Pitru Visarjan 2025: प्रयागराज के संगम तट पर पिंडदान और तर्पण का महत्व
पितृपक्ष के अंतिम दिन अमावस्या, जो इस बार रविवार 2025 में थी, प्रयागराज के संगम तट पर श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखती है। इस दिन दूर-दूर से लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण करने आते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
रविवार की सुबह से संगम तट पर पिंडदान और तर्पण का क्रम शुरू हो गया। मंत्रोच्चार के साथ श्रद्धालुओं ने अपने पितरों का भावपूर्ण स्मरण किया। कई लोगों की आंखें नम हो गईं, क्योंकि वे अपने पूर्वजों को याद कर भावुक हो उठे। पिंडदान और तर्पण करने के बाद पितर पृथ्वी से विदा हो गए और अगले वर्ष पितृपक्ष पर पुनः वंशजों का स्वागत करेंगे।
पिंडदान और तर्पण का धार्मिक महत्व बहुत बड़ा है। पितृपक्ष आश्विन कृष्णपक्ष की प्रतिप्रदा से आरंभ होता है। प्रयागराज का संगम तट इस दिन विशेष पवित्र माना जाता है। बिना यहां तर्पण और पिंडदान किए मृतकों की आत्मा को तृप्ति नहीं मिलती। वहीं, पिंडदान करने से पूर्वज प्रसन्न होकर वंशजों को सुख-समृद्धि और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, पिंडदान और तर्पण न करने वाले लोगों से पूर्वज नाराज हो जाते हैं। इससे वंशजों को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसी कारण देशभर से श्रद्धालु संगम तट पर आकर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण करते हैं।
पितृ विसर्जन का यह अवसर न केवल श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि पूर्वजों के प्रति सम्मान और उनका स्मरण करने का भी एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह परंपरा हर वर्ष लोगों के जीवन में आध्यात्मिक और भावनात्मक जुड़ाव को बढ़ाती है।
5 Best Bhojpuri Horror Films: आज कल भोजपुरी फिल्मों का क्रेंज काफी ज्यादा बढ़ता जा…
Neem Karoli Baba: हनुमान जी का अवतार माने जाने वाले नीम करोली बाबा की शिक्षाएं आज…
Haryanvi Song Dance Video: सोशल मीडिया पर इन दिनों मॉडर्न तड़के और देसी झटके का…
Railway Fare Revision December 2025: रेलवे ने 26 दिसंबर, 2025 से लागू होने वाले पैसेंजर ट्रेनों…
New Year 2026: साल 2025 खत्म होने में बस अब कुछ ही दिन बचे हैं…
Veer Bal Diwas 2025: क्या आप जानते हैं कि वीर बाल दिवस क्यों मनाया जाता…