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राष्ट्रद्रोह कानून की धारा 124 ए में संशोधन हो : सुब्रमण्यम स्वामी

India News Desk • LAST UPDATED : May 20, 2022, 12:39 pm IST
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राष्ट्रद्रोह कानून की धारा 124 ए में संशोधन हो : सुब्रमण्यम स्वामी
इंडिया न्यूज। Unlawful Activities Prevention Act UAPA: राष्ट्रद्रोह के कानून पर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा लगाई रोक पर बात करते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि राष्ट्रद्रोह कानून का दुरुपयोग होता है तो उसे ठीक करने में समय लगता है। इस कानून के अंतर्गत अगर कोई गलत गिरफ़्तारी होती है तो गिरफ्तार करने वालों पर जुर्माना लगना चाहिए।

राष्ट्रद्रोह कानून की धारा 124 ए में संशोधन होना चाहिए : सुब्रमण्यम स्वामी

सत्ता में मौजूद लोगों को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। माओवादी संविधान को रद्द करना चाहते हैं और एक नई व्यवस्था खड़ी करना चाहते हैं। हमारे पास दो रस्ते हैं राष्ट्रद्रोहियों को ठीक करने के लिए। पहला कि मौजूदा राष्ट्रद्रोह कानून की धारा 124 ए में संशोधन होना चाहिए।
124 ए में अगर आप सरकार के विरोध में विद्रोह करते हैं तो आपके ऊपर कार्रवाई होगी। वहीं, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (Unlawful Activities (Prevention) Act) UAPA में आप राष्ट्र के विरोध में कोई गतिविधि करते हैं तो आपके ऊपर कार्रवाई कि जाएगी। तो मुझे लगता है UAPA को लाना चाहिए।
सुब्रमण्यम स्वामी ने आपराधिक मानहानि यानि आईपीसी की धारा 499 पर बात करते हुए कहा कि मैंने इस पर एक याचिका वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट में डाली थी। उस समय अरुण जेटली और रोतगी ने इसका डटकर विरोध किया। जजों ने याचिका को ध्यान में रखते हुए काफी संसोधन किए हैं।

कुछ बोलने से किसी का मूल अधिकार नहीं छीन जाते

लेकिन जो मूल बात है याचिका में वो यह कि सिर्फ कुछ बोलने पर किसी के मूल अधिकार छीने नहीं जा सकते हैं। यह तो लोकतंत्र विरोधी है। यह कानून अंग्रेजों ने बनाए थे लेकिन इंग्लैंड ने इसे रद्द कर दिया। अमेरिका ने तो बहुत पहले ही इस कानून को रद्द कर दिया था।
मेरे अनुसार आप उस व्‍यक्ति पर जुर्माना लगा सकते हैं। आप सिविल प्रोसीजर कोर्ट में कर सकते हैं लेकिन ये क्रिमिनल प्रोसीजर हटाना चाहिए। ऐसे कानूनों को हटाने के लिए मंशा होनी चाहिए। मुझे नहीं लगता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह चाहेंगे कि ये ब्रह्मास्त्र हमारे पास नहीं होना चाहिए।

राजीव ने कहा था कि कांग्रेस में आ जाओ : सुब्रमणयम स्वामी

कांग्रेस के साथ अपने संबंधों के बारे में बात करते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि मैं सोनिया गांधी के करीब नहीं था लेकिन राजीव से था। बहुत अच्छे दोस्त थे। जब वो वर्ष 1981 के उपचुनाव से विधानसभा में चुनकर आए थे, तब वो मेरे साथ ही बैठते थे। तब वो हमेशा मुझसे पूछते थे कि किस मुद्दे पर क्या बोलना। फिर धीरे धीरे हम चाय पर मिलते थे। जबकि मैं कांग्रेस विरोधी था। राजीव गांधी ने कई बार कहा कि आप कांग्रेस में आइये मैं आपको मिनिस्टर बना दूंगा। लेकिन मैंने हर बार मना कर दिया।

रामसेतु को भी राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा मिले

काशी और मथुरा में चल रहे मस्जिद विवाद पर सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा नहीं दिया। और मैंने अकेले राम सेतु के मौजूद होने के बारे में सिद्ध किया था। वाजपयी इस परियोजना को लाए थे।
साल 1964 में कई साधु संतों ने मुझसे मुलाकात की थी और कहा था कि हजारों सालों पहले कई मंदिरों को तोड़ा गया था लेकिन हम उनका निर्माण दूसरी जगह पर कर सकते हैं। लेकिन तीन ऐसे मंदिर हैं जो हमारी धार्मिक विधि के अनुसार उसी जगह पर बनाने पड़ेंगे।
पहला राम मंदिर, दूसरा कृष्णा जन्म भूमि और तीसरा काशी विश्वनाथ जहां भगवन शिव ने खुद ज्योतिर्लिंग भेजा थी। ऐसी श्रद्धापूर्ण जगह को छोड़ कर इन मंदिरों का निर्माण हम कहीं और नहीं कर सकते। 12 ज्योतिर्लिंग में से 11 तो सुरक्षित हैं लेकिन काशी के ज्योतिर्लिंग को औरंगजेब ने तीन बार तोड़ा और दो बार हिन्दुओं ने खुद इसका निर्माण किया। तीसरी बार औरंगजेब ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने का फरमान जारी किया था।
मथुरा की मस्जिद को लेकर वर्ष 1986 में सेठों ने एक समझौता किया था जिसमें कहा था कि मंदिर यहां बनेगा और मस्जिद भी साथ में बनेगी। 3 जगहों कि मांग को मान लो और 40 हजार हम छोड़ देंगे। इसके बाद हिन्दू शांत हो जाएंगे तो सब शांत हो जाएंगे। मैं तो चाहता हूं कि मुस्लिम भी मान लें कि इनके पूर्वज भी हिन्दू थे तो सब शांति से रहेंगे। हमारा और मुसलमानों का डीएनए एक ही है वो सब धर्म परिवर्तन करके मुस्लमान बने हैं।

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