होम / Pappu Yadav: चुनावी राजनीति में पूर्णिया से पुणे तक परिवारों में वर्चस्व की दिलचस्प लड़ाई

Pappu Yadav: चुनावी राजनीति में पूर्णिया से पुणे तक परिवारों में वर्चस्व की दिलचस्प लड़ाई

Itvnetwork Team • LAST UPDATED : April 7, 2024, 3:31 pm IST

India News (इंडिया न्यूज़), Pappu Yadav, (आलोक मेहता): लोक सभा चुनाव में इस बार प्रतिपक्ष के विभिन्न दलों के अस्तित्व के साथ प्रदेश अथवा राष्ट्रीय स्तर पर प्रभुत्व के लिए ‘पप्पू’ की दिलचस्प लड़ाई देखने को मिल रही है। सामान्यतः भारतीय परिवारों में छोटे और प्यारे बच्चों को पप्पू पुकारा जाता रहा है। इस शब्द को लेकर फ़िल्में भी बनी हैं। केटबरी चॉकलेट निर्माता कंपनी ने अपने लोकप्रिय विज्ञापन “पप्पू पास हो गया” से करोड़ों रूपये कमाए। फिर कुछ फिमेन भी बनी। लेकिन इसमें मनोरंजन के लिए भोले व्यक्ति को पप्पू के रुप में व्यंग्य की तरह पेश किया। चुनाव आयोग ने वोटिंग के प्रोत्साहन के लिए विज्ञापन में इसे व्यंग्य की तरह इस्तेमाल किया गया। इसलिए आजकल चुनावी राजनीति में पप्पू की बड़ी चर्चा है।

  • बेटा-बेटी को मुख्यमंत्री बनाने की होड़
  • पप्पू यादव ने दिया था लालू का साथ
  • लोगों में पप्पू यादव का ख़ौफ़
  • लगातार हुई जीत
  • अपने जीवन पर बनवाई फिल्म
  • लालू यादव के बारे में क्या लिखा?
  • कांग्रेस पर साधा निशाना

बेटा-बेटी को मुख्यमंत्री बनाने की होड़

दो नाम सबसे ऊपर हैं – बिहार के बाहुबली राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव और कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी – जिन्हें राजनीतिक गलियारों के साथ विरोधी खेमे के समर्थकों द्वारा व्यंग्य में ‘पप्पू’ के नाम से पुकारा जाता है। इसी तरह बिहार और देश की राजनीति के सर्वाधिक विवादास्पद दागी नेता लालू प्रसाद यादव अपने प्रिय ‘पुत्र’ तेजस्वी को अपने बड़े उत्तराधिकारी और बिहार के भावी मुख्यमंत्री बनाने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं।

लगभग यही स्थिति महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की है, जो शिव सेना के विभाजन और कांग्रेस से मजबूरी में समझौते की कीमत पर भी अपने लाडले आदित्य ठाकरे को भावी मुख्यमंत्री बनवाने के सपने संजोकर जोड़ तोड़ कर रहे हैं। महाराष्ट्र में तो उद्धव ठाकरे के प्यारे पुत्र आदित्य और शरद पवार परिवार में प्यारी बेटी सुप्रिया सुले और परिजनों के लिए राहुल गाँधी के समर्थन को लेकर हास्य व्यंग्य सोशल मीडिया में चल रहे हैं।

कर्नाटक Karnataka News: बीएमसीआरआई के दर्जनों छात्र हुए बीमार, कई स्‍टूडेंट्स में हैजा की पुष्टि

पप्पू यादव ने दिया था लालू का साथ

फिर भी सबसे अधिक चर्चित और दिलचस्प खेल बिहार का है, जहाँ पप्पू यादव ने सुदूर पूर्णिया से पटना और दिल्ली के लाल किले तक की सत्ता को बेचैन किया हुआ है। इसमें कोई शक नहीं कि पप्पू यादव को लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव ने ही यादव और पिछड़ों तथा मुस्लिम मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए तैयार किया। पप्पू यादव का जन्म मधेपुरा जिले में 1967 में हुआ था। पप्पू यादव एक जमींदार परिवार से आते हैं। उनके पास जमीन और संपत्ति की कमी नहीं थी। कॉलेज में जाने के बाद पप्पू यादव की पहचान दबंग के रूप में हो रही थी। उनकी दबंगई के चर्चे सीमांचल के कई जिलों में थे। बात 1980 के बाद की है, उसी वक्त लालू प्रसाद यादव भी अपने राजनीतिक करियर चमकाने में लगे हुए थे। उस वक्त कॉलेज से निकलने के बाद पप्पू यादव ने लालू यादव का साथ दिया था और पप्पू यादव की दबंगई लालू यादव के काम आई थी। उस वक्त पप्पू यादव पर लालू यादव के लिए बूथ कैपचरिंग या फिर मत पेटियों को चुरा लेने का आरोप लगता था।

