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Tulsi: तुलसी के पत्ते तोड़ते समय इन नियमों का रखें ध्यान, नहीं तो झेलना पड़ सकता है बड़ा नुकसान

PUBLISHED BY: Reepu kumari • LAST UPDATED : February 9, 2024, 2:20 pm IST
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Tulsi: तुलसी के पत्ते तोड़ते समय इन नियमों का रखें ध्यान, नहीं तो झेलना पड़ सकता है बड़ा नुकसान

Tulsi

India News (इंडिया न्यूज), Tulsi: तुलसी का पौधा सनातन धर्म में पूजनीय माना है। इसके पत्ते सृष्टि के रचयिता भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं। इसीलिए तुलसी को हरिप्रिया भी कहा जाता है। घर में तुलसी के पत्ते लगाने से न केवल सुख-शांति आती है, बल्कि वास्तु दोष भी दूर होते हैं। पुराणों में बताया गया है कि तुलसी इतनी पवित्र है कि भगवान विष्णु ने उन्हें अपने हृदय में स्थान दिया है और तुलसी के पत्तों के बिना प्रसाद भी ग्रहण नहीं करते हैं।

देवी लक्ष्मी का वास

यह भी माना जाता है कि इसमें देवी लक्ष्मी का वास होता है। शास्त्र कहते हैं कि नियमित रूप से तुलसी की पूजा करने से देवी लक्ष्मी की कृपा से घर में सुख-समृद्धि और धन का वास होता है। कहा जाता है कि तुलसी का पौधा तीर्थ के समान होता है। इसलिए प्रतिदिन पूजा और परिक्रमा करनी चाहिए।
सनातन धर्म में लगभग हर पूजा में तुलसी के पत्तों का प्रयोग किया जाता है। तुलसी को न केवल सनातन धर्म के अनुसार एक बहुत ही शुभ पौधा माना जाता है बल्कि यह अपने औषधीय गुणों के कारण भारत के हर घर में पाया जाता है। हालाँकि, तुलसी के पत्ते तोड़ने के कुछ नियम हैं जिनका आपको पालन करना चाहिए अन्यथा आप अपने जीवन में नकारात्मक परिणामों का अनुभव करेंगे।

तुलसी के पत्ते तोड़ने के नियम

  • तुलसी के पत्तों को कभी भी नाखून से नहीं तोड़ना चाहिए। इससे जातक को दोष लगता है। तुलसी तोड़ते समय हमेशा उंगलियों के पोरों का प्रयोग करें।
  • इसे किसी नदी में फेंक दें या कहीं जमीन के अंदर गाड़ दें। कहा जाता है कि सूखा हुआ तुलसी का पौधा घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  • बिना स्नान किए कभी भी तुलसी को नहीं छूना चाहिए।
  • सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के दौरान तुलसी का महत्व बढ़ जाता है। इस दौरान घर में मौजूद भोजन के साथ तुलसी के पत्ते रखने से सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के प्रभाव से बचाव होता है। बस एक जानकारी- यह कार्य सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण से पहले कर लेना चाहिए क्योंकि सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के दौरान तुलसी के पत्ते तोड़ना वर्जित है।
  • भगवान शंकर और उनके पुत्र भगवान गणेश को तुलसी के पत्ते चढ़ाना वर्जित माना गया है। वहीं भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते चढ़ाने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
  • अमावस्या, द्वादशी और चतुर्दशी के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना भी वर्जित है।
  • रविवार के दिन भूलकर भी तुलसी के पत्ते न तोड़ें और न ही तुलसी के पत्ते डालकर जल चढ़ाएं। ऐसा करने से नकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
  • जितना हो सके तुलसी के पत्ते तोड़ने से बचें। हमेशा उन तुलसी के पत्तों का उपयोग करने का प्रयास करें जो अपने आप टूट कर जमीन पर गिर गए हों।
  • ऐसा माना जाता है कि तुलसी के पत्तों में राधा जी का वास होता है। सूर्यास्त के बाद भगवान श्री कृष्ण राधा रानी वन में राधा जी के साथ रास रचाते हैं। ऐसे में सूर्यास्त के बाद तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। माना जाता है कि इससे भगवान कृष्ण और राधा के रास में खलल पड़ता है।
  • जब भी भगवान के प्रसाद में तुलसी के पत्तों का प्रयोग करें तो ध्यान रखें कि ये पत्ते 11 दिन से ज्यादा पुराने न हों। 11 दिन से अधिक पुराने तुलसी के पत्ते भगवान को नहीं चढ़ाने चाहिए।
  • तुलसी के पत्तों को नियमित रूप से नहीं तोड़ा जा सकता। इसे तोड़ने का एक निश्चित दिन और मंत्र है. -एकादशी के दिन भूलकर भी तुलसी का पत्ता न तोड़ें। भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है। एकादशी व्रत के दौरान भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते चढ़ाए जाते हैं।
  • तुलसी के पत्ते तोड़ते समय इन 3 मंत्रों का जाप करने से मदद मिलती है। ॐ सुभद्राय नमः, ॐ सुप्रभाय नमः, मातास्तुलसि गोविंद हृदयानन्द कारिणी
  • संक्रांति के दिन और जब घर में किसी का जन्म हो और नामकरण न हो जाए तब तक तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए। वहीं जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो उस दिन से लेकर तेरहवीं तक तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए। वहीं सूर्योदय और सूर्यास्त के समय भी तुलसी दल को तोड़ना वर्जित है।

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