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13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname, What is Ranjit Murder Case?

India News Editor • LAST UPDATED : October 12, 2021, 6:04 pm IST
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13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname, What is Ranjit Murder Case?

13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname

अमित शर्मा, चंडीगढ़:

13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख ने अपने मायाजाल को बुनने के लिए और अपने आप को सिक्योर करने के लिए सबसे पहले राजनैतिक संरक्षण लेना चाहा था, जिसमें वो अपने समर्थकों की हरियाणा, पंजाब सहित कई राज्यों में वोट बैंक दिखा कामयाब भी हो गया था। गुरमीत सिंह ने अपने आसपास अपने विश्वास के लोगों का भी जाल बुना हुआ था, जो उसके बारें में राजनीतिक पार्टियों को और पार्टियों के बारे में उसे जानकारी देते थे।

जिसमें ज्यादातर फायदा गुरमीत सिंह को ही होता था। जिस मामले में पंचकूला की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने गुरमीत सिंह को दोषी करार दिया है, और जिसे लेकर गुरमीत सिंह को सीबीआई कोर्ट के सामने रहम की गुहार लगानी पडी, वो मामला असल में ठीक 19 साल पहले शुरू हुआ था। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह के काले कारनामों से पर्दा उठता जा रहा है। कैसे वो अपने डेरे की मदद से उतर भारत के हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान में वोट बैंक तैयार कर रहा था।

सबसे पहले उसने अपने आप को बचाने के लिए राजनीतिक संरक्षण लेने की कोशिश की। वह राजनीतिक पार्टियों को अपना वोट बैंक दिखाने में भी सफल रहा। राजनीतिक पार्टियां इलेक्शन जीतने के लिए उसके डेरे में हाजिरी लगवाती थी। बड़े-बड़े राजनेताओं का उसके साथ उठना बैठना था। गुरमीत सिंह ने अपने आसपास अपने विश्वास के लोगों का भी जाल बुना हुआ था, जो उसके बारें में राजनीतिक पार्टियों को और पार्टियों के बारे में उसे जानकारी देते थे।

13 मई 2002 को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम गई चिट्ठी (13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname)


रिकॉर्ड के अनुसार 13 मई 2002 को भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर एक चिट्ठी लिखी गई थी। जिसमें मीडिया में भी भेजा गया, लेकिन ज्यादातर ने इसे छापा ही नहीं था। वहीं सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया था। इस चिट्ठी के बाहर आते ही हरियाणा, पंजाब में विवाद खडा हो गया।

पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या का मामला भी चिटठी से जुड़ा (13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname)


सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या का मामला भी इसी चिट्ठी से जुड़ा था। रामचंद्र ने ही सबसे पहले अपने अखबार में यह चिट्ठी प्रकाशित की थी। उसके बाद छत्रपति ने लगातार मामले को अखबार में छापा था। ठीक उसी समय पर रणजीत सिंह डेरा सिरसा का प्रबंधक था। डेरा प्रमुख को लगा कि इस चिट्ठी को लिखवाने या प्रधानमंत्री तक पहुंचाने में रणजीत सिंह का अहम रोल है। इस चिट्ठी में डेरे के बारे में कई बातें लिखी थी। जानने के लिए खबर पढ़ते रहें…

रणजीत सिंह हत्याकांड की पूरी कहानी (13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname)

10 जुलाई 2002 को डेरे की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे कुरुक्षेत्र के रणजीत सिंह की गोली मारकर हत्या की गई थी। क्योंकि डेरा प्रबंधन को शक था कि रणजीत सिंह ने साध्वी यौन शोषण की गुमनाम चिट्ठी अपनी बहन से ही लिखवाई थी। 10 जुलाई 2002 को अपने घर से कुछ ही दूरी पर जीटी रोड के साथ लगते अपने खेतों में नौकरों को चाय पिलाकर वापस घर जा रहा था। हत्यारों ने अपनी गाड़ी जीटी रोड पर खड़ी की हुई थी, जब रणजीत सिंह अपने खेत से वापिस बाहर आया, तो हत्यारों ने बहुत करीब से उस पर गोलियां चलाई थी। गोलियां चलाने वालों में पंजाब पुलिस का कमांडो सबदिल सिंह, अवतार सिंह, इंद्रसेन और कृष्णलाल शामिल थे।