लोगों में पप्पू यादव का ख़ौफ़

मैं स्वयं नव भारत टाइम्स के संपादक के रूप में 1988 से 1991 तक बिहार में रहा। इसलिए प्रदेश में कांग्रेस के अंतिम सत्ता काल से लालू यादव के मुख्यमंत्री बनने की घटनाओं का गवाह रहने के साथ वहां की राजनीति को समझने लिखने का लाभ भी पा रहा था। 1990 में निर्दलीय विधायक चुनकर आए थे। विधायक बनने के बाद पप्पू यादव का लक्ष्य लोकसभा था। यही कारण है कि उनकी दबंगई खत्म नहीं हुई और अगड़ी-पिछड़ी की लड़ाई करते रहे। वह दौर पप्पू यादव के लिए बहुत खास था। पप्पू यादव का भय सीमांचल में इस कदर था कि लोग उनका नाम लेने से भी डरते थे।

लगातार हुई जीत

1990 में विधायक बनने के बाद पांच बार लोकसभा के सदस्य रहे। पहली बार 1991 में पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव लड़े और जीत हासिल की। इसके बाद 1996 और 1999 में भी वह पूर्णिया से ही निर्दलीय सांसद बने। 2004 में लालू प्रसाद यादव ने उन्हें मधेपुरा से आरजेडी का टिकट दिया और वह चौथी बार जीते। लेकिन पप्पू यादव को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अजीत सरकार की हत्या के मामले में 17 साल जेल में भी रहना पड़ा था। घटना 1998 की है। इसमें पप्पू यादव का नाम आया था। उस वक्त पप्पू यादव पूर्णिया लोकसभा सीट से सांसद हुआ करते थे। उम्र कैद की सजा भी उन्हें मिली। तब 2008 में उनकी सदस्यता रद्द हो गई। पप्पू यादव ने फैसले के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में अपील की। इसके बाद 2013 में जाकर कोर्ट से उन्हें राहत मिली। सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया गया था। 2013 में पटना हाई कोर्ट से राहत मिलने के बाद पप्पू यादव फिर पांचवी बार 2014 में आरजेडी के टिकट से मधेपुरा से चुनाव लड़े और पांचवीं बार जीते।

देश केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ AAP ने किया एक दिवसीय उपवास का आयोजन, विदेशों में भी कार्यक्रम

अपनी आत्मकथा कराई प्रकाशित

2015 में तेजस्वी यादव की बयानबाजी के बाद वह खफ़ा हो गए और आरजेडी से दूरी बनाकर अपनी ‘जन अधिकार पार्टी’ बनाई। 2019 में उन्होंने अपनी पार्टी से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 2013 में जेल से आने के बाद से ही पप्पू यादव का रुख बदल चुका था। जेल से लौटने के बाद पप्पू यादव अपनी छवि बनाने में लग गए। फिर उन्होंने अपने इलाके में लोगों की हर मुश्किल में सहायता करके मसीहा बनने का प्रयास शुरु किया। यही नहीं, उन्होंने “द्रोहकाल का पथिक’ शीर्षक से अपनी आत्म कथा प्रकाशित करवाकर दिल्ली में भव्य कार्यक्रम में इसे रिलीज़ करवाया। प्रसिद्ध फ़िल्मी निर्माता निदेशक मुज़फ्फर अली, नामी हिंदी लेखक आलोचक नामवर सिंह और राजेंद्र यादव इस कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि थे। राजेंद्र यादव ने तो इस आत्म कथा की भूमिका लिखकर प्रशंसा की थी। मतलब यह कि पप्पू यादव अपने बल पर लालू यादव की चुनौती के रुप में सामने आने लगे।

लालू यादव के बारे में क्या लिखा?

