History Of Indian Army Regiment : क्यों उठ रही 'अहीर रेजिमेंट' बनाने की मांग? - India News
होम / History Of Indian Army Regiment : क्यों उठ रही 'अहीर रेजिमेंट' बनाने की मांग?

History Of Indian Army Regiment : क्यों उठ रही 'अहीर रेजिमेंट' बनाने की मांग?

Suman Tiwari • LAST UPDATED : March 29, 2022, 2:17 pm IST
ADVERTISEMENT
History Of Indian Army Regiment : क्यों उठ रही 'अहीर रेजिमेंट' बनाने की मांग?

History Of Indian Army Regiment

History Of Indian Army Regiment

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
भारतीय सेना में कई तरह के रेजिमेंट होते हैं। जो जाति के आधार पर हैं जैसे कि-जाट रेजिमेंट, सिख रेजिमेंट आदि। ऐसे ही अब अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग जोरों शोरों से उठ रही है। क्योंकि कि अभी हाल ही में हरियाणा में रोहतक से कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी संसद में अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग उठाई है। बता दें कि ये मांग नयी नहीं है।

बल्कि 2018 में इसी मांग को लेकर संयुक्त’अहीर रेजिमेंट’ मोर्चा ने नौ दिनों तक अनशन किया था, लेकिन चार साल बीतने के बाद भी यह मांग अभी तक पूरी नहीं की गई है। तो चलिए जानते हैं क्या है अहीर रेजिमेंट की मांग का पूरा मामला। क्या होता है रेजिमेंट। भारतीय सेना में जातिगत रेजिमेंट कब शुरू हुई। इसमें भर्तियां कैसे होती हैं।

सेना में भर्ती प्रक्रिया क्या?  ( Army Recruitment Process )

सेना में भर्ती प्रक्रिया को लेकर डिफेंस एक्सपर्ट का कहना है कि इन्फेंट्री में भर्ती होने के लिए किसी भी समुदाय और जाति के लोग आवेदन कर सकते हैं। वहीं क्षेत्र की बात की जाए तो सेना कहीं से भी जाकर लोगों की सेना में भर्ती कर सकती है। सबसे पहले सैनिकों को ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है। उसके बाद उन्हें चॉइस दी जाती है, जिसमें वह बताते हैं कि वह किस रेजिमेंट या बटालियन में जाना चाहते हैं। हालांकि यह जरूरी नहीं कि सैनिक को उस की चॉइस से रेजिमेंट मिल ही जाए।

क्या होता है रेजिमेंट?  (History Of Indian Army Regiment)

बता दें कि भारतीय सेना में रेजिमेंट एक ग्रुप होता है। कई रेजिमेंट के ग्रुपों से मिलकर भारतीय सेना बनती है। भारत में रेजिमेंट सबसे पहले अंग्रेजी हुकूमत के दौरान बनी थी। अंग्रेज अपने शुरूआती समय में समुद्री इलाकों तक ही सीमित थे। इसीलिए उन्होंने सबसे पहले मद्रास रेजिमेंट बनाई। फिर जैसे-जैसे अंग्रेजी शासन का विस्तार बढ़ता गया वैसे-वैसे नई-नई रेजिमेंट बनती चली गईं। जैसे- राजपूत रेजिमेंट, गोरखा रेजिमेंट, महार रेजिमेंट, राजपूताना राइफल्स, सिख रेजिमेंट और डोगरा रेजिमेंट यह जाति आधारित रेजिमेंट हैं।

जाति के हिसाब से कैसे बनी रेजिमेंट?

History Of Indian Army Regiment

  • कहते हैं कि अंग्रेजों के समय से भारतीय सेना में ज्यादातर व्यवस्थाएं चली आ रही हैं। भारत के पास जो सेना है, उस सेना में अधिकतर व्यवस्थाएं अंग्रेजों की देन है। ब्रिटिश अपनी सेना की एक छोटी सी टुकड़ी और अफसरों के साथ भारत आए थे। इसके बाद उन्होंने ब्रिटिश सेना में भर्ती शुरू की।
  • इसके बाद अंग्रेजों ने समुद्री इलाकों से अपना विस्तार शुरू किया, तो सबसे पहले अंग्रेजों ने ऐसी जातियों को सेना में शामिल किया। जो युद्ध के मैदान में बहादुरी से लड़ती थीं। सिख साम्राज्य ने अंग्रेजों के खिलाफ तीन युद्ध लड़े, जिसमें अंग्रेजों ने सिखों की बहादुरी आंखों से देखी। इसके बाद अंग्रेजों ने 1846 में ब्रिटिश भारतीय सेना में सिख रेजिमेंट को बनाया।
  • सिख रेजिमेंट में अधिकतर सिखों की भर्तियां हुईं। पहले तीन राजपूत रेजिमेंट को 31 बंगाल नेटिव इन्फेंट्री के नाम से बनाया गया था। इसके बाद इस रेजिमेंट के दूसरे कप्तान सैमुएल किलपैट्रिक के नाम पर बंगाल नेटिव को किलपैट्रिक की पलटन कहा जाने लगा। इस पलटन में यूपी-बिहार के राजपूत, ब्राह्मण और मुस्लिम शामिल हो सकते थे। इस क्षेत्र से आने वाले ये समाज अपनी मजबूत कद-काठी, रौबदार व्यक्तिव के लिए जाने जाते थे। 1825 तक राजपूत रेजिमेंट 1, 2, 4 और 5 की भी स्थापना हो गई थी।

कितनी जायज है अहीर रेजिमेंट की मांग?