रणजीत सिंह की हत्या करने के बाद हत्यारों ने इस्तेमाल किए गए हथियार डेरे में जाकर जमा करवा दिए थे। रणजीत सिंह डेरा की उच्च स्तरीय प्रबंधन समिति का सदस्य था। वह डेरामुखी के काफी करीब माना जाता था। इतना ही नहीं जब भी डेरा प्रमुख जीटी रोड से निकलता था, तो वह रणजीत सिंह के घर रुककर जाता था।

पहले रणजीत सिंह का घर गांव के बीच में था, लेकिन बाद में उसने जीटी रोड के साथ ही कुछ गज की दूरी पर कोठी बनवाई ताकि डेरामुखी की गाड़ियां गांव की भीड़ में ना जाएं। सूत्रों के अनुसार इतना ही नहीं रणजीत सिंह ने डेरामुखी की सेवा में लाखों रुपये भी खर्च किए थे। डेरा प्रमुख और उसके खासमखास मानते थे, कि डेरे से चिट्ठी बाहर जाने के मामलें में रणजीत सिं की भूमिका है, जिसके चलते उसकी हत्या कर दी गई थी।

तीन लोगों ने दी थी रणजीत सिंह केस में गवाही (13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname)

रणजीत सिंह हत्याकांड में तीन गवाह महत्वपूर्ण थे। इनमें दो चश्मदीद गवाह सुखदेव सिंह और जोगिंद्र सिंह हैं। उनका कहना था कि उन्होंने आरोपितों को रंजीत सिंह पर गोली चलाते हुए देखा था। तीसरा गवाह गुरमीत का ड्राइवर खट्टा सिंह था, जिसके सामने रंजीत को मारने की साजिश रची गई थी। खट्टा सिंह ने अपने बयान में कहा था कि गुरमीत राम रहीम ने उसके सामने ही रंजीत को मारने के लिए बोला था। हालांकि बाद में खट्टा सिंह अदालत के सामने बयान से मुकर गया था। कई साल बाद खट्टा सिंह फिर से कोर्ट में पेश हो गया और गवाही दी। उसकी गवाही के बाद ही कोर्ट ने मामले में सजा सुनाई ।

पांच साल की कवायद के बाद 2007 में कोर्ट ने मामले में आरोप तय किए (13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname)

रणजीत सिंह हत्याकांड का मामला 14 साल तक तारीख दर तारीख चलता रहा है और 21 अगस्त 2021 को बचाव पक्ष की अंतिम बहस पूरी हुई थी। 26 अगस्त 2021 को कोर्ट ने मामले की फाइनल सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। 8 अक्टूबर 2021 को रणजीत सिंह हत्या मामले में सीबीआई कोर्ट ने सुनारिया जेल में बंद राम रहीम के साथ कृष्ण लाल, सबदिल, अवतार और जसबीर को दोषी करार दिया गया है. वहीं, इस केस के एक आरोपी इंदरसैन की मौत हो चुकी है।

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साध्वी यौन शोषण मामले में सजा काट रहा है गुरमीत सिंह (13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname)

साध्वी यौन शोषण मामले में गुरमीत राम रहीम को 25 अगस्त 2017 को पंचकूला स्पेशल सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया था। जब उसे यहां दोषी करार दिया गया था, तो उसके बाद पंचकूला में गुरमीत सिंह के समर्थकों ने आगजनी, पत्थरबाजी, तोडफोड की घटनाओं को अंजाम दिया था।

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जिसके चलते पंचकूला में पत्रकारों की गाडियों सहित एक बैंक में आग लगा दी गई थी। पुलिस पर पत्थराव किया गया थातो वहीं गुरमीत सिंह को कोर्ट से भगाने की साजिश को अंजाम देने की कोशिश की गई थी। जिसके चलते एक आईपीएस अधिकारी को गुरमीत सिंह के समर्थक ने थप्पड भी मारा था। इस मामले में अभी तक उन लोगों को मुआवजा नहीं मिला है, जिनकी गाडियों को जलाया गया था, तो वहीं बाकी प्रॉपर्टी का नुकसान हुआ था।

छत्रपति रामचंद्र मामले में भी है दोषी (13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname)

गुरमीत राम रहीम को वर्ष 2019 में पत्रकार छत्रपति रामचंद्र के मर्डर मामले में भी सजा सुनाई गई थी। जब कि उसे पहले ही साध्वी यौन शोषण में सजा हो चुकी थी। ऐसे में उसे जेल से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही पेश किया गया था। ऐसे में इस बार भी उसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया जा सकता है। क्यों कि उसे सुनारिया जेल से पंचकूला तक लेकर आने में कानून व्यवस्था बिगड सकती है।

  (13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname)

