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किसकी कंजूसी के चक्कर में बदनाम हुआ तिरुपति मंदिर का प्रसाद? आखिर खुल ही गया 300 साल से छिपाया गया ये गहरा राज?

Tirupati Temple Prasad: विवाद की शुरुआत उस समय हुई, जब मंदिर प्रशासन द्वारा घी की खरीद को लेकर विवाद खड़ा हुआ। अधिकारियों ने 320 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से सस्ता घी खरीदने पर जोर दिया।

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Tirupati Temple Prasad: तिरुपति बालाजी मंदिर, जो हिंदू धर्म का सबसे प्रतिष्ठित तीर्थस्थल है, हाल ही में एक गंभीर विवाद के केंद्र में आ गया। इसकी जड़ में मंदिर के दिव्य लड्डुओं में की गई मिलावट है, जिसे लेकर भक्तों के बीच गहरा आक्रोश फैल गया। 300 साल से चली आ रही पवित्र लड्डू प्रसाद की परंपरा पर सवाल उठे हैं, और इस मुद्दे ने सरकार से लेकर धार्मिक संस्थानों तक सबको हिला दिया है।

320 रुपये के घी की जिद और आस्था पर चोट

विवाद की शुरुआत उस समय हुई, जब मंदिर प्रशासन द्वारा घी की खरीद को लेकर विवाद खड़ा हुआ। अधिकारियों ने 320 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से सस्ता घी खरीदने पर जोर दिया। यह सस्ता घी बाद में जांच के दौरान मिलावटी पाया गया, जिसमें जानवरों की चर्बी मिलने के संकेत मिले। इस मिलावट ने न केवल भक्तों की आस्था को ठेस पहुंचाई, बल्कि तिरुपति बालाजी लड्डुओं की शुद्धता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

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Tirupati Temple Prasad: विवाद की शुरुआत उस समय हुई, जब मंदिर प्रशासन द्वारा घी की खरीद को लेकर विवाद खड़ा हुआ। अधिकारियों ने 320 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से सस्ता घी खरीदने पर जोर दिया।

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लड्डुओं का अद्वितीय स्वाद और उनकी महत्ता

तिरुपति बालाजी के लड्डू को भगवान का प्रसाद माना जाता है, और इसकी महत्ता इतनी है कि दर्शन के बाद यह प्रसाद ग्रहण करना अनिवार्य माना जाता है। इसे बनाने की विधि पिछले 300 वर्षों से बिल्कुल समान है, और इसकी पवित्रता को लेकर कभी कोई सवाल नहीं उठा। लड्डुओं का स्वाद और उनकी दिव्यता के कारण ही इसे दुनिया भर में विशिष्ट पहचान मिली हुई है।

मिलावट का खुलासा: घी में चर्बी और फॉरेन फैट

इस विवाद का सबसे चिंताजनक पहलू तब सामने आया, जब घी के सैंपल्स की जांच की गई। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) द्वारा की गई लैब रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि घी में फॉरेन फैट यानी विदेशी वसा का इस्तेमाल किया गया था। इसमें सोयाबीन तेल, सूरजमुखी का तेल, मछली का तेल, और यहां तक कि जानवरों की चर्बी मिलने की संभावना भी जताई गई। मछली का तेल और सुअर की चर्बी मिलने के आरोप ने धार्मिक आस्थाओं पर गहरा धक्का दिया।

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सवाल: मिलावट के पीछे कौन?

अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि इस घोटाले के पीछे कौन है? बालाजी के प्रसाद में इस तरह की मिलावट करने वाला कौन सा तत्व जिम्मेदार है? मंदिर प्रशासन और सरकार पर कड़ी निगरानी और जांच का दबाव बढ़ गया है। आस्था से खिलवाड़ करने के इन आरोपों की वजह से भक्तों में गहरा आक्रोश है।

तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) की रसोई: लड्डू बनाने की प्रक्रिया

तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) की रसोई, जिसे ‘पोटू’ कहा जाता है, में लड्डू प्रसादम बनाने का काम होता है। यहां 600 ब्राह्मणों की टीम दिन-रात काम करती है और रोजाना साढ़े तीन लाख लड्डू तैयार किए जाते हैं। इन लड्डुओं में विशेष सामग्री जैसे कश्मीर से मंगाया गया केसर, राजस्थान और केरल से सूखे मेवे, और विशेष तालाब का पानी इस्तेमाल होता है।

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आस्था के साथ खिलवाड़: भक्तों का आक्रोश

भगवान तिरुपति बालाजी के इन लड्डुओं के साथ मिलावट की खबर सुनकर लाखों भक्तों की आस्था पर चोट पड़ी है। यह मामला अब धार्मिक आस्थाओं से परे राजनीतिक हलकों में भी गर्म हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी और मौजूदा मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के बीच आरोप-प्रत्यारोपों का दौर जारी है। चंद्रबाबू नायडू ने इस मुद्दे को उजागर किया, और वैज्ञानिक रिपोर्टों के आधार पर यह आरोप लगाए कि बालाजी के प्रसाद में मिलावट की गई है।

निष्कर्ष

इस विवाद ने करोड़ों हिंदुओं की आस्था पर गहरी चोट की है। तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू, जिन्हें भगवान का प्रसाद माना जाता है, उनकी शुद्धता पर उठे सवालों ने भक्तों के विश्वास को हिला दिया है। मंदिर प्रशासन और सरकार के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे इस मामले की गहराई से जांच कर दोषियों को सजा दें, ताकि भविष्य में इस तरह की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ न हो सके।

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