History Of Indian Army Regiment

 

बीते चार फरवरी से दिल्ली-गुरुग्राम की सीमा पर संयुक्त अहीर मोर्चा के बैनर तले लोग अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग उठा रहे हैं। इस मांग का समर्थन करने वालों का तर्क है कि 70 सालों से अहीर समुदाय ने देश के लिए कई बलिदान दिए हैं। मांग करने वालों का कहना है कि अहीर रेजिमेंट बनाकर शहादत देने वाले लोगों को सम्मान दिया जाए, लेकिन इस मांग को डिफेंस एक्सपर्ट ने राजनीति से प्रेरित बताया। उनका कहना है कि राजनीतिक पार्टियों के लोग देश और समाज को किसी न किसी तरह बांटना चाहते हैं। सेना में कभी कोई ऐसी मांग न तो की गई है और न ही होगी, यह मांग सिर्फ वोट बैंक पॉलिटिक्स को ध्यान में रखकर की जा रही है।

कहां से आया ‘अहीर’ शब्द?  (History Of Indian Army Regiment)

अहीर रेजिमेंट में ‘अहीर’ शब्द कहां से आया। दरअसल, हरियाणा के दक्षिणी जिले रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम के पूरे क्षेत्र को अहीरवाल कहा जाता है। इसका संबंध राजा राव तुलाराम से है जो 1857 की क्रांति के अहीर हीरो थे। वह रेवाड़ी स्थित रामपुरा रियासत के राजा थे। अहीरवाल की भूमि पर अंग्रेजों से मुकाबला करने वाले राजा राव को क्रांति का महानायक कहा जाता है। इस क्षेत्र में काफी समय से अहीर रेजिमेंट की मांग हो रही है। जिन-जिन राज्यों में अहीर आबादी ज्यादा है, वहां यह मांग अक्सर उठती रहती है।

क्या आजादी के बाद बनी जातीय रेजिमेंट?

  • कहते हैं कि 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ था। इसके बाद भारत को एक के बाद एक बड़े युद्ध लड़ने पड़े। इस कारण आजादी के तुरंत बाद सेना में बदलाव करना उचित नहीं समझा गया था। आजादी के बाद एम करियप्पा को भारतीय सेना का पहला कमांडर इन चीफ बनाया गया। उन्होंने पुरानी व्यवस्था के साथ सेना को नए भारत के लिए तैयार करने का काम किया। इसके लिए एम करियप्पा ने नेशनल कैडेट कोर को मजबूत किया, साथ ही टेरिटोरियल आर्मी का गठन भी किया।
  • हालांकि आजादी के बाद सबसे बड़ा सुधार ब्रिगेड आॅफ द ग्रार्डस मेकेनाइज्ड इन्फेंट्री को माना जाता है। इसमें किसी धर्म, जाति और समुदाय के आधार पर भर्तियां नहीं होती हैं। देश में आजादी के बाद सेना में भर्ती प्रक्रिया में सुधार करने के लिए चारे समितियां बनाई गईं, लेकिन आजादी के बाद किसी सरकार ने सेना में नई जातीय रेजिमेंट बनाने या भंग करने की बात नहीं कही।

आफिसर रैंक पर जातिगत रेजिमेंट का क्या असर?

History Of Indian Army Regiment

  • जाति आधारित रेजिमेंट में एक जाति के लोगों के साथ कई जातियां एक रेजिमेंट में अपनी सेवाएं दे सकती हैं। हालांकि अफसर रैंक पर रेजिमेंट में भर्ती होने को लेकर कोई जातीय या धार्मिक पैमाना नहीं है। जैसे- राजपूताना राइफल्स में जाट और राजपूत समुदाय की संख्या लगभग बराबर ही रहती है। साथ ही राजपूत रेजिमेंट (जो राजपूताना राइफल्स से अलग रेजिमेंट है) में राजपूत, गुर्जर और मुस्लिम अपनी सेवाएं दे सकते हैं।
  • रेजिमेंट में चाहे एक जाति के लोग हों या मिक्स्ड, अफसर पद के लिए किसी भी व्यक्ति (धर्म, जाति या नस्ल से संबधित) को नियुक्त किया जा सकता है। इसके अलावा नियुक्तिहोने के बाद अफसर को उसकी रेजिमेंट की सभी जातीय या धर्मिक परम्पराएं निभानी होती हैं।

आजादी से पहले कौन-कौन सी रेजिमेंट बनी?

