India News (इंडिया न्यूज), Benefits of Horse Gram Lentils: कुल्थी की दाल, जिसे “हॉर्स ग्राम” के नाम से भी जाना जाता है, न केवल भारतीय खाद्य परंपरा का एक अभिन्न हिस्सा है, बल्कि इसे आयुर्वेद में एक अद्भुत औषधि के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह दाल शरीर में पथरी जैसी तकलीफ को भी दूर करने की क्षमता रखती है। चलिए जानते हैं, कुल्थी की दाल के इतिहास, पोषण गुणों और स्वास्थ्य लाभों के बारे में।
कुल्थी की दाल का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है। इसका उपयोग वैदिक सभ्यता, गंगा बेसिन सभ्यता और यहां तक कि सरस्वती नदी सभ्यता के दौरान भी किया जाता था। हड़प्पा कालीन सभ्यता की खुदाई में भी कुल्थी के अवशेष मिले हैं, जो यह प्रमाणित करते हैं कि यह दाल प्राचीन समय से भारतीय उपमहाद्वीप में खाई जाती रही है। वेदों में इसके औषधीय गुणों का उल्लेख किया गया है।
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आधुनिक समय में इसे “भविष्य के लिए संभावित खाद्य स्रोत” के रूप में वर्णित किया गया है। इसका उपयोग मुख्य रूप से भारत के दक्षिणी और पहाड़ी इलाकों में किया जाता है। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इसे “गरीबों की दाल” के रूप में जाना जाता है, जो न केवल पोषण बल्कि चारे के रूप में भी उपयोगी है।
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कुल्थी की दाल में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, घुलनशील और अघुलनशील फाइबर, खनिज और जैविक रूप से सक्रिय यौगिक प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह दाल विशेष रूप से निम्नलिखित पोषक तत्वों से भरपूर है:
आयुर्वेद में कुल्थी की दाल को पथरी, कोलेस्ट्रॉल, बवासीर, और वजन घटाने जैसी समस्याओं के समाधान के लिए विशेष रूप से महत्व दिया गया है। इसे एक “सुपरफूड” माना जाता है।
कुल्थी की दाल न केवल एक प्राचीन खाद्य पदार्थ है, बल्कि यह स्वास्थ्य लाभों का खजाना भी है। इसका नियमित सेवन कई गंभीर बीमारियों से बचाव और उपचार में मददगार हो सकता है। आज के समय में, जब पोषण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, कुल्थी की दाल को अपने आहार में शामिल करना एक सशक्त कदम होगा।
तो आइए, इस प्राचीन दाल को अपनी थाली का हिस्सा बनाकर अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं।