India News (इंडिया न्यूज़), Mahabharat Facts: महाभारत की लड़ाई की अनेकों कहानियाँ आप सभी ने सुनी होंगी। कथाओं की मानें तो अगर गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा गुरु दक्षिणा में नहीं मांगी होता तो एकलव्य उस युग का सबसे बड़ा धनुर्धर होता। महाभारत के युद्ध में कर्ण और अर्जुन एक दूसरे को भारी टक्कर देते थे और दोनों ही अपनी युद्ध शैलियों में निपुण थे। लकिन एक ऐसे योद्धा की कहानी शायद आप में से शायद ही किसी ने सुनी होगी जो आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे। कहा जाता है की अगर प्रभु श्री कृष्णा महाभारत के युद्ध में अर्जुन का साथ नहीं देते होते तो ये योद्धा अर्जुन को मार देता।
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महाकाव्य महाभारत के अनुसार कौरवों की तरफ से युद्ध कर रहे सुशर्मा, त्रिगर्ता देश का राजा और गुरु द्रोणाचार्य का मित्र था। पांडवों से बैर होने के कारण उसने युद्ध में कौरव सेना के तरफ से युद्ध करने का फैसला किया था। कुरुक्षेत्र के युद्ध में उसने अर्जुन का कट्टर प्रतिद्धंदि था। युद्ध के तेरहवें दिन गुरु द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर को बंदी बनाने के लिए चक्रव्यू की रचना की थी।
इस चक्रव्यू को अर्जुन के आलावा पांडव दल में किसी और को भेदना नहीं आता था। ऐसे में अर्जुन को चक्रव्यू से दूर रखना बेहद आवश्यक था। इस कार्य को सुशर्मा ने अपने सिर लिया और तत्काल ही अपने भाइयों को साथ लेकर वह चक्रव्यू से दूर रखने के लिए अर्जुन से युद्ध करने चला गया था ताकि पांडवों को बंदी बनाया जा सके।
यह बात जानते हुए की अर्जुन के सामने वह शायद टिक नहीं पायेगा और मारा भी जा सकता है , इसके बावज़ूद उसने इस कार्य को कुशलता पूर्वक किया था। परन्तु इसके उपरान्त वह उसी दिन अपने भाइयों समेत युद्ध भूमि में ही अर्जुन के हाथों मारा गया था।
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