Makar Sankranti 2023: देश में मकर संक्रांति का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है और साथ ही भगवान सूर्य की उपासना का विधान है। इस पर्व के साथ कई धार्मिक मान्यताएं और सांस्कृतिक परंपराएं जुड़ी हुई हैं। देश के अलग-अलग हिस्से में इस त्योहार को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन उत्तर प्रदेश और बिहार में खिचड़ी खाने का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति पर तिल के लड्डू, खिचड़ी और दही-चूड़ा को लोग बड़े ही चाव के साथ खाते हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि खिचड़ी और दही-चूड़ा क्यों खाते हैं। आइए आज इसका महत्व जानते हैं।
मकर संक्रांति पर दही चूड़ा के साथ खिचड़ी और तिलकुट विशेष रूप से खाए जाते हैं। इन चीजों को मकर संक्रांति पर खाना बहुत ही शुभ माना गया है। इन दिनों धान की कटाई होती है। जिससे नए चावल निकलते हैं। मान्यतानुसार, नए चावल की खिचड़ी बनाई जाती है। जिसके सबसे पहले सूर्यदेव को भोग लगाया जाता है। ऐसा करने से सूर्यदेव आशीर्वाद देते हैं।
इसके साथ ही उत्तर प्रदेश और बिहार में सूर्यदेव को दही चूड़ा का भी भोग लगाया जाता है। ऐसा करने से रिश्तों में मजबूती आती है। खिचड़ी और दही-चूड़ा रिश्तेदारों और दोस्तों को दिया जाता है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी और दही-चूड़ा खाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इस दिन दान पुण्य का भी काफी महत्व होता है। खिचड़ी और दही चूड़ा का दान देना शुभ माना जाता है।
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