अब 2024 के लोक सभा चुनाव में पप्पू यादव भावुकता के साथ अपने संबंधों की दुहाई के बावजूद लालू यादव के दबाव को मानने को तैयार नहीं हुए। इस सन्दर्भ में पप्पू यादव द्वारा अपने अनुभवों के आधार पर दस साल पहले ही अपनी आत्म कथा में लालू यादव के बारे में लिखी बहुत तीखी बातें ध्यान दिलाना उचित लगता है। पप्पू यादव ने लिखा – “लालूजी ने अपने शासन काल में बिहार के मनुष्य की सुरक्षा और उनके सामाजिक सम्मान, आर्थिक विकास करने में भले ही कोई सोच नहीं रखी हो परन्तु यह तो साबित कर दिया कि रिश्तेदारों और सगे सम्बन्धियों को शासन के शीर्ष पर बैठकर सियासत के खेल में माहिर हैं। वंशवाद, परिवारवाद, व्यक्तिवाद में अत्याचारी ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लालूजी का नाम सबसे ऊपर होगा। दुनिया के सबसे बड़े जागरूक और परिपक्व लोकतंत्र में पत्नी, भाई, साला, बेटा, बेटी सगे सम्बन्धियों को उत्तराधिकारी बनाने में लगे रहे।’

कांग्रेस पर साधा निशाना

पप्पू यादव ने पिछले दिनों औपचारिक रुप से अपनी जेबी पार्टी को कांग्रेस में मिलाकर समर्पण कर दिया। लेकिन एक दशक पहले भी कांग्रेस द्वारा लालू प्रसाद यादव को केंद्र की सत्ता में भागेदारी देने का विरोध करते हुए अपनी किताब ‘द्रोहकाल के पथिक’ में लिख दिया था – “कांग्रेस के लिए कभी गाँधी, नेहरु, इंदिरा राजीव गांधी आदर्श हुआ करते थे, लेकिन अब लालू और राबड़ी आदर्श हों गए। लालू ने तो बिहार सरकार कि देख रेख के लिए किसी भी पार्टी को तोड़ने की जिम्मेदारी अपने दोनों सालों और अन्य नेताओं को दे दी। धोखाधड़ी, बलात्कार,  हत्या, अपहरण, फिरौती, वाहन चोरी और जबरन वसूली कर्मकांडों में वे सिद्धहस्त हो गए।

“बहरहाल, इस लोक सभा चुनाव में पप्पू यादव को लालू परिवार खासकर तेजस्वी यादव और गाँधी परिवार में राहुल गाँधी के मिले जुले राजनीतिक बारूद का सामना करना होगा। उधर उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के लिए कांग्रेस से आधे मन से समझौता किया है और किसी तरह राहुल गांधी को थोड़ा समर्थन दिया है, लेकिन वह पिता मुलायम सिंह की तरह पप्पू यादव को अपने आँगन में यादववादी प्रभाव दिखाने का अवसर नहीं दे सकते हैं। इसलिए लोक सभा चुनाव के बाद ही पप्पू और परिवारों के भविष्य की झलक देखने को मिलेगी।

देश Jharkhand: ईडी को हेमंत सोरेन के केस में मिला नया सबूत, इस तरह के बिल हुए बरामद

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

Kedareshwar Cave: एक खंभा पर टीका है 4 हजार फीट उपर बना मंदिर, आज भी नहीं खुल पाएं कई राज-Indianews
T20 World Cup 2024: रिंकू सिंह और केएल राहुल को टीम में शामिल नहीं करने पर भड़के फैंस, सोशल मीडिया पर दी प्रतिक्रिया-Indianews
इस देश के मुस्लिम कर रहे KFC का बॉयकॉट, यहां देखिए कहां और कितने स्टोर हुए बंद
Punjab Board 12th Result 2024: पंजाब बोर्ड ने किया रिजल्ट घोषित, एकमप्रीत सिंह और रवि उदय सिंह बने टॉपर
43 साल की उम्र में दूसरी बार पिता बने Harman Baweja, पत्नी साशा ने बेबी गर्ल को दिया जन्म -Indianews
कोटा में कब तक थमेगा सुसाइड का मामला? फिर एक छात्र ने की आत्महत्या
LSG vs MI Live Streaming: लखनऊ सुपर जायंट्स और मुंबई इंडियंस के बीच मुकाबला आज, जानें कब और कहां देखें -Indianews
ADVERTISEMENT