क्या आप जानते है Piyush Pandey के क्रिएटिव आइकॉन विज्ञापन स्लोगन के बारे में?

Piyush Pandey Legendry Advertisement: भारतीय विज्ञापन उद्योग में पीयूष पांडे का नाम एक चमकते सितारे की तरह हमेशा याद किया जाएगा. उन्होंने न केवल ब्रांड्स को बाजार तक पहुंचाया, बल्कि लोगों के दिलों में उनकी भावनाओं का भी दीप जलाया. उनकी रचनात्मक सोच और कहानी कहने की अनोखी शैली ने विज्ञापन को केवल बिक्री का माध्यम नहीं, बल्कि कला और अनुभव का रूप दे दिया. सरल भाषा, भावनाओं की गहराई और आम जीवन की कहानियों के जरिए उन्होंने हर विज्ञापन को लोगों के साथ जोड़ दिया. आइए, देखते हैं उनके कुछ यादगार और आइकॉनिक विज्ञापन, जिन्होंने भारतीय विज्ञापन जगत की दिशा बदल दी.

पल्स पोलियो अभियान – “दो बूंदें जिंदगी की” (1995)

सरकारी स्वास्थ्य अभियानों में भी उनकी प्रतिभा झलकती है. पल्स पोलियो अभियान के लिए उन्होंने “दो बूंदें जिंदगी की” जैसे नारे के जरिए आम लोगों तक संदेश पहुंचाया. यह न केवल एक नारा था, बल्कि पोलियो उन्मूलन के लिए पूरे देश में जागरूकता फैलाने का महत्वपूर्ण साधन बन गया.

एशियन पेंट्स – “हर घर कुछ कहता है” (2002)

2002 में आए इस विज्ञापन ने एशियन पेंट्स को एक भावनात्मक ब्रांड के रूप में पेश किया. एड में एक परिवार की पुरानी यादें, दीवारों पर लगी तस्वीरें और रंगों में बसी भावनाओं को दिखाया गया. टैगलाइन “हर घर कुछ कहता है” ने न केवल ब्रांड की पहचान बनाई, बल्कि इसे हर भारतीय घर का हिस्सा बना दिया. यह विज्ञापन आज भी ब्रांडिंग और कहानी कहने की मिसाल माना जाता है.

हच (वोडाफोन) – पग वाला विज्ञापन (2003)

2003 में पीयूष पांडे ने वोडाफोन के लिए एक प्यारा और दिल छू लेने वाला विज्ञापन बनाया. इसमें एक बच्चा और उसका छोटा पग दिखाई देता है, जो हर कदम पर उसके साथ रहता है. टैगलाइन “व्हेयरवर यू गो, हच इज विद यू” ने तकनीक और भावनाओं को एक साथ जोड़ा. बोलचाल की भाषा में “भाई, हच है ना!” ने इसे आम जनता के बीच बेहद लोकप्रिय बना दिया.

फेविकॉल – ट्रक वाला विज्ञापन (2007)

पीयूष पांडे ने 2007 में फेविकॉल जैसे साधारण प्रोडक्ट को भी भावनाओं से जोड़ दिया. एड में एक ट्रक ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चलता है, लेकिन ऊपर बैठे लोग गिरते नहीं. इसकी टैगलाइन “फेविकॉल का जोड़ है, टूटेगा नहीं” ने न केवल ब्रांड को पहचान दिलाई, बल्कि इसे मजबूत रिश्तों का प्रतीक बना दिया. यह विज्ञापन भारतीय विज्ञापन इतिहास की क्लासिक बन गया.

कैडबरी – क्रिकेट वाला विज्ञापन (2007)

उसी वर्ष, 2007 में, पीयूष पांडे ने कैडबरी के लिए एक बेहद भावनात्मक विज्ञापन बनाया. एड में एक बच्चा क्रिकेट में छक्का मारते ही खुशी से झूम उठता है, और पूरा मोहल्ला उसके साथ नाच उठता है. टैगलाइन “कुछ खास है जिंदगी में!” ने इसे सिर्फ चॉकलेट का विज्ञापन नहीं, बल्कि खुशी और जश्न का प्रतीक बना दिया.

भाजपा – “अबकी बार, मोदी सरकार” (2014)

2014 के चुनावी मौसम में, पीयूष पांडे ने भारतीय राजनीति में भी अपनी क्रिएटिव प्रतिभा दिखाई. सरल और असरदार नारा “अबकी बार, मोदी सरकार” ने राजनीतिक संदेश को आम जनता तक पहुंचाने का एक नया तरीका दिखाया. यह स्लोगन आज भी लोगों की यादों में ताजा है और भारतीय राजनीतिक विज्ञापन की मिसाल बन चुका है. 

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