आजादी से पहले 1758 में मद्रास रेजिमेंट बनी। पंजाब रेजिमेंट 1761 में, मराठा लाइट इन्फेंट्री 1768 में, गोरखा राइफल्स 1815 में, सिख रेजिमेंट 1846 में, डोगरा रेजिमेंट 1877 में, 1887 में गढ़वाल राइफल्स बनी, महार रेजिमेंट 1941 में, बिहार रेजिमेंट 1941 में, असम रेजिमेंट 1941 में और 1944 में सिख लाइट इन्फेंट्री बनी।

History Of Indian Army Regiment

READ ALSO : Ukraine Russia War Updates न रूस रूका, न यूक्रेन झुका

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

UP Madrasa Law: SC ने दी यूपी मदरसा एक्ट को मान्यता, जानिए क्या है ये कानून
UP Madrasa Law: SC ने दी यूपी मदरसा एक्ट को मान्यता, जानिए क्या है ये कानून
Athiya Shetty के बर्थडे पर पति केएल राहुल ने बरसाया प्यार, खूबसूरत तस्वीरें देख आपके भी उड़ जाएंगे होश
Athiya Shetty के बर्थडे पर पति केएल राहुल ने बरसाया प्यार, खूबसूरत तस्वीरें देख आपके भी उड़ जाएंगे होश
Khatu Shyam Mandir: खाटू श्याम भक्तों के लिए जरूरी खबर, 19 घंटे बंद रहेंगे मंदिर के द्वार; चेक करें समय
Khatu Shyam Mandir: खाटू श्याम भक्तों के लिए जरूरी खबर, 19 घंटे बंद रहेंगे मंदिर के द्वार; चेक करें समय
कनाडा में हमले के बाद पंजाब के सीएम ने PM Modi से की बड़ी मांग, हिन्दुओं पर हमला करने वालों के खिलाफ बड़ा एक्शन लेंगे भारतीय पीएम
कनाडा में हमले के बाद पंजाब के सीएम ने PM Modi से की बड़ी मांग, हिन्दुओं पर हमला करने वालों के खिलाफ बड़ा एक्शन लेंगे भारतीय पीएम
Rajasthan By Election 2024: मदन दिलावर ने किया सचिन पायलट के आरोप पर पलटवार, कही ये बड़ी बात
Rajasthan By Election 2024: मदन दिलावर ने किया सचिन पायलट के आरोप पर पलटवार, कही ये बड़ी बात
Tikamgarh News: ई-रिक्शा के पेड़ से टकराने के चलते किशोर की मौत, अनबैलेंस होने से हुआ हादसा
Tikamgarh News: ई-रिक्शा के पेड़ से टकराने के चलते किशोर की मौत, अनबैलेंस होने से हुआ हादसा
I Want To Talk का ट्रेलर हुआ रिलीज, अपनी जिंदगी की चुनौतियों का सामना कर रहे Abhishek Bachchan की एक्टिंग ने जीता फैंस का दिल
I Want To Talk का ट्रेलर हुआ रिलीज, अपनी जिंदगी की चुनौतियों का सामना कर रहे Abhishek Bachchan की एक्टिंग ने जीता फैंस का दिल
मंदिर में हुए हमले के बाद हिंदुओं का खौला खून, कनाडा में अब होगा बड़ा खेला, जस्टिन ट्रूडो की उल्टी गिनती शुरू
मंदिर में हुए हमले के बाद हिंदुओं का खौला खून, कनाडा में अब होगा बड़ा खेला, जस्टिन ट्रूडो की उल्टी गिनती शुरू
कलियुग की पत्नियों में पाए जानें वाले ये 8 अवगुणों के बारे में पहले ही रावण से ऐसे शब्द कह चुकी थी मंदोदरी, आज सच हो रही है हर एक बात?
कलियुग की पत्नियों में पाए जानें वाले ये 8 अवगुणों के बारे में पहले ही रावण से ऐसे शब्द कह चुकी थी मंदोदरी, आज सच हो रही है हर एक बात?
ट्रंप-हैरिस के बीच बड़ी टक्कर में कौन होगा विजेता, जानें कैसे होगा अमेरिकी राष्ट्रपति का चयन, क्या कहता है पूरा गणित?
ट्रंप-हैरिस के बीच बड़ी टक्कर में कौन होगा विजेता, जानें कैसे होगा अमेरिकी राष्ट्रपति का चयन, क्या कहता है पूरा गणित?
क्या है झारखंड और महाराष्ट्र में कांग्रेस की चुनावी प्रचार की रणनीति, स्थानीय नेताओं को दी गई कमान
क्या है झारखंड और महाराष्ट्र में कांग्रेस की चुनावी प्रचार की रणनीति, स्थानीय नेताओं को दी गई कमान
ADVERTISEMENT