(Image Credit, ANI)
How America Control All Over World: संयुक्त राज्य अमेरिका को एक सुपरपावर माना जाता है, और यह सिर्फ़ उसकी सैन्य ताकत की वजह से नहीं है; बल्कि उसकी रणनीतिक नीतियां, आर्थिक सिस्टम और सांस्कृतिक प्रभाव भी अहम भूमिका निभाते हैं. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से, अमेरिका ने दुनिया की राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा स्थिति को अपने हितों के अनुसार ढाल दिया है. सवाल यह है कि अमेरिका दुनिया पर अपना नियंत्रण कैसे रखता है? शक्ति के उसके मुख्य साधन क्या हैं? आइए, अमेरिका के इन हथियारों पर नज़र डालते हैं.
लगभग हर बड़ा वैश्विक लेन-देन, चाहे वह तेल व्यापार हो या सोना-चांदी की खरीद-बिक्री, अमेरिकी डॉलर में होता है. डॉलर दुनिया की रिजर्व करेंसी के रूप में काम करता है. अमेरिका का सबसे बड़ा फायदा यह है कि जब भी वह डॉलर छापता है, तो पूरी दुनिया उसका इस्तेमाल करती है. दुनिया भर के कई सेंट्रल बैंक अमेरिकी डॉलर को अपनी रिजर्व करेंसी के रूप में रखते हैं. इससे अमेरिका को किसी भी देश पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की शक्ति मिलती है, जिससे उस देश की पूरी अर्थव्यवस्था अस्थिर हो सकती है.
गूगल, एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़न और मेटा जैसी कंपनियां अमेरिका की हैं. साइबर सिक्योरिटी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और स्पेस टेक्नोलॉजी में भी अमेरिका दुनिया में सबसे आगे है. ये अमेरिकी टेक कंपनियां न सिर्फ हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी को प्रभावित करती हैं, बल्कि पूरी दुनिया की डिजिटल अर्थव्यवस्था पर भी इनका दबदबा है. डेटा, सॉफ्टवेयर और क्लाउड सर्विस में इनका वर्चस्व होने से दुनिया को इनके प्रभाव को मानना पड़ता है.
अमेरिकी ताकत का तीसरा स्तंभ उसका विशाल सैन्य नेटवर्क है. दुनिया भर में इसके 750 से ज़्यादा सैन्य अड्डे हैं। यूरोप और एशिया से लेकर मध्य-पूर्व और प्रशांत महासागर तक, अमेरिकी सेना हर जगह मौजूद है. इससे वह किसी भी क्षेत्रीय विवाद या युद्ध में तुरंत दखल दे सकती है. इसके नौसैनिक एयरक्राफ्ट कैरियर किसी भी देश के समुद्री क्षेत्र से बाहर से भी ताकत दिखा सकते हैं. इसीलिए कई देश अपनी सुरक्षा के लिए अमेरिकी हथियारों और सैन्य मदद पर निर्भर रहते हैं.
हॉलीवुड फिल्में, नेटफ्लिक्स सीरीज़, अमेरिकी संगीत और फैशन- ये सभी अमेरिका की सॉफ्ट पावर में योगदान देते हैं। दुनिया भर के युवा अमेरिकी जीवनशैली अपनाकर गर्व महसूस करते हैं.”अमेरिकन ड्रीम” का विचार बहुत आकर्षक है, और यह सांस्कृतिक प्रभाव अमेरिका को दूसरे देशों पर मनोवैज्ञानिक बढ़त देता है. कई देशों में रोज़मर्रा की बातचीत में अंग्रेजी भाषा और अमेरिकी स्लैंग आम हो गए हैं.
यूनाइटेड नेशंस, वर्ल्ड बैंक, IMF, NATO और WTO जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय संगठनों पर अमेरिका का काफी प्रभाव है. ये संस्थाएं वैश्विक व्यापार, सुरक्षा और वित्त के नियम बनाती हैं. अमेरिकी वर्चस्व इतना ज़्यादा है कि ये नियम अक्सर उनके हितों को ही बढ़ावा देते हैं. जब कोई देश इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे वैश्विक मंच पर अलग-थलग होना पड़ता है.
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