India News (इंडिया न्यूज़),Himachal Pradesh: प्रति व्यक्ति आय में मौजूदा वित्त वर्ष में 7.5 फीसदी की बढ़ोतरी संभावित। हिमाचल प्रदेश में बड़ी प्राकृतिक आपदा के बावजूद राज्य में विकास दर बढ़ी है। चालू वित्त वर्ष में प्रदेश की आर्थिक विकास की दर के 7.1 फीसदी की दर से उछाल भरने का अनुमान है। यह बीते वित्त वर्ष 2022-23 की 6.9 फीसदी से 0.2 प्रतिशत अधिक है। प्रदेश की आर्थिकी में कृषि क्षेत्र का योगदान लगातार कम हो रहा है, जबकि उद्योगों व सेवा क्षेत्र का योगदान तेजी से बढ़ रही है। आर्थिकी में कृषि क्षेत्र का योगदान 1990-91 के 26.5 फीसदी से कम हो कर बीते वित्त वर्ष में महज 9.45 फीसदी रह गया।
विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन शुक्रवार को सदन में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण का यही लब्बो लुबाब है। हिमाचल में बीते साल भयावह प्राकृतिक आपदा आई, जिसमें सैकड़ों लोग बेघर हुए। इससे 9 हजार करोड़ से अधिक का नुकसान हिमाचल को हुआ। प्राकृतिक आपदा के चलते आर्थिक गतिविधियां करीब 4 माह ठप रही। प्रदेश की आर्थिकी में अहम योगदान देने वाले पर्यटन क्षेत्र को आपदा से भारी मार पड़ी। बावजूद इसके सरकार के प्रयासों से विकास की रफ्तार मंद नहीं पड़ी।
मौजूदा वित्त वर्ष में हिमाचल में प्रति व्यक्ति आय 2 लाख 35 हजार 199 रुपए संभावित
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में हिमाचल में प्रति व्यक्ति आय 2 लाख 35 हजार 199 रुपए रहने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले इसमें 16411 रुपए की बढ़ोतरी संभावित है। बीते वित्त वर्ष में संशोधित अनुमानों के मुताबिक प्रति व्यक्ति आय 2 लाख 18 हजार 788 रुपए थी, जबकि 2021-22 में प्रति व्यक्ति आय एक लाख 95 हजार 795 रुपए थी। 2021-22 के मुकाबले वर्ष 2022-23 में प्रति व्यक्ति आय में करीब 11.7 फीसदी का ईजाफा हुआ है और मौजूदा वित्त वर्ष में इसमें 7.5 फीसदी की बढ़ोतरी होने की संभावना है।
मौजूदा वित्त वर्ष में राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 2 लाख 7430 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। बीते वित्त वर्ष में प्रदेश की जीएसडीपी एक लाख 91 हजार 728 करोड़ रुपए थी, जबकि 2021-22 में प्रदेश की जीएसडीपी एक लाख 24 हजार 770 करोड़ रुपए थी। 2020-21 के मुकाबले जीएसडीपी में 6.9 फीसदी का ईजाफा चालू वित्त वर्ष में दर्ज हुआ है।
राज्य में लोगों द्वारा गरीबी से बाहर निकलने के प्रयास सफल रहे हैं और 4.67 लाख गरीबी से उभरे हैं। प्रदेश में बहुआयामी गरीबी दर 2013-14 में 10.14 फीसदी थी, जो कि घटकर पिछले वर्ष तक 3.88 फीसदी रह गई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण पर आधारित गरीबी सूचकांक के अनुसार प्रदेश में हेड काउंट गरीबी दर घट रही है।
रोजगार के मामले में हिमाचल पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और अखिल भारतीय स्तर से आगे है। हिमाचल में यह दर 61.3 फीसदी, उत्तराखंड 42.5, पंजाब 42.3, हरियाणा 36.3 और अखिल भारतीय स्तर पर 42.4 फीसदी है। इन आंकड़ों को देखते हुए साफ है कि हिमाचल प्रदेश बहुत आगे है। सभी उम्र के लिए हिमाचल प्रदेश में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 58.6 फीसदी रहा, जबकि उत्तराखंड में 40.6, पंजाब में 39.7, हरियाणा में 34.1 और अखिल भारतीय अनुपात 41.1 फीसदी है। प्रदेश में 54.8 फीसदी महिलाएं पड़ोसी राज्यों व अखिल भारतीय स्तर के 27.0 की तुलना में आर्थिक गतिविधियों में अधिक सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं। बेरोजगारी की बात की जाए तो प्रदेश में 4.4 फीसदी, उत्तराखंड में 4.5 और पंजाब व हरियाणा में 6.1 फीसदी है।
हिमाचल में सैलानियों की आमद में बढ़ोतरी हो रही है। प्राकृतिक आपदा के बावजूद हिमाचल में सैलानियों की संख्या कोरोना काल से पहले के समय तक पहुंच रही है। प्रदेश में वर्ष 2022 में एक करोड़ 51 लाख सैलानी आए थे, जबकि वर्ष 2023 में यह संख्या बढ़कर एक करोड़ 60 लाख पांच हजार पहुंच गई। हिमाचल सरकार का पूरा फोकस सैलानियों की संख्या को बढ़ाकर 5 करोड़ वार्षिक तक लाना है। इस दिशा में पर्यटन गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। बता दें कि कोरोना काल में वर्ष 2020 में राज्य में सैलानियों के आने का आंकड़ा 32.13 लाख थी और वर्ष 2021 में इसमें बढ़ोतरी हुई थी और यह 56.37 लाख तक पहुंची थी। इसके बाद सैलानियों के हिमाचल में आने की रफ्तार में भारी बढ़ोतरी हुई और वर्ष 2022 में आंकड़ा एक करोड़ 51 पहुंच गया।
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