होम / श्री कृष्ण और अर्जुन से भी अति सुंदर था महाभारत का ये योद्धा, ऋषि दुर्वासा के वरदान से हुआ था जन्म!

श्री कृष्ण और अर्जुन से भी अति सुंदर था महाभारत का ये योद्धा, ऋषि दुर्वासा के वरदान से हुआ था जन्म!

Prachi Jain • LAST UPDATED : August 24, 2024, 6:00 pm IST

India News (इंडिया न्यूज), Nakul In Mahabharat: महाभारत के महाकाव्य में ऐसे कई किरदार हैं जो अपने विशेष गुणों और क्षमताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। लेकिन उन सब में एक नाम ऐसा है जिसे सौंदर्य के लिए कामदेव के समकक्ष माना जाता है। यह किरदार है—नकुल।

नकुल: सौंदर्य का अनुपम उदाहरण

नकुल पांडवों के चौथे भाई थे और उनकी सुंदरता का कोई मुकाबला नहीं था। उनके सौंदर्य की तुलना कामदेव से की जाती थी, जो प्रेम और सौंदर्य के देवता के रूप में जाने जाते हैं। नकुल का यह अद्भुत सौंदर्य महाभारत की कथा में एक विशेष स्थान रखता है और उनके रूप की प्रशंसा न केवल उनके समकालीनों ने की बल्कि पीढ़ी दर पीढ़ी उनकी सुंदरता की चर्चा होती रही।

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जन्म और परिवार

नकुल का जन्म ऋषि दुर्वासा के वरदान से हुआ था। पांडवों के पिता पांडु की दूसरी पत्नी माद्री के पुत्र होने के नाते नकुल का जन्म भी एक दिव्य वरदान के तहत हुआ था। माद्री के नयन-नख्श और उनकी विशेषताओं को मान्यता दी जाती थी, और यही गुण नकुल को विरासत में मिले।

सौंदर्य 

नकुल के सौंदर्य को लेकर कई कहानियाँ प्रचलित हैं। उन्हें अपनी मां माद्री के सौंदर्य के साथ-साथ मद्र परंपरा की सुंदरता भी प्राप्त थी। उस समय मद्र परंपरा की युवतियों को सुंदरता की प्रतीक माना जाता था और इस परंपरा के अनुसार नकुल भी अपनी सौंदर्यता में अद्वितीय थे।

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उनकी सुंदरता के बारे में कहा जाता है कि वे श्री कृष्ण से भी अधिक आकर्षक थे। यह विशेषता उन्हें न केवल भव्य और मनमोहक बनाती थी, बल्कि उन्हें एक विशेष सम्मान भी प्राप्त था। उनके रूप और सौंदर्य की चर्चा युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन और द्रुपद सहित सभी प्रमुख पात्रों द्वारा की जाती थी।

नकुल की भूमिका

नकुल की सुंदरता के साथ-साथ उनकी वीरता और क्षमताओं की भी कई कहानियाँ हैं। वे न केवल अपने सौंदर्य के लिए बल्कि अपनी युद्ध-कला और कर्तव्यनिष्ठा के लिए भी प्रसिद्ध थे। महाभारत के युद्ध में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण थी, और वे अपने कृत्यों से हमेशा अपने धर्म और परिवार के प्रति निष्ठावान रहे।

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नकुल की सुंदरता महाभारत की एक विशेष कथा का हिस्सा है, जो न केवल पांडवों के परिवार की गरिमा को दर्शाती है, बल्कि भारतीय पुराणों और धर्मग्रंथों में सौंदर्य और आदर्श के प्रति सम्मान को भी प्रकट करती है। उनकी कथा हमें यह सिखाती है कि सौंदर्य केवल बाहरी गुण नहीं होता, बल्कि यह व्यक्ति की आत्मा और चरित्र के साथ भी जुड़ा होता है।

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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