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Emotional Eating: तनाव होने पर क्यों लगती है ज्यादा भूख?

Suman Tiwari • LAST UPDATED : January 27, 2022, 3:03 pm IST

Emotional Eating: तनाव होने पर क्यों लगती है ज्यादा भूख?

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
स्वास्थ्य शरीर के लिए समय-समय पर थोड़ा थोड़ा खाना सही रहता है लेकिन अचानक ज्यादा खाना खाने से आपके शरीर में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए समय रहते अपने (Emotional Eating) इमोशनल ईटिंग(यानि तनाव में ज्यादा भूख लगना) को बढ़ने से रोकें। ताकि आप मोटापा या किसी बीमारी का शिकार होने से बच सकें।

बता दें कि बहुत से लोगों को तनाव या दु:ख की स्थिति में खाने की इच्छा नहीं करती। उनकी भूख मर जाती है, लेकिन कई लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें टेंशन के समय ज्यादा भूख लगने लगती है। वे अपनी डाइट से ज्यादा खाने लगते हैं। आज हम आपको इस लेख के जरिए बताएंगे कि इमोशनल ईटिंग क्या है और इससे कैसे बचें।

Emotional Eating

क्या है Emotional Eating?

इमोशनल ईटिंग, जैसे नकारात्मक और परेशान करने वाले विचारों और भावनाओं जिसमें गुस्सा, डर, थकान शामिल है, को दबाती है। इस स्थिति में हम प्रतिकूल स्थिति से बाहर निकलने की अस्थायी कोशिश करते हैं। इस स्थिति में भूख ज्यादा लगती है। कहते हैं कि इमोशनल ईटिंग की सबसे ज्यादा शिकार महिलाएं होती हैं। वे अपने नेगेटिव इमोशन्स को हैंडल करने के लिए खाने का सहारा लेती हैं।

इस दौरान वे काबोर्हाइड्रेट, वसा और शुगर वाली चीजें खाने लगते हैं। इमोशनल ईटिंग में अक्सर आपका वजन बढ़ जाता है। फिर इसे कम करना मुश्किल होता है। किसी भी तरह का तनाव या दुख होने पर एड्रिनल ग्रंथि के द्वारा कॉर्टिसोल का लेवल बढ़ जाता है। कॉर्टिसोल को स्ट्रेस हार्मोन के नाम से भी जाना जाता है। तनाव के समय नींद पूरी नहीं होती। इस कारण से भी कॉर्टिसोल बढ़ने लगता है। इन वजहों से भी भूख ज्यादा लगने लगती है।

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क्या भूख दो तरह की होती है?

(Emotional Eating, normal Eating) जी हां, भूख दो तरह की होती है। पहली नार्मल भूख  दूसरी इमोशनल भूख। पर इन दोनों काफी अंतर होता है। नार्मल भूख- हमेशा धीरे-धीरे लगती है। इसमें आप किसी भी तरह का हेल्दी खाना खाने के लिए तैयार रहते हैं। इसमें जब पेट भर जाता है तब आप खाना बंद कर देते हैं। इमोशनल भूख– यह भूख अचानक लगती है। इसमें ज्यादा फैट और शुगर वाला खाना खाने का मन हमेशा करता है। पेट भरा होने के बावजूद खाने का मन करता है।

What are the disadvantages of emotional eating ?

आपका पाचनतंत्र हो सकता है खराब। ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है। वजन तेजी से बढ़ सकता है। पेट निकलने लगता है। हर समय सुस्ती बनी रहती है। शरीर में कई बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।

Emotional Eating

कैसे रुकेगी इमोशनल ईटिंग?

रोजाना आधा घंटे एक्सरसाइज जरूरी करना चाहिए। खाली समय पर कोई किताब या डायरी आदि लिखें। कुछ पढ़ें ऐसा करने से नार्मल भूख लगेगी और इमोशनल भूख से ध्यान हट जाएगा। हेल्दी खाना खाने के लिए जागरुक रहेंगे। तनाव दूर करने में मदद मिलेगी।

मन का संतुलन जरूरी

आप जब भी खाना खाने जाएं तो अपना मन विचलित नहीं करना चाहिए। (balance of mind is necessary) दिन में एक बार तनाव फ्रि होकर खाना खाएं। हर समय कोशिश करें कि परिवार या दोस्तों के साथ बैठकर खाना खाना खाएं। एक बात का हमेशा ध्यान रखें कि जो भी चीज खाएं उसको पूरे मस्ती के साथ खाएं।

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