India News (इंडिया न्यूज),Intermittent Fasting: या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:। देवी मां का स्त्रोत मन को शांति देता है। अब 9 दिनों तक लोग मातारानी की भक्ति में डूबे रहेंगे क्योंकि आज से चैत्र नवरात्रि शुरू हो गई है। इस दौरान भक्त पूजा-अर्चना और व्रत रखते हैं क्योंकि भारतीय संस्कृति में त्योहारों के दौरान व्रत रखने की परंपरा सदियों पुरानी है। वैसे व्रत सिर्फ आस्था से ही नहीं बल्कि अच्छी सेहत से भी जुड़ा है। व्रत के दौरान जंक फूड खाने से जो ब्रेक मिलता है, उससे शरीर की मशीनरी को आराम मिलता है, जिससे शरीर को अपनी ऊर्जा बहाल करने में मदद मिलती है।
कई बार किसी भी बीमारी में व्रत दवा से भी ज्यादा कारगर साबित होता है। कई शोधों में दावा किया गया है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग से टाइप-2 डायबिटीज को उलटा जा सकता है। वो इसलिए क्योंकि इंटरमिटेंट फास्टिंग से पैंक्रियाज ज्यादा एक्टिव हो जाता है और इंसुलिन का उत्पादन बढ़ जाता लेकिन यदि आपका शर्करा स्तर कम रहता है, तो उपवास के कारण ग्लूकोज का स्तर कम हो सकता है, जिसके कारण अचानक अत्यधिक पसीना आना, शरीर में कंपन होना और दिल की धड़कन तेज हो जाना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
Intermittent Fasting: फास्टिंग से मिटेंगी बड़ी बीमारियां!
आपको कमजोरी महसूस हो सकती है। वहीं व्रत के दौरान शुगर के मरीजों के खानपान में बदलाव, ज्यादा मीठा और तले हुए व्यंजन खाने से शरीर में ग्लूकोज लेवल तेजी से बढ़ता है। अगर शुगर लेवल ज्यादा बढ़ जाए तो परेशानी होती है, ज्यादा घट जाए तो भी परेशानी होती है। ऐसे में वो 20 करोड़ से ज्यादा लोग जो डायबिटीज के शिकार हैं या प्री-डायबिटिक हैं उन्हें क्या करना चाहिए, कैसे व्रत रखना चाहिए? उन लोगों की परेशानी को कम करने के लिए आज हम नवरात्रि के पहले दिन ये खास शो कर रहे हैं ताकि उनका 9 दिनों का व्रत अच्छे से गुजरे। तो आइए योग गुरु से जानते हैं डायबिटीज के मरीजों को व्रत के दौरान कौन से योग करने चाहिए, क्या सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि उनका शुगर लेवल कंट्रोल में रहे।
डायबिटीज के मरीज को अपने खान-पान का खास ख्याल रखना चाहिए। डायबिटीज के मरीजों के लिए व्रत रखना आसान नहीं होता। ऐसे लोगों के खानपान में बदलाव या लंबे समय तक भूखे रहने से परेशानी बढ़ने लगती है। अगर डायबिटीज के मरीज लंबे समय तक बिना खाए-पीए रह जाते हैं तो शुगर लेवल कम हो जाता है जिसे हाइपोग्लाइसीमिया कहते हैं। इस स्थिति में मरीज के हाथ-पैर कांपने लगते हैं, कमजोरी महसूस होती है और दिल की धड़कन बढ़ जाती है। ऐसा तब होता है जब आप इंसुलिन नहीं लेते और बहुत ज़्यादा मीठा या तला हुआ खाना खाते हैं। अगर आप डायबिटीज़ के मरीज़ हैं और व्रत रखना चाहते हैं तो इन बातों का ध्यान रखें।
मेडिकल न्यूज टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में हाल ही में किए गए एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग से टाइप 2 डायबिटीज को उलटने में मदद मिल सकती है। इस अध्ययन में शामिल 47.20% लोगों की टाइप 2 डायबिटीज की समस्या 3 महीने तक इंटरमिटेंट फास्टिंग से पूरी तरह से ठीक हो गई। अध्ययन के नतीजे काफी चौंकाने वाले थे। यह अध्ययन ‘द जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म’ में प्रकाशित हुआ है। यह पहले ही साबित हो चुका है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग से शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस कम होता है और वजन घटाने में भी काफी मदद मिलती है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि पिछले कुछ दशकों में यह देखा गया है कि अपने खान-पान का ध्यान रखकर कम समय में तेजी से वजन कम करने वाले करीब 45 फीसदी लोग शुरुआती चरण में ही टाइप 2 डायबिटीज को उलट सकते हैं। वजन कम करने से अग्न्याशय में इंसुलिन का उत्पादन बढ़ता है और ब्लड शुगर को कम करने में मदद मिलती है। इससे लिवर और मांसपेशियों के लिए ब्लड शुगर को नियंत्रित करना आसान हो जाता है। कुल मिलाकर खान-पान का ध्यान रखकर टाइप 2 डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है और कुछ मामलों में इसे उलट भी किया जा सकता है। हालांकि डायबिटीज के मरीजों को इंटरमिटेंट फास्टिंग से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। दरअसल शुगर के मरीज जब व्रत रखते हैं तो उन्हें आम दिनों की तुलना में ज्यादा देर तक खाली पेट रहना पड़ता है। इससे उनके खून में ग्लूकोज की मात्रा कम हो सकती है। इस स्थिति को हाइपोग्लाइसीमिया कहते हैं, जो खतरनाक है।