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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
21 दिनों के अंतराल के साथ स्पूतनिक वी वैक्सीन को दोनों खुराक ली जा सकती है। वहीं डॉ रेड्डीज ने इसके बारे में बताया कि वैक्सीन की दोनों खुराक एक ही अस्पताल से लेनी चाहिए। स्पूतनिक वी जो कि अब भारतीय कंपनियों के द्वारा तैयार की जा रही है, इसकी डोज के बीच के अंतराल में भी परिवर्तन नहीं किया जा रहा है। वहीं हाल ही में केंद्र सरकार ने राज्यों को ऐसे कई मानक बताएं हैं, जिनके आधार पर यह पता लगाया जा सकता है कि आपको दी जा रही वैक्सीन असली है या फिर नकली। केंद्र सरकार ने इस संबंध में सभी राज्यों को को पत्र लिखा है। जानकारी के मुताबिक इस चिट्ठी में राज्यों कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पूतनिक-वी टीकों से जुड़ी हर जानकारी बताई है ताकि यह पता लगाया जाए कि ये टीके नकली तो नहीं हैं फिलहाल देश में इन्हीं तीन टीकों से टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है।
केंद्र ने राज्यों को एक असली वैक्सीन की पहचान के लिए सभी जरूरी जानकारी दी है, जिसे देखकर पहचान की जा सकती है कि वैक्सीन असली है या नकली। इसमें अंतर पहचानने के लिए कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पूतनिक-वी तीनों वैक्सीन पर लेबल, उसके कलर, ब्रांड का नाम क्या होता है, इन सब की जानकारी साझा की गई है।
स्पूतनिक वी वैक्सीन रूस की दो अलग प्लांटों से आयात की गई है, इसलिए इन दोनों के लेबल भी कुछ अलग-अलग हैं। हालांकि, सभी जानकारी और डिजाइन एक सा ही है, बस मैन्युफेक्चरर का नाम अलग है। अभी तक जितनी भी वैक्सीन आयात की गई हैं, उनमें से सिर्फ 5 एमपूल के पैकेट पर ही इंग्लिश में लेबल लिखा है। इसके अलावा बाकी पैकेटों में यह रूसी में लिखा है। रूसी की स्पुतनिक वी वैक्सीन 94 फीसदी तक कारगर है। इस वैक्सीन को भारत के साथ-साथ 60 से अधिक देशों में मंज़ूरी दी हुई है। कोवैक्सीन टीका 81 फ़ीसद तक प्रभावी है । कोवैक्सीन के टीके 123 देशों में भेजे जाते है।
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