravana could not even touch Mother Sita-IndiaNews

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Ravana Maa Sita: रावण, लंकानरेश और महान विद्वान, को अपनी शक्ति और ज्ञान पर गर्व था। लेकिन जब बात माता सीता के अपहरण की आई, तो उसकी यह शक्ति और अहंकार उसकी हार का कारण बनी। रावण ने माता सीता को हर संभव तरीके से प्राप्त करने का प्रयास किया, लेकिन वह उन्हें छू तक नहीं पाया। इसके पीछे कई गहरे कारण हैं, जो उसकी अंतर्दृष्टि और स्थिति को दर्शाते हैं।

माता सीता की भक्ति

माता सीता का पतिव्रता धर्म और श्रीराम के प्रति उनकी निष्ठा ने रावण के लिए एक बड़ी चुनौती पेश की। रावण ने जब सीता का अपहरण किया, तब उसने उनकी आत्मा की शक्ति को कमतर आँका। सीता, जो भगवान राम की आराधना करती थीं, ने रावण की हर कोशिश को विफल कर दिया। यह उनकी भक्ति का बल था जो रावण के अहंकार को कुचलने के लिए काफी था।

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रावण का अहंकार

रावण का गर्व उसे इस बात से अनजान कर गया कि उसके कर्म और इच्छाएँ उसे संकट में डाल सकती हैं। उसे अपने बल और विद्या पर इतना भरोसा था कि उसने सीता को आसानी से हासिल करने की सोची। लेकिन उसकी माया और जादू के आगे, सीता की निष्ठा और राम का प्रेम बहुत बड़ा प्रभाव डालने वाले तत्व थे। इसीलिए, वह मात्र एक घास के तिनके से भी कांप रहा था। यह तिनका उसकी शक्ति और अहंकार को तोड़ने वाला प्रतीक था।

शाप और पूर्वजन्म के कर्म

रावण का कांपना केवल सीता के प्रति उसकी असफलता का परिणाम नहीं था, बल्कि यह उसके पूर्वजन्म के कर्मों का फल भी था। कहा जाता है कि रावण के पूर्वजन्म में किए गए अधर्म के कर्म उसे अब भोगने थे। यह उसके भाग्य का हिस्सा था, और यह दर्शाता है कि किसी भी व्यक्ति की असली शक्ति उसके कर्मों से निर्धारित होती है।

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निष्कर्ष

इस प्रकार, रावण का कांपना एक घास के तिनके से केवल एक शारीरिक प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि यह उसकी अंदरूनी कमजोरी और अंतर्द्वंद्व को दर्शाता था। माता सीता की भक्ति, रावण का अहंकार, और पूर्वजन्म के कर्मों का फल, सभी मिलकर उसकी असफलता का कारण बने। अंततः, यह कहानी यह सिखाती है कि भक्ति और सच्चाई की शक्ति हमेशा दुष्कर्मों पर विजय प्राप्त करती है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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