होम / Lions to switch their prey: चीटियों से परेशान शेर, खाना बदलने पर हुए मजबूर; जानिए पूरी कहानी

Lions to switch their prey: चीटियों से परेशान शेर, खाना बदलने पर हुए मजबूर; जानिए पूरी कहानी

Shashank Shukla • LAST UPDATED : January 27, 2024, 10:32 am IST

India News (इंडिया न्यूज), Lions to switch their prey: आमतौर पर हमने देखा है कि बड़े जानवरों की वजह से छोटे जानवरों को कई बार परेशान होना पड़ता है। हालांकि, इस बार कहानी उलट है। एक रिसर्च में पता चला है कि केन्या के जंगलों में पारिस्थितिकीय वजहों से शेरों को अपना शिकार बदलना पड़ा है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका चीटियों की है।

पारिस्थितिकीय तंत्र में बदलाव

दरअसल, कहानी ऐसी है कि केन्या के जंगल में पिछले बीस वर्षों में पारिस्थितिकीय तंत्र में बड़ा बदलाव हुआ है। जंगल में बाहर से आई हुई चीटियों ने वहां की स्थानीय चीटियों को मारना शुरु कर दिया है। स्थानीय चीटियां का निवास अकासिया के पेड़ रहे हैं। अकासिया के पेड़ों की टहनियों पर केन्या की चीटियां अपना घर बना रहती हैं। बाहर से आई हुई बड़े सिर वाली चीटियां इनके लार्वा, अंडो को खा जाती हैं और वयस्को का शिकार करती हैं। इससे स्थानीय चीटियों के जीवन पर संकट उत्पन्न हुआ है। अब आप सोच रहे होंगे कि इससे शेरों के शिकार का क्या लेनादेना? तो हम आपको याद दिला दें कि आपने बटरफ्लाई इफेक्ट का नाम से सुना होगा। आपको बता दें कि इको सिस्टम में हर चीज एक दूसरे से जुड़ी हुई है।

क्या कहते हैं पारिस्थितिकीविज्ञानी

अध्ययन दल के सदस्य और फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के पारिस्थितिकीविज्ञानी और प्रोफेसर टॉड पामर ने कहा, “ये छोटी आक्रामक चींटियां शायद 15 साल पहले दिखाई दीं और हममें से किसी ने ध्यान नहीं दिया क्योंकि वे लोगों सहित बड़े प्राणियों के प्रति आक्रामक नहीं हैं।” पामर ने एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “अब हम देखते हैं कि वे बहुत ही सूक्ष्म तरीकों से लेकिन विनाशकारी प्रभावों के साथ परिदृश्य को बदल रहे हैं।”

पेड़ों के लिए सुरक्षा कवच

अकासिया के पेड़ पर रहने वाली स्थानीय चीटियां पेड़ों के लिए सुरक्षा कवच का काम करती हैं। इससे शाकाहारी जीव पेड़ों को पूरी तरह नहीं चरते हैं। अब बाहर से आई चीटियों ने जब इन्हें वहां से भगा दिया है, तो अकासिया के पेड़ों बिना सुरक्षा कवच के शाकाहारी जानवरों के लिए आसान भोजन बन गए। चींटियों के आक्रमण वाले क्षेत्रों में देशी चींटियों की तुलना में हाथियों ने बबूल के पेड़ों को पांच से सात गुना अधिक दर से उजाड़ा है। इससे आमतौर पर जेब्रा का शिकार करने वाले शेरों के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है। दरअसल, अकासिया के पेड़ कम होने की वजह से अब जेब्रा शेरों को दूर से देख लेते हैं। ऐसे में वे दूर भाग जाते हैं।

बढ़ गया भैसों का शिकार

वैज्ञानिकों ने गणना की है कि बड़े सिर वाली चींटियों द्वारा आक्रमण किए गए क्षेत्रों की तुलना में शेरों द्वारा ज़ेबरा की हत्याएं गैर-आक्रमण क्षेत्रों में 2.8 गुना अधिक थीं। अब शेरों को भैसों के शिकार करना पड़ता है। जबकि जेब्रा उनके लिए आसान शिकार हुआ करते हैं। झुंड में रहने वाले भैंसे स्वभाव से हिंसक होते हैं और कई बार शेरों को नुकसान का सामना करना पड़ता है। 2003 में 67 प्रतिशत से घटकर 2020 में 42 प्रतिशत हो गया, जबकि इसी अवधि में शेरों द्वारा भैंसों को मारने का अनुपात 0 प्रतिशत से बढ़कर 42 प्रतिशत हो गया।

यह भी पढें:

Tanmay Agarwal: एक विकेट के नुकसान पर बनें 529 रन, इस खिलाड़ी ने जड़ा सबसे तेज तिहरा शतक, 252 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार

Biggest Hollywood star: सबसे अधिक फीस वसूलता है यह हॉलीवुड स्टार, एक समय जेब में थे सिर्फ 7 डॉलर

MS Dhoni: CSK के कप्तान एमएस धोनी खास अंदाज में मनाया Republic Day, यहां देखें वायरल वीडियो

Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT