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India News (इंडिया न्यूज), Facts About Aghories: 2020 में एक ऐसी घटना सामने आई जिसने सभी को चौंका दिया। एक अघोरी, जो दावा करता है कि वह चारों युगों – सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग – से धरती पर मौजूद है, पहली बार दुनिया के सामने आया। यह चौंकाने वाला दावा अक्षत गुप्ता द्वारा अपने एक पॉडकास्ट में साझा किया गया, जिसमें इस अघोरी के अद्भुत और रहस्यमयी तथ्यों का खुलासा हुआ।
जब 2020 में इस अघोरी को पहली बार पकड़ा गया, तो उसका नार्को टेस्ट और सम्मोहन परीक्षण किया गया। इन परीक्षणों के दौरान उसने बताया कि उसने रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को अपनी आंखों से देखा है। उसने दावा किया कि वह सतयुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग से लेकर आज के कलियुग तक का साक्षी है। उसकी बातों ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया, क्योंकि उसने उन घटनाओं का वर्णन किया जो केवल पौराणिक कथाओं में पढ़ी जाती हैं।
इस अघोरी ने एक और चौंकाने वाला दावा किया। उसने बताया कि वह पृथ्वी पर मौजूद सात चिरंजीवियों की तलाश में है। हिंदू धर्म के अनुसार, चिरंजीवी वे व्यक्ति हैं जिन्हें अमरत्व का वरदान प्राप्त है। इनमें हनुमान, परशुराम, अश्वत्थामा, विभीषण, कृपाचार्य, बलि और व्यास शामिल हैं।
लेकिन इस अघोरी ने खुद को “आठवें चिरंजीवी” के रूप में प्रस्तुत किया, जिसका कोई उल्लेख या जानकारी अब तक शास्त्रों में नहीं है। उसने बताया कि वह छुपकर इन चिरंजीवियों की तलाश कर रहा है, ताकि इनसे जुड़ी गूढ़ जानकारी को समझ सके।
अघोरी ने अपने बयानों में यह भी कहा कि उसने रामायण काल में भगवान राम और रावण का युद्ध देखा है। उसने महाभारत के युद्ध को भी अपनी आंखों से देखा और वहां घटित घटनाओं का वर्णन किया। उसने यह बताया कि उसने स्वयं उन युगों के समाज, संस्कृति और परिवर्तन को देखा है, जो आज की मानव सभ्यता के लिए अकल्पनीय है।
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यह घटना मानव इतिहास और पौराणिक कथाओं के बीच एक कड़ी जोड़ने का दावा करती है। यदि इस अघोरी के दावे सत्य होते हैं, तो यह धर्म, इतिहास और विज्ञान के अध्ययन के लिए नई संभावनाएं खोल सकता है। उसकी चिरंजीवियों की खोज यह संकेत देती है कि आज भी ऐसे रहस्यमयी पहलू हो सकते हैं जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अब तक अनछुए हैं।
चार युगों से धरती पर उपस्थित इस अघोरी की कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या वास्तव में हमारे पौराणिक ग्रंथ केवल कहानियां हैं, या उनमें छिपे हैं कुछ ऐसे तथ्य जो आज भी हमारी समझ से परे हैं। चिरंजीवियों की खोज और इस अघोरी का दावा, दोनों ही अपने आप में अद्भुत और रहस्यमयी हैं। यह घटना केवल एक अघोरी की कहानी नहीं, बल्कि हमारे इतिहास और धर्म की गहराइयों में झांकने का अवसर है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
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