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पूर्व जन्म से आई दरिद्रता का भी होगा नाश, माता लक्ष्मी सदा के लिए करेंगी वास, अगर दिवाली के दिन इस तरह से कर लिया मां लक्ष्मी को प्रसन्न

Kanakdhara Stotra Benefits in Diwali: माता लक्ष्मी, जिन्हें धन की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है, उनकी कृपा और आशीर्वाद कौन नहीं चाहता ! धन केवल भौतिक सुविधा का प्रतीक नहीं, बल्कि जीवन के प्रत्येक यज्ञ और अनुष्ठान की अनिवार्य आवश्यकता भी है. आज के युग में हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में ‘धन रूपी धुरी’ के आस पास ही रहा है. आर्थिक तंगी ऐसी व्याधि बन चुकी है जिससे शायद ही कोई पूरी तरह अछूता हो. जीवन की बुनियादी आवश्यकताएँ भी धन के बिना पूर्ण नहीं हो सकतीं. यदि आप भी परिश्रम तो भरपूर कर रहे हैं, परन्तु फिर भी माता लक्ष्मी की कृपा नहीं मिल रही है तो चिंतित होने की आवश्यकता नहीं. दीपावली का शुभ पर्व वह दिव्य अवसर है जब माता लक्ष्मी को प्रसन्न कर आप अपने जीवन में समृद्धि, सुख और सौभाग्य को प्राप्त कर सकते हैं. बस इस दिन कुछ विशेष नियमों और उपायों का पालन करें निश्चित ही आपकी मेहनत फल देगी और माता लक्ष्मी आपके घर में सुख-समृद्धि का वास करेंगी.

क्या है कनकधारा स्तोत्र?

कनकधारा स्तोत्र की रचना भगवान शिव के अंशावतार आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी. बाल्यावस्था में वह एक दिन भिक्षाटन के लिए गरीब ब्राह्मण के घर पर गए. घर में स्थित गरीब ब्राह्मणी के पास देने के लिए कुछ नहीं था. उसने भी कई दिनों से भोजन ग्रहण नहीं किया था अपनी दयनीय स्थिति और बटुक को कुछ नहीं दे पाने के कारण उसके नेत्रों से अश्रुधारा बह निकली, उस ब्रह्माणी की दैनिक स्थिति को देखकर बालक शंकर को बहुत दया आयी. उसने तत्काल कनकधारा स्तोत्र की रचना कर उससे मां लक्ष्मी का ध्यान और आवाहन किया. बालक शंकर की स्तुति से मां लक्ष्मी प्रकट हुई. तब बालक शंकर ने उस गरीब ब्राह्मण परिवार को धनी करने का आग्रह मां लक्ष्मी से किया. इस पर लक्ष्मी ने उनके पूर्व जन्मों का हवाला देते हुए कहा कि यह संभव नहीं है, परंतु बालक शंकर के कनकधारा स्तोत्र से वह इतनी प्रसन्न थी कि वह उनके अनुरोध को टाल नहीं पाई. उन्होंने तत्काल उस ब्राह्मण परिवार के घर कनक अर्थात स्वर्ण की वर्षा कर दी. इसी कारण इस स्तोत्र को कनकधारा स्त्रोत कहा जाता है.

पूर्व जन्म की दरिद्रता का करता है नाश

  • धन प्राप्ति और धन संचय के लिए पुराणों में कनकधारा स्तोत्र का वर्णन किया गया है.
  • नित्य पाठ से धन सम्बंधित सभी प्रकार के अवरोध दूर होते हैं और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है.
  • जो लोग नित्य इसका पाठ नहीं पाते हैं वह दीपावली के दिन इस स्तोत्र का 11, 21, 51 या 108 बार पाठ करना चाहिए.
  • इस पाठ को करने से दरिद्रता का नाश और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
  • ऐसी मान्यता है कि पूर्व जन्म अथवा किसी अन्य कर्म से आई हुई दरिद्रता का नाश भी इस स्तोत्र के पाठ से हो जाता है.
  • इस स्तोत्र से पूर्व माता लक्ष्मी का मन ही मन आवाहन करना चाहिए और आदि गुरु शंकराचार्य का भी ध्यान अवश्य करना चाहिए. 
Pandit Shashishekhar Tripathi

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