संबंधित खबरें
पत्नी को हुए कैंसर के बाद Navjot Singh Sidhu ने दी ऐसी सलाह…बोले- '10-12 नीम के पत्ते, सेब का सिरका और फिर स्टेज 4 कैंसर छू'
कहीं आप भी तो रोज नहीं खाते हैं रोज पत्तागोभी, वरना हो जाएगा बड़ा नुकसान, जानिए न्यूरोलॉजिस्ट से बचने का आसान तरीका
30 साल पुरानी Blood Pressure की बीमारी को मात्र 15 दिन में ठीक कर देगा ये एक देसी उपाय, 2 महीने में तो शरीर हो जाएगा हर रोग से मुक्त
6 दिनों के अंदर जड़ से खत्म हो जाएगा बवासीर, जो कर लिया इन 2 चीजों का सेवन, जिंदगीभर के लिए पाइल्स से मिल जाएगा छुटकारा!
क्या आपको भी अंदर जकड़ लेता है कोल्ड और कफ, तो अपना लें घरेलू ये नुस्खे, अंदर जमी बलगम को खुरच कर करेगा बाहर!
इन 5 कारणों से सिकुड़ जाता है मर्दों का लिंग, अगर समय रहते हो गए सचेत तो वैवाहिक जीवन में पाएंगे चरम सुख
Difference between curd, buttermilk and probiotic ज्यादातर लोग दही और छांछ को एक ही चीज समझने की गलती कर बैठते हैं। कुछ लोग यह भी समझते हैं कि प्रोबायोटिक ही छांछ का दूसरा नाम है।
आमतौर पर यह भी माना जाता है कि दही का पतला रूप छांछ है। अगर आप भी ऐसा सोचते हैं, तो गलत हैं। दरअसल, इन तीनों चीजों में बहुत ज्यादा बुनियादी फर्क है। इन तीनों चीजों को अलग-अलग तरह से बनाए जाते हैं, इसलिए तीनों चीजों के गुण भी अलग-अलग होंगे। जानिए इन तीनों चीजों में क्या अंतर है।
दही को बनाने के लिए सबसे पहले दूध को पर्याप्त गर्म किया जाता है। इसके बाद इसे 30 से 40 डिग्री तक ठंडा किया जाता है और इसमें एक चम्मच दही मिलाया जाता है। दही में पहले से ही लैक्टिक एसिड और बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं
। इसे लैक्टोबैसिलस कहते हैं। लैक्टिक एसिड की उपस्थिति में बैक्टीरिया अरबों, खरबों में गुणन करता है। इस प्रक्रिया को किण्वीकरण यानी फर्मेंटेशन कहते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान नया दही बनकर तैयार हो जाता है। चूंकि दही में बैक्टीरिया मौजूद होते हैं, इसलिए यह हमारे पेट में चले जाते हैं, जो हमारी हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद हैं।
दही में कितने बैक्टीरिया होंगे यह दही कहां जमाया जा रहा है, इस बात पर निर्भर करता है। इसी आधार पर यह तय होता है कि दही में कितने बैक्टीरिया हैं और इनमें से कितने गुड बैक्टीरिया जीवित हमारी आंत में पहुंचते हैं।
छाछ बनाने की प्रक्रिया भी लगभग दही की तरह ही है लेकिन इसमें दो और तरह के बैक्टीरिया के स्ट्रेन किण्वीकरण के दौरान अलग से मिलाए जाते हैं। ये बैक्टीरिया हैं- लैक्टोबैसिलस वल्गैरिस और स्ट्रेप्टोकॉकस थर्मोफिलस।
इन दोनों बैक्टीरिया को मिलाने से छाछ की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ जाती है और यह पूरी तरह दही से अलग हो जाता है। दही की तुलना में छाछ में गुड बैक्टीरिया की संख्या और प्रकार दोनों ज्यादा होते हैं।
इन दोनों बैक्टीरिया को वैज्ञानिकों द्वारा लैब में बनाए जाते हैं। इसलिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि ये दोनों गुड बैक्टीरिया मनुष्य की आंत में जीवित जाए। इससे डाइजेशन सहित कई तरह के स्वास्थ्य फायदे हैं।
जब हम प्रोबायोटिक कहते हैं तो यह पूरी तरह वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार बनाया जाता है। इसमें बैक्टीरिया के स्ट्रेन को जीवित रखना होता है और जीवित ही इसे मनुष्य की आंत में पहुंचाना होता है।
प्रोबायोटिक योगर्ट में मौजूद बैक्टीरिया पेट में गैस्ट्रिक एसिड, बाइल और पैंक्रियाटिक एसिड की उपस्थिति में भी नहीं मरते। प्रोबायोटिक योगर्ट में मौजूद गुड बैक्टीरिया आंत में जीवित पहुंचते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
(Difference between curd, buttermilk and probiotic)
Read More : पहली बार प्रयोग होगा डीआरएस, आईसीसी की गवर्निंग बॉडी ने की घोषणा
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.