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डॉ रविंद्र मलिक, चंडीगढ़:
हरियाणा चुनाव आयोग ने लंबित निकाय चुनाव की तारीख घोषित कर दी। अगले महीने 19 जून को नगर परिषद और नगर पालिका के चुनाव होंगे। इसको लेकर सत्ताधारी भाजपा और जजपा निरंतर रणनीति पर मंथन कर रही है कि कैसे विजय प्राप्त की जाए, तो वहीं मुख्य विरोधी दल कांग्रेसी भी कोशिश कर रही है कि कैसे सत्ताधारी पार्टियों के विधानसभा क्षेत्र में पड़ने वाले नगर परिषद और नगर पालिका सीटों पर जीत दर्ज की जाए।
भाजपा ने इसको लेकर 27 और 28 मई को हिसार में राज्य कार्यकारिणी की बैठक रखी है। जिसमें निकाय चुनाव को लेकर रणनीति पर विचार होगा। तो वहीं विपक्षी दल कांग्रेस ने 31 मई और 1 जून को चंडीगढ़ हेड क्वार्टर में राज्य स्तरीय बैठक बुलाई है। जिसमें निकाय चुनाव को लेकर पार्टी आगे की रणनीति पर काम करेगी। साथ ही हरियाणा में भाजपा की सहयोगी जजपा ताल ठोक रही है। ऐसे माना जा रहा कि सीधा मुकाबला भाजपा व कांग्रेस में है।
यह बता दें कि कुल 28 नगर पालिका में चुनाव होने हैं। इनमें से 9 नगर पालिका परिषद उन विधानसभा क्षेत्र में पड़ती है जहां भाजपा के विधायक हैं। अगर इन नगर पालिका क्षेत्र की बात करें तो इनमें रतिया, भुना, पिहोवा, घरौंडा, राजौंद, नांगल चौधरी, बावल, गन्नौर और कुंडली शामिल है। इसके अलावा 9 नगर परिषद की सीट भी ऐसी हैं जो भाजपा के विधायकों के विधानसभा क्षेत्र में पड़ती हैं।
इन सीटों में भिवानी, फतेहाबाद, सोहना, हांसी, जींद, कैथल, नारनौल, पलवल और होडल शामिल हैं। इस लिहाज से देखें तो नगर पालिका और नगर परिषद की कुल 18 सीटें भाजपा के विधायकों की विधानसभा क्षेत्र में पड़ती है। नगर परिषद नगर पालिका के चुनाव वाली 46 सीट में से एक चौथाई भाजपा के विधायकों के विधानसभा क्षेत्र में पड़ती हैं।
भाजपा के बाद कांग्रेस इस मामले में दूसरे स्थान पर है, जहां होने वाले चुनाव की कुल 15 नगर पालिका और नगर परिषद सीट उसके विधायकों के विधानसभा क्षेत्र में पड़ती हैं। इनमें से अगर नगर पालिका चुनाव की बात करें तो कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में आने वाली जो नगर पालिका सीट हैं उनमें सफीदों, लाडवा, पुनहाना, महेंद्रगढ़, असंध, सफीदों, महेंद्रगढ़, समालखा और साढौरा शामिल हैं।
वहीं नगर परिषद की सीटों की बात करें तो इनमें से छह फिलहाल ऐसी हैं जो कांग्रेस विधायकों के विधानसभा क्षेत्र में आती हैं। इनमें बहादुरगढ़ झज्जर, कालका, गोहाना, मंडी, डबवाली और नूंह शामिल हैं।
वहीं दूसरी तरफ से भी बता दें कि भाजपा की सहयोगी जजपा के विधायकों के क्षेत्र में आने वाले निकाय चुनाव की नगर पालिका की और नगर परिषद की कई सीट आती हैं। अगर नगर परिषद की बात करें तो इसमें टोहाना और नरवाना शामिल हैं। वही नगर पालिका की बात करें तो इनमें उचाना, चीका, इस्माईलाबाद और शाहाबाद शामिल हैं। चूंकि अब जजपा भाजपा के साथ मिलकर सरकार चला रही है तो दोनों का एक साथ चुनाव लड़ना वाजिब है। जजपा भी निरंतर चुनाव की तैयारियों में जुटी है।
सत्ता पक्ष व विपक्षी पार्टियों के अलावा नगर निगम और नगर परिषद की कुछ सीटें ऐसी हैं जो निर्दलीय विधायकों के विधानसभा क्षेत्र में बढ़ती है। इनमें से चार सीट नगर पालिका की हैं, जिनमें तरावड़ी, निसिंग, महम और रानियां शामिल हैं। वहीं नगर परिषद चुनाव की बात करें तो चरखी दादरी सीट निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है।
नगर निकाय चुनाव को लेकर बात करें तो कुल 21 जिलों की 46 नगर परिषद नगर पालिका सीटों पर चुनाव होनी है। इनमें से 18 सीट नगर परिषद की है तो बाकी 28 नगर पालिका की हैं। फरीदाबाद अकेला जिला है जिसमें फिलहाल कोई निकाय चुनाव नहीं है।
सरकार की तरफ से 50 सीटों पर चुनाव के लिए रिकमेडेशन भेजी गई थी जिसमें से अंबाला सीट पर चुनाव नहीं होना है क्योंकि इसको सदर में तब्दील कर दिया है, तो वहीं बाकी 3 सीट ऐसी है जहां इलेक्टरल रोल रिवीजन का काम शुरू हुआ है। इनमें बादली, सीवन और बाढड़ा शामिल हैं।
निकाय चुनाव में सभी पार्टियां जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देंगी, इसमें किसी को कोई शंका नहीं लेकिन यह देखना भी रोचक होगा की किन नगर परिषद और नगर पालिका की सीटें सभी पार्टियों के दिग्गज नेताओं के विधानसभा क्षेत्र में पड़ती हैं। डिप्टी सीएम सीएम दुष्यंत चौटाला के हल्के उचाना में नगर पालिका चुनाव है जिस पर सबकी नजरें टिकी हुई है। तो वही टोहाना में नगर परिषद का चुनाव है।
टोहाना जजपा के विधायक और कैबिनेट मिनिस्टर देवेंद्र सिंह बबली का क्षेत्र है। वहीं चीका में भी नगर परिषद का चुनाव है जहां से जजपा के विधायक ईश्वर सिंह चुनाव जीत कर आए हैं। इसके अलावा पूर्व शिक्षा मंत्री और कांग्रेसी दिग्गज गीता भुक्कल के विधानसभा क्षेत्र झज्जर में भी नगर परिषद का चुनाव है तो उनके लिए भी यह चुनौती होगी कि पार्टी के कैंडिडेट या समर्थक को वहां से चुनाव जितवाएं।
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