Dengue Myths: देश में डेंगू के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं, जिसमें से सिर्फ दिल्ली में दो हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आ चुके हैं। बता दें कि जो साल 2017 के बाद से काफी बड़ा आंकड़ा बताया जा रहा है। इस वक्त ज़रूरी है कि हम डेंगू से बचने के लिए खास सुरक्षा के कदम उठाएं ताकि हमारे घर के आसपास मच्छर न पैदा हों। घर पर मॉसकीटो नेट, रिपेलेंट स्प्रे, क्रीम्स आदि का उपयोग करें।
जितना इस बीमारी से बचना ज़रूरी है, उतनी ही ज़रूरी है कि इससे जुड़े मिथकों पर विश्वास न करना और उनका सच जानना। अक्सर बीमारियों के साथ कई तरह के मिथक भी जुड़ जाते हैं, जिसकी वजह से इलाज और मेडिकल हेल्प में देर हो जाती है। यहां हम आपको बताते है डेंगू से जुड़े मिथकों के सच के बारे में पूरी जानकारी।
ऐसे कई मामले देखे जा चुके हैं, जिसमें लोग कोविड और डेंगू दोनों का एक साथ शिकार हो गए हैं। बता दें कि सिंगापुर में ऐसे ही कुछ मामले सामने आए थे, जिसमें मरीज़ पहले डेंगू के लिए नेगेटिव पाए गए लेकिन पास में लगातार बुखार आने पर अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। आखिर में पता चला कि वो डेंगू और कोविड दोनों से पीड़ित थे।
कोरोना वायरस और डेंगू में तुलना करना ही मुमकिन नहीं है, क्योंकि ये दोनों रोग दो अलग तरह के रोगजनकों के कारण होते हैं। ये दोनों बीमारियां गंभीर हैं, एक ने दुनिया भर में महामारी का रूप लिया, तो दूसरी हर साल खास मौसम में स्वास्थ्य सुविधाओं और मानव जीवन के जोखिम पर भारी बोझ डालती है। इसकी आपस में तुलना कभी भी नहीं की जा सकती है, साथ ही इन्हें कम भी आंका नहीं जाना चाहिए।
यह सही नहीं! एक व्यक्ति को जीवन में चार बार डेंगू हो सकता है। साथ ही इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि दूसरी बार डेंगू ज़्यादा गंभीर हो जाए। वायरस के चार सीरोटाइप हैं जो डेंगू का कारण बनते हैं। आम धारणा है कि संक्रमण डेंगू से आजीवन प्रतिरक्षा प्रदान करता है, जबकि यह पूरी तरह से सच नहीं है। आपको इम्यूनिटी सिर्फ उस खास टाइप के डेंगू की ही मिलती है, बाकी तीन टाइप की नहीं।
लोगों को पता होना चाहिए कि डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है। डेंगू में होने वाले दर्द को सहना आसान नहीं है। डेंगू बेहद ख़तरना बीमारी है, जिसके गंभीर हो जाने पर जीवन भर के लिए सेहत को नुकसान पहुंच सकते हैं।
डेंगू की शुरुआत होती है गंभीर सिर दर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, मतली, उल्टी, सूजी हुई ग्रंथियां और दानों से। कुछ मामलों में प्लाज़्मा के लीक होने, तरल पदार्थ जमा होने, सांस लेने में तकलीफ, गंभीर रक्तस्राव या अंग खराब होने के कारण संक्रमण गंभीर हो जाता है। मरीज़ों में पेट में तेज़ दर्द, लगातार उल्टी, तेज़ी से सांस लेना, मसूड़ों या नाक से खून आना, थकान, बेचैनी, लीवर का बढ़ना, उल्टी या मल में खून आना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
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