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Corona महामारी ने दुनियाभर में तबाही मचाने के बाद लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। कई रिपोर्ट्स के मुताबिक विश्व भर में एक बड़ी संख्या में लोग मानसिक रोगों या समस्याओं से जूझ रहे हैं।
जहां कोरोना बीमारी के स्वभाव के चलते हुए लॉकडाउन और कठिन परस्थितियों ने लोगों को असहाय बना दिया वहीं अब कोविड गुजरने के कुछ महीनों बाद इसका असर देखने को मिल रहा है। यही वजह है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ लगातार लोगों से मानसिक रूप से मजबूत रहने और किसी भी परेशानी में चिकित्सकीय परामर्श लेने की अपील कर रहे हैं।
एक्सपर्ट का कहना है कि कोरोना के बाद लोगों में मानसिक बीमारियां या मानसिक परेशानियां तेजी से बढ़ी हैं। एक बड़ी संख्या में लोग आज मेंटल हेल्थ इश्यूज से जूझ रहे हैं। इसके पीछे कोरोना के दौरान पैदा हुई स्थितियां विशेष रूप से जिम्मेदार हैं।
हालांकि एक नया ट्रेंड देखने को मिला है वह यह है कि कोरोना से पहले तक महिला मरीजों में सबसे ज्यादा डिप्रेशन, एंग्जाइटी आदि के मामले सामने आते थे लेकिन कोविड के बाद अब ये लक्षण पुरुषों में सबसे ज्यादा मिल रहे हैं। इस बार डिप्रेशन या एंग्जाइटी के अलावा जो चीजें सबसे ज्यादा बढ़ी हैं वे हैं अपराध बोध, असहाय महसूस करना या बहुत गहरे और लंबे समय तक चले दुख में होने से पैदा होने वाली मानसिक परेशानियां।
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान खासतौर पर लोगों ने अपनों की मौतें बहुत नजदीक से देखी हैं। एक तरफ बीमारी का डर और दूसरी तरफ लोगों की मौतें और उस स्थिति में कुछ न कर पाने के हालात आज मानसिक मामलों के रूप में सामने आ रहे हैं। भारत में मृत्यु के बाद होने वाले संस्कार या रीति-रिवाज कोविड के चलते प्रभावित हुए हैं।
इस बार कोरोना मरीजों और गैर-कोरोना मरीजों दोनों में ही मानसिक इश्यूज सामने आ रहे हैं। जहां कोरोना से पीड़ित होने के बाद लोगों में दिमागी बीमारियां बढ़ी हैं और वे खतरनाक स्तर जैसे आत्महत्या तक पहुंच गई हैं वहीं गैर मरीजों में भी ऐसी चीजें देखने को मिली हैं। गैर मरीजों में लॉकडाउन, रोजगार छूटना, अपनों की मौत आदि कारणों से तनाव, अवसाद गुस्सा और खीझ बढ़ी है।
मानसिक रूप से परेशान लोगों को स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियां इस वक्त हो रही हैं। इनमें ये प्रमुख लक्षण भी सामने आ रहे हैं। थका हुआ महसूस करना, मन न लगना, अकेलापन महसूस करना, एकांत में रहना, किसी काम को करने की इच्छा न होना आदि।
अनिद्रा या नींद न आना, ज्यादा देर तक या रात-रात भर जागते रहना, सोने के बाद अचानक घबराकर उठ जाना, ज्यादा सोचना, बात करते करते कहीं खो जाना, दुर्घटना या बीमारियों के सपने आना, दुखद घटनाएं नींद में भी दोबारा देखना, ज्यादा चिंता करना आदि।
ईटिंग डिसऑर्डर जैसे किसी भी चीज को खाने का मन न करना, खाना छोड़ देना, ज्यादा मात्रा में खाना और हर समय खाना, बार-बार खाना न मिलने पर चिड़चिड़ापन आदि। हमेशा यह महसूस करना कि ऐसा करते तो बहुत कुछ हो जाता, खुद को दोष देना, हर चीज के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराना, अपराध बोध से भरे रहना, अपने आप को ही नुकसान पहुंचाना, निराशा से भर जाना आदि।
इस बार जो मानसिक बीमारियां देखने को मिली हैं वे ज्यादातर मामूली लक्षणों वाली हैं और कोविड होने के 2 से 3 महीनों के बाद देखने को मिल रही हैं। इनमें चिंता, तनाव, अवसाद, दुख, चिड़चिड़ापन और पीड़ा शामिल है।
हालांकि कम लक्षणों वाली ये बीमारियां समय के साथ ठीक होती जाती हैं। जैसे-जैसे माहौल सुधरेगा ये मरीज भी सामान्य जिंदगी में लौट आएंगे। इन्हें ठीक होने में करीब 6 से 8 महीने तक लग सकते हैं। हालांकि अगर मानसिक समस्या बढ़ती जा रही है तो चिकित्सक से सलाह लेना बहुत जरूरी हो जाता है ताकि आने वाले समय में ये परेशानी और न बढ़े।
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