surya ko arghya
Surya Devta ki Puja: हिंदू धर्म में सूर्य देव को प्रत्यक्ष देवता माना गया है. सुबह उगते सूर्य को जल अर्पित करना न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका वैज्ञानिक लाभ भी है. अर्घ्य देने से शरीर को ऊर्जा, मानसिक शांति और सकारात्मकता मिलती है. लेकिन कई बार श्रद्धालु अनजाने में कुछ ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं, जिससे पूजा का फल कम हो जाता है. आइए जानते हैं अर्घ्य देते समय किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
सूर्य को अर्घ्य हमेशा साफ-सुथरे तांबे या स्टील के लोटे से ही देना चाहिए. गंदे बर्तन या प्लास्टिक के लोटे का इस्तेमाल अशुद्धि का प्रतीक माना जाता है और इससे पूजा का प्रभाव घट सकता है.
अर्घ्य देते समय शुद्धता और भक्ति का भाव जरूरी है. इसलिए जूते-चप्पल पहनकर सूर्य को जल अर्पित करना अनुचित माना जाता है. पूजा से पहले स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें.
अर्घ्य हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही देना चाहिए, क्योंकि वहीं से सूर्य उदय होता है. यदि आप पश्चिम या किसी अन्य दिशा की ओर मुख करके अर्घ्य देंगे तो उसका धार्मिक महत्व कम हो जाएगा.
अर्घ्य देते समय कोशिश करें कि किसी आसन या चटाई पर खड़े हों. सीधी जमीन पर खड़े होकर पूजा करना अशुभ माना जाता है.
सूर्य को अर्घ्य देना केवल एक रस्म नहीं है, बल्कि यह ध्यान और आभार का प्रतीक है. कई लोग जल्दबाजी में पानी चढ़ाकर तुरंत लौट जाते हैं. ऐसा न करें. शांत मन से सूर्य का ध्यान करें और मंत्रों का उच्चारण करते हुए अर्घ्य दें.
लोटे में हमेशा स्वच्छ जल भरें. यदि संभव हो तो उसमें लाल फूल, रोली या चावल भी डालें. गंदा या कम मात्रा का जल अर्पित करना अशुभ माना जाता है.
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