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पितरों की मुक्ति के लिए कौवों को ही क्यों खिलाते हैं भोजन? पूराणों में छिपा है इसका राज

Divyanshi Singh • LAST UPDATED : September 16, 2024, 8:31 pm IST

Pitru Paksha 2024:पितरों की मुक्ति के लिए कौवों को ही क्यों खिलाते हैं भोजन?

India News (इंडिया न्यूज),Pitru Paksha 2024:हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व अपने दिवंगत पूर्वजों को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने का एक विशेष अवसर है। पितृ पक्ष का यह पर्व आमतौर पर भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तक 16 दिनों तक चलता है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करते हैं। श्राद्ध कर्म में पूर्वजों का तर्पण, पिंडदान और अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। पितृ पक्ष में कौओं को भोजन कराना बहुत ही महत्वपूर्ण और सबसे महत्वपूर्ण कार्य माना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में किए गए श्राद्ध कर्म का भोजन कौओं को खिलाने से पितरों को मुक्ति और शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं और साधक को आशीर्वाद देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अगर साधक की कुंडली में पितृ दोष है तो उसे पितृ दोष से भी मुक्ति मिल जाती है लेकिन पितृ पक्ष में कौओं को भोजन क्यों दिया जाता है?

यमदूत का प्रतीक

हिंदू धर्म में कौए को यमदूत का वाहन और यम का प्रतीक माना जाता है। यमराज मृत्यु के देवता हैं। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों की आत्माएं धरती पर आती हैं और कौओं के रूप में भोजन ग्रहण करती हैं। जब हम कौओं को भोजन खिलाते हैं, तो ऐसा माना जाता है कि हम अपने पितरों को तृप्त कर रहे हैं और उनकी आत्मा को तृप्त कर रहे हैं।

पितरों का संदेशवाहक

कुछ मान्यताओं के अनुसार कौओं को पितरों का संदेशवाहक भी माना जाता है। इसलिए पितृ पक्ष में कौओं को भोजन खिलाने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पौराणिक कथा में मिलता है उल्लेख

कौओं का संबंध भगवान राम से भी माना जाता है। जिसका उल्लेख एक पौराणिक कथा में मिलता है। कथा के अनुसार एक बार माता सीता के पैर में कौए ने चोंच मार दी थी। इससे माता सीता के पैर में घाव हो गया। माता सीता को पीड़ा में देखकर भगवान राम क्रोधित हो गए और उन्होंने तीर चलाकर कौवे को घायल कर दिया। इसके बाद कौवे को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने माता सीता और भगवान श्रीराम से माफी मांगी। भगवान श्रीराम ने तुरंत कौवे को माफ कर दिया और उसे आशीर्वाद दिया कि अब तुम्हारे माध्यम से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होगी। तभी से पितृ पक्ष में कौवों को भोजन कराने की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।

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