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Corona के Original Strain से बनी Antibody variants से लड़ाई में मददगार नहीं

Antibody variants made from Corona’s Original Strain are not helpful in fighting दुनियाभर में कोरोना वायरस का कहर जारी है। इस खतरनाक वायरस के लगातार आ रहे नए वेरिएंट वैज्ञानिकों की चुनौतियां बढ़ा रहे हैं। महामारी के शुरुआती दौर में कोरोना की चपेट में आने वाले पीडि़तों के शरीर में बनी एंटीबाडी को लेकर एक […]

BY: Mukta • UPDATED :
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Antibody variants made from Corona’s Original Strain are not helpful in fighting

दुनियाभर में कोरोना वायरस का कहर जारी है। इस खतरनाक वायरस के लगातार आ रहे नए वेरिएंट वैज्ञानिकों की चुनौतियां बढ़ा रहे हैं। महामारी के शुरुआती दौर में कोरोना की चपेट में आने वाले पीडि़तों के शरीर में बनी एंटीबाडी को लेकर एक नई स्टडी की गई है। इसमें दावा किया गया है कि मूल प्रकार के कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों में बनी एंटीबाडी नए वेरिएंट से मुकाबले में मददगार नहीं हो सकती। क्योंकि यह एंटीबाडी नए वेरिएंट से अच्छी तरह जुड़ नहीं पाती है। नेचर कम्यूनिकेशंस पत्रिका में स्टडी के नतीजों को प्रकाशित किया गया है।

महामारी के प्रारंभिक दौर में कोरोना के मूल प्रकार ने दुनियाभर में कहर बरपाया था। इसके बाद कोरोना के कई नए वेरिएंट सामने आए, जिनमें से कुछ मूल स्वरूप से ज्यादा संक्रामक पाए गए हैं। रिसर्च करने वालों ने अपनी स्टडी में कोरोना के स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ एंटीबाडी पर गौर किया। कोरोना अपने इसी प्रोटीन के जरिये मानव कोशिकाओं पर मौजूद रिसेप्टर से जुड़कर संक्रमण फैलाता है। ज्यादातर वैक्सीन में इसी स्पाइक प्रोटीन को साधा गया है।

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कहां हुई स्टडी

अमेरिका की इलिनोइस यूनिवर्सिटी के रिसर्चर टिमोथी टान ने कहा कि हमने वास्तव में कोरोना के ओरिजनल स्ट्रेन से संक्रमित होने वाले लोगों के शरीर में बनी एंटीबाडी की विशेषता पर ध्यान केंद्रित किया था। हमने जब यह स्टडी शुरू की थी, तब उस समय नए वेरिएंट समस्या नहीं थे। जब यह समस्या उभरी, तब हमने यह जानना चाहा कि हमने जिस तरह की एंटीबाडी की पहचान की है, क्या वे नए वेरिएंट से जुड़ने में सक्षम है या नहीं। रिसर्च टीम का कहना है कि शरीर के मुख्य एंटीबाडी रिस्पांस से वायरस का बचकर निकलना चिंता बढ़ाने वाली बात है।

आगे क्या करना है

शोधकर्ताओं ने कहा कि वे डेल्टा और अन्य प्रकारों के प्रति एंटीबॉडी प्रतिक्रियाओं की विशेषता वाली समान स्टडी करना चाहते हैं, यह देखने के लिए कि क्या वे एक अभिसरण प्रतिक्रिया उत्पन्न करते हैं और यह ओरिजनल स्ट्रेन से कैसे भिन्न होता है। टिमोथी टान आगे कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि उन वेरिएंट के लिए एंटीबॉडी की प्रतिक्रिया काफी अलग होगी। जब हमारे पास ऐसे रोगियों के एंटीबॉडी के बारे में अधिक डेटा होता है, जो वेरिएंट से संक्रमित होते हैं, तो इम्यून रिस्पॉन्स में अंतर को समझना उन दिशाओं में से एक है, जिसे हम आगे बढ़ाना चाहते हैं।

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