Pitru Amavasya 2025: पितृपक्ष पितरों को संतुष्ट और प्रसन्न करने का पखवाड़ा है. इन 15 दिनों में लोग पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध करते हैं. तर्पण अर्थात उनकी इच्छा के अनुरूप कार्य करते हुए उन्हें तृप्त करना और श्राद्ध यानी उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करना. 08 सितंबर से पितृपक्ष प्रारंभ हो चुके हैं और अमावस्या अर्थात 21 सितंबर को उसकी पूर्णता होने वाली है. हो सकता है व्यावसायिक या अन्य किसी प्रकार की व्यस्तता के चलते आप पितृपक्ष में उनके लिए कुछ भी नहीं कर पाए हैं तो दुखी या निराश होकर पश्चाताप करने की कतई आवश्यकता नहीं है बल्कि अभी भी एक मौका है जब आप पितरों का स्मरण करते हुए उनके नाम पर कुछ कर सकते हैं. यूं तो पितरों का श्राद्ध उसी तिथि में करना चाहिए जिस तिथि में उन्होंने शरीर का त्याग कर सूक्ष्म रूप धारण किया था. लेकिन यदि अब वह समय निकल गया है तो आपके पास अभी भी एक मौका अमावस्या का दिन है इसलिए इस अमावस्या को देवपितृ कार्य या सर्व पितृ कार्य अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन अपने पितरों के लिए कुछ समय अवश्य ही निकालें। ऐसा करने पर भी उनकी कीर्ति काया का आशीर्वाद सदैव आपके साथ रहेगा और आपके भाग्य के दरवाजे खुलते रहेंगे.
घर में पितरों की जो फोटो हो उसे अमावस्या के दिन ठीक से साफ करें और फिर उन पर माल्यार्पण कर धूप दीप आदि से सुगंधित करें. इसके बाद यदि इस कार्य को प्रत्येक माह में एक बार पड़ने वाली अमावस्या के दिन करते रहें तो उनका आशीर्वाद आपको अवश्य ही प्राप्त होगा.
अमावस्या के दिन आप अपने घर पर भोजन बनवाकर गरीबों को खिला कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकें तो बहुत ही अच्छा है. यदि घर पर भोजन बनवाना संभव नहीं है तो बाजार से रेडीमेड भोजन थाली लेकर किसी एक अथवा अधिक गरीब लोगों को भोजन करा कुछ दक्षिणा देकर संतुष्ट करें. उनका दिया आशीर्वाद अप्रत्यक्ष रूप से आपके पितरों का आशीर्वाद ही होगा. आप चाहें तो अनाथालय अथवा दिव्यांग विद्यालय में जाकर गरीब बच्चों को भोजन, वस्त्र, किताबें, स्टेशनरी आदि दे सकते हैं. वहां जाकर स्कूल प्रबंधक को अपना बजट बता कर सहयोग करने की आग्रह कर सकते हैं.
पितरों की याद में पेड़ लगा कर भी आप उनके प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित कर सकते हैं लेकिन पेड़ लगाने के साथ आपको इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि पेड़ के बड़ा होने तक आप नियमित रक्षा करें. पेड़ भी ऐसा चयन करना चाहिए जो बरसों तक चले और लोगों को छाया देने के साथ ही पर्यावरण सुधार का कार्य भी करे, फलदार पेड़ भी लगाया जा सकता है.
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