इंडिया न्यूज, Haryana News। Pending case in Haryana : हरियाणा में कोर्ट में पेंडिंग केस का आंकड़ा निरंतर बढ़ता जा रहा है। प्रदेश की जिला अदालतों में पिछले साल नवंबर के महीने तक 5,17,970 केस लंबित थे और हरियाणा के पास अपना अलग से हाईकोर्ट (High Court) नहीं होने की वजह से अब तक इन आंकड़ों में इजाफा भी हो चुका होगा। अब अलग हाईकोर्ट बनाने की मांग (demand) उठने लगी है।
उपरोक्त जानकारी देते हुए पंजाब व हरियाणा बार काउंसिल (Punjab and Haryana Bar Council) के पूर्व चेयरमैन व जनशक्ति आवाज मंच के नेशनल कन्वीनर रणधीर सिंह बढ़रान (Randhir Singh Badran) ने बताया कि हरियाणा को तुरंत प्रभाव से अलग हाईकोर्ट की आवश्यकता है और हरियाणा के लिए अलग से हाईकोर्ट की व्यवस्था नहीं होने पर वो पूरे एक साल धरने व प्रदर्शन शुरू कर देंगे।
प्रैस क्लब में एक प्रैस वार्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने आगे कहा कि पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय (Punjab and Haryana High Court) के समक्ष कुल मामले लगभग 4,00000 हैं और जिला और अधीनस्थ न्यायालयों और अधीनस्थ न्यायालयों में पंजाब के 5,17,970, हरियाणा के 5,90,343 और चंडीगढ़ के 43121 हैं।
विभिन्न न्यायालयों में लंबित 4,69,46,370 करोड़ मामले (उच्चतम न्यायालय 70154, उच्च न्यायालय 58,90762 और 4,09,85,490/अधीनस्थ न्यायालयों के समक्ष) भारत न्याय वितरण प्रणाली के लिए खतरनाक स्थिति पैदा कर रहा है और अन्य मामलों को शामिल करने के बाद ट्रिब्यूनल और कमीशन यह 6 करोड़ से अधिक तक जाता है।
ऐसे में हरियाणा के लिए अलग उच्च न्यायालय (high Court) की मांग आज की जरूरत है। ट्रिब्यूनल, कमीशन आदि सहित भारत में सभी मुकदमों में 6 करोड़ से अधिक का मूल्यांकन किया गया और न्याय वितरण प्रणाली में मजबूत विश्वास बनाए रखने के लिए तत्काल कदमों की आवश्यकता थी।
उन्होंने आगे कहा कि भारत की केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के साथ-साथ भारत के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के साथ-साथ उच्च न्यायालयों के समक्ष बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि भारत में डोर स्टेप न्याय प्रदान करने के लिए मामलों के शीघ्र निपटान के लिए प्रणाली विकसित की जाए। हर संभव कदम उठा रहे हैं। भारत में मामलों की पेंडेंसी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
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