Hindi News / Dharam / Why Is A Dead Body Tied And Taken To The Crematorium How Many Mysteries Are Associated With This Centuries Old Tradition

क्यों एक मुर्दे को बांधकर ही लेकर जाया जाता है श्मशान…सदियों पुरानी इस परम्परा से जुड़े है कितने रहस्य?

Kyu Bandha Jata Hain Mudron Ka Sharir: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मृत्यु के बाद शरीर पर प्रेतात्माओं या बुरी आत्माओं का प्रवेश हो सकता है। इसलिए शव को बांधकर ले जाने का एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य यह होता है कि किसी भी प्रकार की नकारात्मक या बुरी ऊर्जा शव पर प्रभाव न डाल सके।

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Kyu Bandha Jata Hain Mudron Ka Sharir: भारत में मृत्यु के बाद शव को बांधकर श्मशान ले जाने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। यह केवल एक सांस्कृतिक परंपरा नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरे धार्मिक और आध्यात्मिक तर्क भी जुड़े हुए हैं। हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद शरीर और आत्मा के बीच के बंधन को लेकर कई मान्यताएं हैं, जिनका अंतिम संस्कार में महत्वपूर्ण स्थान होता है। आइए, जानते हैं शव को बांधकर श्मशान ले जाने की इस प्रथा के पीछे के रहस्यों और धार्मिक कारणों के बारे में।

आत्मा और शरीर का बंधन

हिंदू धर्मशास्त्रों में यह माना जाता है कि मृत्यु के तुरंत बाद आत्मा शरीर को पूरी तरह से नहीं छोड़ती। आत्मा के शरीर से पूर्ण रूप से अलग होने में समय लगता है और शरीर में उसकी कुछ ऊर्जा या छाप बनी रहती है। शव को बांधकर श्मशान ले जाने का उद्देश्य आत्मा और शरीर के इस बंधन को समाप्त करना होता है, ताकि आत्मा को मुक्ति मिल सके और शरीर को उसकी अंतिम यात्रा पर सम्मानपूर्वक ले जाया जा सके।

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Kyu Bandha Jata Hain Mudron Ka Sharir: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मृत्यु के बाद शरीर पर प्रेतात्माओं या बुरी आत्माओं का प्रवेश हो सकता है। इसलिए शव को बांधकर ले जाने का एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य यह होता है कि किसी भी प्रकार की नकारात्मक या बुरी ऊर्जा शव पर प्रभाव न डाल सके।

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बुरी आत्माओं से सुरक्षा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मृत्यु के बाद शरीर पर प्रेतात्माओं या बुरी आत्माओं का प्रवेश हो सकता है। इसलिए शव को बांधकर ले जाने का एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य यह होता है कि किसी भी प्रकार की नकारात्मक या बुरी ऊर्जा शव पर प्रभाव न डाल सके। इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित किया जाता है कि अंतिम संस्कार बिना किसी बाधा के संपन्न हो सके और शरीर को सुरक्षित रूप से श्मशान तक ले जाया जा सके।

सम्मान और शांति का प्रतीक

शव को बांधकर श्मशान ले जाने की प्रथा एक प्रकार से व्यक्ति के प्रति सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक मानी जाती है। मृत्यु के बाद भी मृत व्यक्ति के प्रति समर्पण, सम्मान और देखभाल का यह एक धार्मिक तरीका है। इसे इस दृष्टिकोण से भी देखा जा सकता है कि यह शरीर को स्थिर और संतुलित रखने का एक माध्यम है, ताकि वह बिना किसी कठिनाई के अपनी अंतिम यात्रा पूरी कर सके।

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मोक्ष प्राप्ति और परंपरा का पालन

हिंदू समाज में यह भी मान्यता है कि जब तक शरीर को ठीक प्रकार से नहीं बांधा जाता, तब तक आत्मा को मोक्ष प्राप्त नहीं होता। इसलिए इसे समाज के रीति-रिवाजों और परंपराओं का हिस्सा माना जाता है। इस प्रथा का पालन करना यह सुनिश्चित करता है कि मृत व्यक्ति की आत्मा शांति और मोक्ष की दिशा में अग्रसर हो सके।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

कुछ लोग इस प्रथा को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी देखते हैं। मृत्यु के बाद शरीर निष्क्रिय हो जाता है, और उसे स्थिर रखना आवश्यक होता है ताकि अंतिम यात्रा में किसी प्रकार की असुविधा न हो। शव को बांधने से उसे स्थिरता मिलती है और श्मशान तक ले जाने की प्रक्रिया सुगम हो जाती है। यह शरीर को नियंत्रित करने और उसकी देखभाल करने का एक व्यावहारिक तरीका भी है।

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निष्कर्ष

शव को बांधकर श्मशान ले जाने की प्रथा एक धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता है, जिसमें आत्मा और शरीर के बीच के बंधन को समाप्त करने, बुरी शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करने, और सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार करने का उद्देश्य होता है। यह प्रथा व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी समाज द्वारा उसे सम्मान प्रदान करने का प्रतीक है, और इस परंपरा का पालन पीढ़ियों से होता आ रहा है।

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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