India News Haryana (इंडिया न्यूज), Pakistan Muslim: वैसे तो पाकिस्तान में कई तरह के मुसलमान रहते हैं लेकिन पाक में सुन्नी समुदाय ने बाकी सभी समुदाय का जीना मुश्किल किया हुआ है। पाक में हमेशा से अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हुआ है। आपकी जानकारी के लिए बता दें, पाकिस्तान में 21 नवबंर को सुन्नी समुदाय ने शियाओं की गाड़ियों पर घात लगाकर हमला किया था। इसके बाद से दोनों पक्षों के बीच अब तक तनाव देखने को मिलता है। जी हाँ पाक में भी इस्लाम धर्म के अलग-अलग समुदायों के लोग रहते हैं जिनके बीच आपसी तनाव आम है। लेकिन शियाओं के अलावा अहमदिया मुस्लिमों पर सबसे ज्यादा जुल्म और अत्याचार किया जाता है। अब हालत कुछ ऐसी है कि ये लोग अपनी पहचान छुपाने पर मजबूर हो गए हैं।
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मुसलामानों में मजहबी तनाव सिर्फ शिया और सुन्नियों के बीच ही नहीं है बल्कि अहमदिया मुस्लिम भी इस हमले से अच्छे से वाकिफ हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें, पचास के दशक में लाहौर में अहमदिया मुस्लिमों पर पहली बार अत्याचार हुआ। आपको बता दें, पाक में अहमदिया मुसलामानों को काफिर कह कर पुकारा जाता है। वहीँ पाकिस्तान में इन्हे काफिर कहकर इनपर बहुत जुल्म हुए। हालात इतने बिगड़े कि तीन महीने का मार्शल लॉ लगाना पड़ा।
बताया जाता है कि लाहौर में हुई इस हिंसा में हजारों अहमदिया मुसलमानों ने अपनी जान गवाई।
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आपकी जानकारी के लिए बता दें, बाकी मुसलमानों की तरह ये समुदाय भी कुरान और पैगंबर हुजूर साहब को मानने वाला है।लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि अहमदिया मुस्लिम मोहम्मद साहब को आखिरी पैगंबर नहीं मानते। उनका मानना है कि उनके गुरु यानी मिर्जा गुलाम अहमद, मोहम्मद के बाद नबी थे।वहीँ पूरी दुनिया में इस्लाम को मानने वाले मोहम्मद को ही आखिरी पैगंबर मानते हैं। इसी कारण सुन्नी मुसलमान इनपर शुरू से अत्याचार करते आ रहे हैं।
केवल इसी कारण पाकिस्तान के लोग इन्हें मुस्लिम नहीं मानते। इतना ही नहीं बल्कि खुद अहमदिया भी अपने-आप को इस्लाम से जुड़ा नहीं बता सकते और न ही अपने धर्म का प्रचार कर सकते हैं, ऐसा इसलिए क्यूंकि पहचान बताने पर ही इनपर जुल्म किया जाता है। अगर वहां इनका मजहब पता लग जाए तोउन्हें 3 साल तक की सजा हो सकती है।
हैरानी की बात ये है कि केवल इस ही धर्म के मुसलामानों पर हज करने पर भी पाबंदी है।अहमदिया मुस्लिमों का यकीन बाकी मुसलमानों को इतना न बर्दाश्त है कि उनका हज पर जाना भी बैन है। इस्लाम धर्म के मुताबिक हर मुस्लिम को जीवन में एक बार हज करना अनिवार्य है लेकिन, अहमदियों के लिए सऊदी अरब ने दरवाजे बंद कर रखे हैं। वहीँ सऊदी भी इन्हे मुसलमान नहीं माना जाता। इसलिए कहा जा रहा है ये एक मात्र ऐसे मुसलमान हैं जिनपर सबसे ज्यादा अत्याचार किया जाता है।