ये है भारत की सबसे पुरानी सड़क, इस हाईवे से विदेश तक जाती हैं गाड़ियां, जानिए किसने बनवाया था?

Grand Trunk Road: भारत में सड़क निर्माण में तेज़ी से प्रगति हो रही है. देश भर में कई आधुनिक सड़कें हैं जिन पर वाहन तेज़ गति से चल सकते हैं. आजकल एक्सप्रेसवे और नए हाईवे बनाए जा रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में सबसे पहले कौन सी सड़क बनी थी? देश की सबसे पुरानी सड़क मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य ने बनवाई थी. हालांकि, इसे 16वीं सदी में दिल्ली के सुल्तान ने पक्का किया था. यह सड़क दूसरे देशों से भी जुड़ती है.

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2500 साल पुरानी सड़क

यह सड़क ग्रैंड ट्रंक रोड (जी.टी. रोड) है. जी.टी. रोड न केवल भारत बल्कि दक्षिण एशिया की भी सबसे पुरानी और लंबी सड़कों में से एक है. 2500 साल से भी पुरानी इस सड़क पर आज भी भारत को गर्व है. प्राचीन काल में इसे ‘उत्तरपथ’ कहा जाता था, जो गंगा नदी के किनारे के शहरों को पंजाब और टैक्सिला से जोड़ता था. कहा जाता है कि मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य ने यह सड़क बनवाई थी. लेकिन समय के साथ यह जर्जर हो गई.

शेरशाह सूरी ने सड़क को पक्का किया

16वीं सदी में, दिल्ली के सुल्तान शेरशाह सूरी ने अपने शासनकाल (1540-1545) के दौरान इस मार्ग को फिर से बनाया और इसका नाम ‘सड़क-ए-आजम’ या ‘बादशाही सड़क’ रखा. उन्होंने सड़क को पक्का किया, यात्रियों के लिए विश्राम स्थल बनाए, छायादार पेड़ लगाए और दूरी बताने के लिए मील के पत्थर (खोस मीनार) लगाए. शेरशाह सूरी ने इस सड़क पर घोड़ों से डाक सेवा भी शुरू की.

सड़क पाकिस्तान से अफगानिस्तान तक जाती है

बाद में, जब अंग्रेज आए तो उन्होंने इस मार्ग का नाम ‘ग्रैंड ट्रंक रोड’ रख दिया. यह सड़क भारत को तीन पड़ोसी देशों से जोड़ती थी. बांग्लादेश के चटगांव से शुरू होकर यह भारत के कई राज्यों से होकर पाकिस्तान के लाहौर और पेशावर तक जाती है और अंत में अफगानिस्तान के काबुल में खत्म होती है. ग्रैंड ट्रंक रोड का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि सदियों से यह व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और साम्राज्यों के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है. आज भी इस सड़क को आम तौर पर ग्रैंड ट्रंक रोड ही कहा जाता है, हालांकि इसका आधिकारिक नाम राष्ट्रीय राजमार्ग 2 (NH-2) है. यह राजमार्ग दिल्ली से कोलकाता तक जाता है. ऐतिहासिक रूप से, यह अमृतसर से भी होकर पाकिस्तान के पेशावर तक जाता था. हालाँकि आजादी के बाद पेशावर तक इस रास्ते पर आम वाहन नहीं चलते.

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Ashish kumar Rai

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