India News (इंडिया न्यूज), Facts About Ramayan: रामायण के अद्भुत प्रसंगों में से एक ऐसा भी है, जो दशानन रावण की महाज्ञानी और अद्वितीय व्यक्तित्व को दर्शाता है। यह प्रसंग रावण के जीवन का अंत और उसकी मृत्यु के पीछे छिपी गहरी आध्यात्मिकता को उजागर करता है।
रावण केवल एक दुष्ट राक्षस नहीं था, बल्कि वह एक महाज्ञानी, तपस्वी, और वेदों का गहन ज्ञाता भी था। उसे ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त था कि कोई भी देवता, दानव या असुर उसे पराजित नहीं कर सकता। परंतु रावण के अहंकार और अधर्म ने उसे विनाश के मार्ग पर ला खड़ा किया।
Facts About Ramayan: दशानन रावण ने श्री राम से कब और क्यों मांगी थी दक्षिणा में अपनी ही मृत्यु
लंका के युद्ध के अंतिम चरण में जब रावण श्री राम के बाणों से घायल होकर धराशायी हो गया, तब विभीषण ने राम से आग्रह किया कि रावण का शीघ्र वध कर दिया जाए। परंतु श्री राम ने कहा कि एक ज्ञानी और महापराक्रमी राजा के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए।
श्री राम ने लक्ष्मण से कहा, “जाओ और रावण से नीति और धर्म का ज्ञान प्राप्त करो।” लक्ष्मण ने रावण के पास जाकर शिक्षा मांगी, लेकिन रावण ने उन्हें अनसुना कर दिया। तब श्री राम स्वयं रावण के पास गए।
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जब श्री राम ने रावण से उसकी अंतिम इच्छा पूछी, तो रावण ने कहा, “हे राम, आप धर्म और मर्यादा के प्रतीक हैं। आपने मेरे अहंकार का अंत करके मुझे मोक्ष का मार्ग दिखाया है। मेरी अंतिम इच्छा है कि मैं आपकी मृत्यु दक्षिणा बनूं। मेरे वध से आपके धर्म और सत्य की विजय का संदेश संसार में फैले।”
यह सुनकर श्री राम ने रावण की मृत्यु को धर्मयुद्ध का अनिवार्य हिस्सा मानते हुए सहर्ष स्वीकार किया।
दशानन रावण का यह प्रसंग हमें सिखाता है कि ज्ञान, शक्ति और वरदान भी अहंकार और अधर्म के साथ विनाशकारी हो सकते हैं। श्री राम और रावण के इस संवाद से हमें यह भी समझ में आता है कि मोक्ष और शांति का मार्ग केवल धर्म और सत्य के पालन से ही संभव है। यह घटना रामायण के उन गूढ़ पहलुओं में से एक है, जो हमें हर परिस्थिति में मर्यादा और धर्म का पालन करने की प्रेरणा देती है।