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खाद्य वस्तुओं में गिरावट के चलते नवंबर महीने में खुदरा महंगाई दर घटकर 11 महीने के निचले स्तर 5.88 फीसदी पर आ चुकी है सरकार से लेकर आरबीआई इससे राहत की सांस ले रही है अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई दर जब 7.79 फीसदी के लेवल पर जा पहुंची थी उसके बाद से आरबीआई ने मॉनिटरी पॉलिसी के जरिए इस पर नकेल कसने के लिए पांच बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की 7 महीने में रेपो रेट को आरबीआई ने 4 फीसदी से बढ़ाकर 6.25 फीसदी कर दिया नतीजा लोगों की ईएमआई महंगी हो गई यानि महंगाई की दोहरी मार पर सवाल उठता है कि महंगाई दर में गिरावट से क्या आम लोगों को फायदा होगा?
खाद्य वस्तुएं खासतौर से साग-सब्जी फल की कीमतें घटी हैं इसलिए खुदरा महंगाई दर में कमी आई है और आगे भी खाने-पीने की चीजों में कमी का सिलसिला जारी रहा तो खुदरा महंगाई दर में और भी कमी आ सकती है भारत के लिए राहत की बात ये है कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल के दामों में कमी आई है और ये घटकर 80 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ गया है जब भी सरकार पेट्रोल डीजल के दामों में कमी का फैसला लेती है तो इससे ईंधन के दाम घटेंगे जिससे महंगाई कम होगी क्योंकि यात्रा करने से लेकर माल ढ़ुलाई सस्ती होगी अगर सरकार घरेलू गैस की कीमतों को तय करने के लिए बनाई गई किरीट पारिख कमिटी के सुझाव मान लेती है तो सीएनजी-पीएनजी भी सस्ती होगा जिससे महंगाई में कमी आ सकती है।
खुदरा महंगाई दर में कमी का मतलब है कर्ज के महंगे होने के सिलसिले पर ब्रेक लग सकता है आरबीआई पांच दफा 2022 में रेपो रेट में बढ़ोतरी कर चुकी है लेकिन दिसंबर 2022 और जनवरी 2023 में खुदरा महंगाई दर आरबीआई के टोलरेंस लेवल के अपर बैंड 6 फीसदी के नीचे रहा तो फरवरी 2023 में होने वाले मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक में आरबीआई ब्याज दरें बढ़ाने पर ब्रेक लगा सकती है यानि रेपो रेट में बढ़ोतरी नहीं होगी लेकिन महंगे कर्ज से राहत मिलने में अभी समय लगेगा एसबीआई की पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार वृंदा जागीरदार के मुताबिक, आरबीआई ने कहा था कि भविष्य में महंगाई घटने का ट्रेड नजर आ रहा है महंगाई को लेकर चिंता कम होगी अगर महंगाई कम होगी तो आरबीआई आने वाले मॉनिटरी पॉलिसी में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगी और जो मौजूदा लेवल है उस पर बरकार रखेगी।
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