Hindi News / Entertainment / Indias First Feature Film Raja Harishchandra Completed 110 Years Was Made At A Cost Of Rs 15000

भारत की पहली फिचर फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ को पूरे हुए 110 साल, 15 हजार रुपये में बनकर हुई थी तैयार

India News (इंडिया न्यूज़), First Film of Indian Cinema Complete 110 Years, मुंबई: दादा साहब फाल्के (Dadasaheb Phalke) ने 3 मई 1913 में पहली बार भारतीय फिल्म बनाकर इतिहास रच दिया था। आज से 110 साल पहले के हालात और सुविधा के बारे में कल्पना कर सोचिए कि फिल्म बनाना कितना मुश्किल भरा काम रहा […]

BY: Nishika Shrivastava • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज़), First Film of Indian Cinema Complete 110 Years, मुंबई: दादा साहब फाल्के (Dadasaheb Phalke) ने 3 मई 1913 में पहली बार भारतीय फिल्म बनाकर इतिहास रच दिया था। आज से 110 साल पहले के हालात और सुविधा के बारे में कल्पना कर सोचिए कि फिल्म बनाना कितना मुश्किल भरा काम रहा होगा। बता दें कि दादा साहब फाल्के ने अपनी चाहत को अंजाम दिया और ‘राजा हरिश्चंद्र’ (Raja Harishchandra) फिल्म बनाकर भारतीय सिनेमा की नींव बनाई। तो यहां जानिए कि दादा साहब को फिल्म में रोल निभाने के लिए नहीं मिली कोई महिला तो कैसे बनाई फिल्म।

भारतीय सिनेमा की पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’

आपको बता दें कि आज ही के दिन भारतीय चरित्र राजा हरिशंचंद्र की कहानी को पर्दे पर उतारने में दादा साहब फाल्के सफल हुए थे। ‘राजा हरिश्चंद्र’ पहली भारतीय मूक फिल्म थी यानी इस फिल्म में आवाज नहीं थी। इसलिए इसके सीन की जानकारी हिंदी, मराठी और अंग्रेजी में लिखकर समझाया गया था। फिल्म के सभी कलाकार मराठी थे। गिरगांव के कोरोनेशन थिएटर में भारतीय और अपनी भाषा में पहली फीचर फिल्म का टिकट खरीदने के लोगों ने चिलचिलाती गर्मी की भी परवाह नहीं की। 50 मिनट की इस फीचर फिल्म के पोस्टर्स अंग्रेजी और मराठी में बनाए गए थे। इस फिल्म को पर्दे पर दिखाकर दादा साहब ने अपने सपने तो सच कर दिखाया था।

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First Film of Indian Cinema Complete 110 Years.

15 हजार रुपये में बनाई गई थी पहली भारतीय फिल्म

इतने बरसों में सिनेमा आज एक खूबसूरत और गौरवशाली मुकाम पर पहुंच गया है। इंडियन सिनेमा और इंडियन फिल्म एक्टर की पॉपुलैरिटी अब दुनिया भर में है लेकिन आज से 110 साल भारतीयों के लिए सिनेमा जैसी कोई चीज ही नहीं थी। जब दादा साहब फाल्के ने ‘राजा हरिश्चंद्र’ बनाई थी तो उस वक्त देश आजाद भी नहीं था। इस फिल्म को बनाने में 15 हजार रुपए खर्च हुए थे, जो उस दौर में भारी-भरकम रकम थी। फिल्म बनाने के टिप्स और यंत्रों के लिए दादा याहब विदेश भी गए थे।

दादा साहब को हीरोइन ही नहीं मिली

आज तो बिना एक्ट्रेस के किसी फिल्म की कल्पना भी नहीं की जाती लेकिन उस दौर का सामाजिक ताना-बाना ऐसा था कि किसी फीमेल एक्ट्रेस ने काम नहीं किया था। जब दादा साहब ने अपनी फिल्म के लिए कई अखबारों में विज्ञापन दिया, कई दूसरे तरीके से खोज की फिर भी उन्हें कोई महिला नहीं मिली।

आखिर में रानी तारामती का किरदार एक पुरुष कलाकार अन्ना सालुंके ने निभाया था। फिल्म के हीरो यानी सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र का रोल दत्तात्रेय दामोदर दाब्के ने प्ले किया था। हरिश्चंद्र और तारामती के बेटे का किरदार दादा साहब के बेटे भालचंद्र फाल्के ने निभाया था और गजानन वासुदेव ने विश्वामित्र का रोल प्ले किया था।

7 महीने 21 दिन में बनी ‘राजा हरिश्चंद्र’

इस फिल्म का सेट मुंबई के दादर में लगाया गया था और इस फिल्म को बनाने में करीब-करीब 8 महीने लग गए थे। जब ये फिल्म तैयार हुई तो 21 अप्रैल 1913 में बाम्बे के ओलंपिया थिएटर में प्रीमीयर किया, फिर 3 मई 1913 में जनता के सामने पेश किया गया।

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