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Benefits and Harms of Ashwagandha and Honey : आयुर्वेद में अश्वगंधा को बहुत ही फायदेमंद औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। अश्वगंधा शरीर की कई समस्याओं में फायदेमंद माने जाते हैं। मानसिक और शारीरिक समस्याओं के लिए अश्वगंधा का सेवन बहुत ही फायदेमंद होता है। कई लोगों का यह सवाल है कि अश्वगंधा और शहद का एक साथ सेवन करने से क्या होता है?
अश्वगंधा और शहद का एकसाथ सेवन करने से शरीर की मानसिक और शारीरिक समस्याओं में फायदा मिलता है। शरीर में इन्फेक्शन होने पर और सूजन की समस्या में भी अश्वगंधा और शहद का सेवन बहुत उपयोगी माना जाता है। आइये जानते हैं अश्वगंधा और शहद के फायदे और नुकसान
अश्वगंधा पाउडर बेनिफिट्स में बालों को स्वस्थ रखना और झड़ने से बचाना भी शामिल है। एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, आनुवंशिक कारण व थाइरायड की वजह से झड़ रहे बालों को रोकने में अश्वगंधा मदद कर सकता है। अश्वगंधा बालों के मेलेनेन को भी बढ़ा सकता है, जिसकी वजह से बालों का रंग बना रहता है।
अश्वगंधा चूर्ण का सेवन करने से टोटल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है। साथ ही यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाने में मदद कर सकता है। अश्वगंधा में हाइपोलिपिडेमिक प्रभाव होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में कुछ मदद कर सकता है।
नींद न आने की समस्या से जूझ रहे लोग अश्वगंधा का सेवन कर सकते हैं। अश्वगंंधा के पत्तों में ट्राएथिलीन ग्लाइकोल नामक यौगिक होता है, जो गहरी नींद में सोने में मदद कर सकता है। इस रिसर्च के आधार पर कहा जा सकता है कि अनिद्रा के शिकार लोगों के नींद की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए अश्वगंधा का सेवन किया जा सकता है।
हर कोई चाहता है कि उनके बाल समय से पहले सफेद न हों। इस चाहत को अश्वगंधा से पूरा किया जा सकता है। यह आयुर्वेदिक औषधि बालों में मेलानिन के उत्पाद को बढ़ाती है। मेलेनिन एक प्रकार का पिगमेंट होता है, जो बालों के प्राकृतिक रंग को बनाए रखने में मदद करता है
तनाव की समस्या कई बीमारियों का कारण बन सकती है। आयुर्वेदिक औषधि अश्वगंधा में मौजूद एंटी-स्ट्रेस गुण तनाव कम करके इसके कारण होने वाली बीमारियों से बचा सकता है।
कई बार स्ट्रेस और अच्छी नींद न आने की वजह से भी डैंड्रफ होने लगता है। दरअसल, ऐसा सेबोरेहिक डमेर्टाइटिस त्वचा विकार के दौरान हो सकता है। इसमें स्कैल्प में खुजली, लाल चकत्ते और डैंड्रफ होने लगता है। ऐसे में अश्वगंधा में मौजूद एंटी-स्ट्रेस गुण लाभदायक हो सकता है। यह स्ट्रेस को खत्म करके डैंड्रफ दूर कर सकता है। साथ ही इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी सेबोरेहिक डमेर्टाइटिस को ठीक कर सकता है।
अश्वगंधा में एंटी-ट्यूमर एजेंट होते हैं, जो ट्यूमर को पनपने से रोक सकते हैं। साथ ही अश्वगंधा बतौर कैंसर के इलाज के रूप में इस्तेमाल होने वाली कीमोथेरेपी के नकारात्मक प्रभाव को खत्म करने में मदद कर सकता है।
जैसा कि हम ऊपर बता ही चुके हैं कि अश्वगंधा मस्तिष्क के विकार चिंता, अवसाद और तनाव को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, हमने लेख में यह भी जिक्र किया है कि यह किस तरह से याददाश्त को बेहतर रखने में सहायक हो सकता है। इतना ही नहीं, मस्तिष्क के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अश्वगंधा लाभकारी है।
आयुर्वेदिक औषधि अश्वगंधा के जरिए डायबिटीज से भी बचा जा सकता है। इसमें मौजूद हाइपोग्लाइमिक प्रभाव, ग्लूकोज की मात्रा को कम करने में सहायक हो सकता है। अश्वगंधा डायबिटीज से बचाव में उपयोगी हो सकता है।
