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India News (इंडिया न्यूज़), UN Resolution Against Israel: हिंदुस्तान उन 13 राष्ट्रों में शामिल था, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में शुक्रवार (5 मार्च) को एक प्रस्ताव अपनाया। जिसमें गाजा में संभावित युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराए जाने की मांग की गई थी। दरअसल, इजराइल के कब्जे वाले फ़िलिस्तीनी क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति पर प्रस्ताव, पक्ष में 28 और विरोध में छह वोटों से पारित हुआ। जिसमें इज़राइल पर हथियार प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया गया। साथ ही कहा गया कि सभी देशों को इज़राइल को हथियारों और सैन्य उपकरणों की बिक्री और हस्तांतरण को रोकना चाहिए ताकि इसे आगे बढ़ने से रोका जा सके। अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन और मानवाधिकारों का उल्लंघन और दुरुपयोग है।
बता दें कि, जॉर्जिया, जापान और नीदरलैंड उन देशों में शामिल थे, जो इस्लामिक संगठन की तरफ से पाकिस्तान द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव के दौरान भारत के साथ अनुपस्थित रहे। ओआईसी को 47 सदस्यीय मानवाधिकार परिषद में मतदान के लिए रखा गया था। जिसके ख़िलाफ़ वोट करने वाले देशों में अमेरिका और जर्मनी भी शामिल थे। इस मामले के जानकार लोगों ने कहा कि भारत का बहिष्कार कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति पर पिछले प्रस्तावों पर उसके पारंपरिक रुख के अनुरूप था। भारत ने संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष मानवाधिकार निकाय द्वारा अपनाए गए तीन अन्य प्रस्तावों के पक्ष में मतदान किया।जिसमें फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन किया गया।
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उलट मानवाधिकार परिषद के प्रस्ताव राज्यों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं, हालांकि इस प्रस्ताव का उद्देश्य इज़राइल पर राजनयिक दबाव बढ़ाना और संभावित रूप से राष्ट्रीय नीति निर्णयों को प्रभावित करना था। जिन देशों ने प्रस्ताव में भाग नहीं लिया या इसके विरुद्ध मतदान किया। उन्होंने नोट किया कि इसमें हमास का उल्लेख करने से परहेज किया गया, जिसके पिछले साल 7 अक्टूबर को हुए आतंकवादी हमलों के कारण संघर्ष शुरू हो गया था। वहीं इज़राइल ने इस प्रस्ताव की आलोचना की और मानवाधिकार परिषद पर इजरायल के लोगों को त्याग ने का आरोप लगाया।
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