  • डेरे के महाराज द्वारा सैकड़ों लड़कियों से बलात्कार की जांच करें। श्रीमान जी, निवेदन यह है कि मैं पंजाब की रहने वाली हूं और 5 साल से डेरा सच्चा सौदा सिरसा, हरियाणा (धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा) में साधु लड़की के रूप में कार्य कर रही हूं। मेरे साथ यहां सैकड़ों लड़कियां भी डेरे में 16 से 18 घंटे सेवा करती हैं। हमारा यहां शारीरिक शोषण किया जा रहा है। साथ में डेरे के महाराज गुरमीत सिंह द्वारा यौन शोषण (बलात्कार) किया जा रहा है। (13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname)
  • मैं बीए पास लड़की हूं। मेरे परिवार के सदस्य महाराज के अंध श्रद्धालु हैं, उनकी प्रेरणा से मैं डेरे में साधु बनी थी. साधु बनने के 2 साल बाद एक दिन महाराज गुरमीत की परम शिष्या साधु गुरुजोत ने रात के 10 बजे मुझे बताया कि आपको पिताजी ने गुफा (महाराज के रहने का स्थान) में बुलाया है। मैं क्योंकि पहली बार वहां जा रही थी, मैं बहुत खुश थी। यह जानकर कि आज खुद परमात्मा ने मुझे बुलाया है। (13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname)

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  • गुफा में ऊपर जाकर जब मैंने देखा महाराज बेड पर बैठे हैं। हाथ में रिमोट है, सामने टीवी पर ब्लू फिल्म चल रही है। बेड पर सिराहने की ओर रिवॉल्वर रखा हुआ है। मैं यह सब देखकर हैरान रह गई। मुझे चक्कर आने लगे। मेरे पांव के नीचे की जमीन खिसक गई। यह क्या हो रहा है। महाराज ऐसे होंगे? ऐसा मैंने सपने में भी नहीं सोचा था महाराज ने टीवी बंद किया व मुझे साथ बैठाकर पानी पिलाया और कहा कि मैंने तुम्हें अपनी खास प्यारी समझकर बुलाया है। मेरा यह पहला दिन था। (13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname)
  • महाराज ने कहा कि तुमने हमारे साथ साधु बनते वक्त तन-मन-धन सब सतगुरु के अर्पण करने को कहा था। तो अब ये तन-मन हमारा है। मेरे विरोध करने पर उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं हम ही खुदा हैं। जब मैंने पूछा कि क्या यह खुदा का काम है तो उन्होंने कहा श्रीकृष्ण भगवान थे। उनके यहां 360 गोपियां थीं जिनसे वह हर रोज प्रेम लीला करते थे, फिर भी लोग उन्हें परमात्मा मानते हैं। (13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname)
  • यह कोई नई बात नहीं है हम चाहें तो इस रिवॉल्वर से तुम्हारे प्राणपखेरू उड़ाकर दाह संस्कार कर सकते हैं। तुम्हारे घरवाले इस प्रकार से हमारे ऊपर विश्वास करते हैं व हमारे गुलाम हैं। वह हमारे से बाहर जा नहीं सकते। यह तुमको अच्छे से पता है हमारी सरकार में बहुत चलती है। हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री, पंजाब के केंद्रीय मंत्री हमारे चरण छूते हैं। राजनीतिज्ञ हमसे समर्थन लेते हैं, पैसा लेते हैं और हमारे खिलाफ कभी नहीं जाएंगे। (13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname)

