India News(इंडिया न्यूज), Kinnaro ki Shadi: भारतीय पौराणिक कथाओं में कई ऐसी घटनाएं हैं, जो समाज और परंपराओं को नई दिशा देती हैं। ऐसी ही एक अद्भुत और अनोखी घटना है किन्नरों द्वारा एक रात के लिए शादी करना। यह परंपरा पांडवों के समय से जुड़ी हुई है और अरावन देवता की कथा से संबंधित है। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।
अरावन महाभारत के महान योद्धा अर्जुन और नागकन्या ऊलूपी के पुत्र थे। वे अपने पराक्रम और त्याग के लिए जाने जाते हैं। उनकी कहानी महाभारत की उस घटना से जुड़ी है, जब पांडवों ने मां काली को प्रसन्न करने के लिए एक यज्ञ किया। इस यज्ञ में एक राजकुमार की बलि देनी आवश्यक थी। बलिदान के लिए किसी भी योद्धा ने आगे आने का साहस नहीं किया, लेकिन अरावन ने स्वेच्छा से अपनी बलि देने का प्रस्ताव रखा।
Kinnaro ki Shadi: क्यों सिर्फ एक रात के लिए शादी रचाते है किन्नर
अरावन ने बलि देने से पहले एक अंतिम इच्छा व्यक्त की कि वह मृत्यु से पूर्व विवाह करना चाहते हैं। लेकिन प्रश्न यह था कि कौन कन्या केवल एक रात के लिए विवाह करने को तैयार होगी, यह जानते हुए कि अगले दिन उनके पति की मृत्यु हो जाएगी? इस समस्या का समाधान स्वयं श्रीकृष्ण ने निकाला।
श्रीकृष्ण ने इस समस्या को सुलझाने के लिए अद्वितीय कदम उठाया। उन्होंने अपनी माया का प्रयोग करते हुए स्वयं को एक सुंदर राजकुमारी में परिवर्तित कर लिया। इस रूप में उन्होंने अरावन से विवाह किया और उनकी अंतिम इच्छा पूरी की। अगले दिन जब अरावन की बलि दी गई, तब श्रीकृष्ण ने विधवा रूप में विलाप किया। यह घटना उनके महान त्याग और कर्तव्यपरायणता का प्रतीक है।
अरावन की इस कथा से किन्नर समाज विशेष रूप से जुड़ा हुआ है। उन्हें अरावन देवता के प्रति विशेष श्रद्धा है, और वे उन्हें अपना देवता मानते हैं। उनकी याद में किन्नर समाज अरावन देवता से एक रात के लिए प्रतीकात्मक रूप से विवाह करता है। यह परंपरा विशेष रूप से तमिलनाडु में प्रसिद्ध है, जहां इसे “अरावनी उत्सव” या “कूथांडावर” उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान किन्नर अरावन देवता की मूर्ति से शादी करते हैं और अगले दिन उनकी विधवा के रूप में शोक व्यक्त करते हैं।
यह परंपरा न केवल अरावन के बलिदान को स्मरण करने का एक तरीका है, बल्कि यह श्रीकृष्ण के त्याग और करुणा की भी झलक देती है। किन्नरों के लिए यह उत्सव सामाजिक और धार्मिक पहचान का प्रतीक है, जो उन्हें मुख्यधारा समाज से जोड़ता है।
अरावन देवता की कथा भारतीय पौराणिक इतिहास में त्याग, कर्तव्य और परंपराओं का अद्वितीय उदाहरण है। किन्नरों द्वारा इसे जीवंत बनाए रखना उनकी संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं का हिस्सा है। इस परंपरा के माध्यम से वे न केवल अपनी आध्यात्मिकता को व्यक्त करते हैं, बल्कि अपने समुदाय को भी एकजुट रखते हैं। यह कथा हमें श्रीकृष्ण के उदार हृदय और अरावन के बलिदान की गहराई को समझने का अवसर देती है।