हड्डियों के साथ-साथ मांसपेशियोंं का मजबूत होना भी जरूरी है। मांसपेशियों के लिए अश्वगंधा का सेवन लाभकारी हो सकता है। इसके सेवन से मांसपेशियां मजबूत होने के साथ ही दिमाग और मांसपेशियों के बीच बेहतर तालमेल बन सकता है। यही कारण है कि जिम जाने वाले और अखाड़े में अभ्यास करने वाले पहलवान भी अश्वगंधा के सप्लीमेंट्स लेते है।
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर नहीं होगी, तो बीमारियों से लड़ना मुश्किल हो जाता है। अश्वगंधा चूर्ण के उपयोग से रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार हो सकता है। इसमें मौजूद इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव शरीर की जरूरत के हिसाब से प्रतिरोधक क्षमता में बदलाव कर सकता है, जिससे रोगों से लड़ने में मदद मिल सकती है। इसलिए, माना जाता है कि अश्वगंधा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
अश्वगंधा की जड़ के अर्क का सेवन करने से भूख और वजन में कमी पाई गई। शोध में बताया गया है कि अश्वगंधा की जड़ का अर्क तनाव के मनोवैज्ञानिक लक्षणों में सुधार कर सकता है। यह तनाव और चिंता को कम कर भोजन की तीव्र इच्छा में कमी लाकर वजन को कम करने में सहायक हो सकता है। हालांकि, शोध में यह भी कहा गया है कि तनाव की वजह से बढ़ने वाले वजन को कम करने की अश्वगंधा की क्षमता को लेकर आगे और भी अध्ययन की जरूरत है। यहां हम स्पष्ट कर दें कि वजन कम करने के लिए अश्वगंधा के साथ-साथ संतुलित आहार और नियमित व्यायाम भी जरूरी है।
गले में मौजूद तितली के आकार की थायराइड ग्रंथि जरूरी हार्मोंस का निर्माण करती है। जब ये हार्मोंस असंतुलित हो जाते हैं, तो शरीर का वजन कम या ज्यादा होने लगता है। इसके कारण कई अन्य तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। इसी अवस्था को थायराइड कहते हैं।
तेजी से लोग आंखों से जुड़ी बीमारियां का शिकार हो रहे हैं। मोतियाबिंद जैसी बीमारियों के मामले भी बढ़ने पर हैं। कई लोग मोतियाबिंद से अंंधे तक हो जाते हैं। अश्वगंधा में एंटीआॅक्सीडेंट गुण होते हैं, जो मोतियाबिंद से लड़ने में मदद कर सकते हैं। अध्ययन में पाया गया है कि अश्वगंधा मोतियाबिंद के खिलाफ प्रभावशाली तरीके से काम कर सकता है। यह मोतियाबिंद को बढ़ने से रोकने में कुछ हद तक लाभकारी हो सकता है।
स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही और बदलती दिनचर्या तेजी से मस्तिष्क की कार्य क्षमता को प्रभावित कर सकती है। अश्वगंधा मस्तिष्क की कार्यप्रणाली और याददाश्त पर सकारात्मक असर डाल सकता है। जैसा कि हम ऊपर बता ही चुके हैं कि अश्वगंधा लेने से नींद भी अच्छी आ सकती है, जिससे मस्तिष्क को आराम मिलता है और वह बेहतर तरीके से काम कर सकता है।
जिनका बीपी लो होता है उन्हे अश्वगंधा का सेवन नहीं करना चाहिए।
अश्वगंधा का अधिक इस्तेमाल पेट के लिए हानिकारक हो सकता है। इसे लेने से डायरिया की समस्या हो सकती है। इसलिए इसके इस्तेमाल से पहले आप डॉक्टर की सलाह लें उसके बाद ही इसका सेवन करें।
अश्वगंधा का इस्तेमाल नींद के लिए अच्छा है। लेकिन इसका बहुत दिनों तक इस्तेमाल आपको नुकसान भी पहुंचा सकता है।
अश्वगंधा का सही डोज न लेने से आपको उल्टी और जी मिचलाने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
अश्वगंधा का ज्यादा प्रयोग आपके लिए नुकसानदायक भी हो सकता है।
अश्वगंधा के ज्यादा इस्तेमाल से आपको बुखार, थकान, दर्द की शिकायत भी हो सकती है।
Benefits and Harms of Ashwagandha and Honey
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