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  • हम तुम्हारे परिवार के नौकरी लगे सदस्यों को बर्खास्त करवा देंगे। सभी सदस्यों को अपने सेवादारों (गुंडों) से मरवा देंगे। सबूत भी नहीं छोड़ेंगे। यह तुम्हें अच्छी तरह पता है कि हमने गुंडों से पहले भी डेरे के प्रबंधक फकीर चंद को खत्म करवा दिया था जिनका अता-पता तक नहीं है। न ही कोई सबूत बकाया है, जो कि पैसे के बल पर हम राजनीतिक व पुलिस और न्याय को खरीद लेंगे।
  • मेरे साथ मुंह काला किया और पिछले तीन मास में 20-30 दिन बाद किया जा रहा है। आज मुझको पता चला कि मेरे से पहले जो लड़कियां रहती थीं, उन सबके साथ मुंह काला किया गया है। डेरे में मौजूद 35-40 साधु लड़की 35-40 वर्ष की उम्र से अधिक हैं जो शादी की उम्र से निकल चुकी हैं। जिन्होंने परिस्थितियों से समझौता कर लिया है। इनमें ज्यादातर लड़कियां बीए, एमए, बीएड, एमफिल पास हैं। (13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname)
  • मगर घरवालों के अंधविश्वासी होने के कारण नरक का जीवन जी रही हैं। हमें सफेद कपड़े पहनना, सिर पर चुन्नी रखना, किसी आदमी की तरफ आंख न उठाकर देखना, आदमी से 5-10 फुट की दूरी पर रहना महाराज का आदेश है। दिखाने में देवी हैं, मगर हमारी हालत वेश्याओं जैसी है। मैंने एक बार अपने परिवारवालों को बताया कि डेरे में सब कुछ ठीक नहीं है तो मेरे घर वाले गुस्से में होते हुए कहने लगे कि अगर भगवान के पास रहते हुए ठीक नहीं है तो ठीक कहां है। तेरे मन में बुरे विचार आने लग गए हैं। (13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname)
  • सतगुरु का सिमरण किया कर। मैं मजबूर हूं। यहां सतगुरु का आदेश मानना पड़ता है। यहां कोई भी दो लड़कियां आपस में बात नहीं कर सकतीं। घरवालों को टेलीफोन मिलाकर बात नहीं कर सकतीं। घरवालों का हमारे नाम फोन आए तो हमें बात करने का महाराज के आदेशानुसार हुक्म नहीं है। यदि कोई लड़की डेरे की इस सच्चाई के बारे में बात करती है तो महाराज का हुक्म है कि उसका मुंह बंद कर दो। (13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname)

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  • पिछले दिनों बठिंडा की लड़की साधु ने जब महाराज की काली करतूतों का सभी लड़कियों के सामने पदार्फाश किया तो कई साधु लड़कियों ने मिलकर उसे पीटा। जो आज भी घर पर इस मार के कारण बिस्तर पर पड़ी है। जिसका पिता ने सेवादारों से नाम कटवाकर चुपचाप घर बैठा दिया है। जो चाहते हुए भी बदनामी और महाराज के डर से किसी को कुछ नहीं बता रही। (13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname)
  • कुरुक्षेत्र जिले की एक साधु लड़की जो घर आ गई है, उसने अपने घर वालों को सब कुछ सच बता दिया है। उसका भाई बड़ा सेवादार था, जो कि सेवा छोड़कर डेरे से नाता तोड़ चुका है। संगरूर जिले की एक लड़की जिसने घर आकर पड़ोसियों को डेरे की काली करतूतों के बारे में बताया तो डेरे के सेवादार/गुंडे बंदूकों से लैस लड़की के घर आ गए। घर के अंदर से कुंडी लगाकर जान से मारने की धमकी दी व भविष्य में किसी से कुछ भी नहीं बताने को कहा। (13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname)
  • इसी प्रकार कई लड़कियां, जैसे कि जिला मानसा (पंजाब), फिरोजपुर, पटियाला, लुधियाना की हैं, जो घर जाकर भी चुप हैं क्योंकि उन्हें जान का खतरा है। इसी प्रकार जिला सिरसा, हिसार, फतेहबाद, हनुमानगढ़, मेरठ की कई लड़कियां जो कि डेरे की गुंडागर्दी के आगे कुछ नहीं बोल रहीं। इन सब लड़कियों के साथ-साथ मुझे भी मेरे परिवार के साथ जान से मार दिया जाएगा अगर मैं इसमें अपना नाम-पता लिखूंगी, क्योंकि मैं चुप नहीं रह सकती और न ही मरना चाहती हूं। (13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname)
  • जनता के सामने सच्चाई लाना चाहती हूं। अगर आप प्रेस के माध्यम से किसी भी एजेंसी से जांच करवाएं तो डेरे में मौजूद 40-45 लड़कियां, जो कि भय और डर में हैं, पूरा विश्वास दिलाने के बाद सच्चाई बताने को तैयार हैं। हमारा डॉक्टरी मुआयना किया जाए ताकि हमारे अभिभावकों व आपको पता चल जाएगा कि हम कुमारी देवी साधु हैं या नहीं। हमारी मेडिकल रिपोर्ट ये साफ बता देगी कि हमारी जिंदगी डेरा सच्चा सौदा के महाराज गुरमीत राम रहीम सिंह जी संत के द्वारा तबाह की गई है। प्रार्थी एक निर्दोष जलालत का जीवन जीने को मजबूर। (डेरा सच्चा सौदा सिरसा)(13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname)

Read More: Ranjit Singh Murder Case : सीबीआई कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित ,18 को होगा सजा का ऐलान

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