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अमित शर्मा, चंडीगढ़:
13 May 2002 Gurmeet Singh Ke Kaale Karname: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख ने अपने मायाजाल को बुनने के लिए और अपने आप को सिक्योर करने के लिए सबसे पहले राजनैतिक संरक्षण लेना चाहा था, जिसमें वो अपने समर्थकों की हरियाणा, पंजाब सहित कई राज्यों में वोट बैंक दिखा कामयाब भी हो गया था। गुरमीत सिंह ने अपने आसपास अपने विश्वास के लोगों का भी जाल बुना हुआ था, जो उसके बारें में राजनीतिक पार्टियों को और पार्टियों के बारे में उसे जानकारी देते थे।
जिसमें ज्यादातर फायदा गुरमीत सिंह को ही होता था। जिस मामले में पंचकूला की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने गुरमीत सिंह को दोषी करार दिया है, और जिसे लेकर गुरमीत सिंह को सीबीआई कोर्ट के सामने रहम की गुहार लगानी पडी, वो मामला असल में ठीक 19 साल पहले शुरू हुआ था। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह के काले कारनामों से पर्दा उठता जा रहा है। कैसे वो अपने डेरे की मदद से उतर भारत के हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान में वोट बैंक तैयार कर रहा था।
सबसे पहले उसने अपने आप को बचाने के लिए राजनीतिक संरक्षण लेने की कोशिश की। वह राजनीतिक पार्टियों को अपना वोट बैंक दिखाने में भी सफल रहा। राजनीतिक पार्टियां इलेक्शन जीतने के लिए उसके डेरे में हाजिरी लगवाती थी। बड़े-बड़े राजनेताओं का उसके साथ उठना बैठना था। गुरमीत सिंह ने अपने आसपास अपने विश्वास के लोगों का भी जाल बुना हुआ था, जो उसके बारें में राजनीतिक पार्टियों को और पार्टियों के बारे में उसे जानकारी देते थे।
रिकॉर्ड के अनुसार 13 मई 2002 को भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर एक चिट्ठी लिखी गई थी। जिसमें मीडिया में भी भेजा गया, लेकिन ज्यादातर ने इसे छापा ही नहीं था। वहीं सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया था। इस चिट्ठी के बाहर आते ही हरियाणा, पंजाब में विवाद खडा हो गया।
सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या का मामला भी इसी चिट्ठी से जुड़ा था। रामचंद्र ने ही सबसे पहले अपने अखबार में यह चिट्ठी प्रकाशित की थी। उसके बाद छत्रपति ने लगातार मामले को अखबार में छापा था। ठीक उसी समय पर रणजीत सिंह डेरा सिरसा का प्रबंधक था। डेरा प्रमुख को लगा कि इस चिट्ठी को लिखवाने या प्रधानमंत्री तक पहुंचाने में रणजीत सिंह का अहम रोल है। इस चिट्ठी में डेरे के बारे में कई बातें लिखी थी। जानने के लिए खबर पढ़ते रहें…
10 जुलाई 2002 को डेरे की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे कुरुक्षेत्र के रणजीत सिंह की गोली मारकर हत्या की गई थी। क्योंकि डेरा प्रबंधन को शक था कि रणजीत सिंह ने साध्वी यौन शोषण की गुमनाम चिट्ठी अपनी बहन से ही लिखवाई थी। 10 जुलाई 2002 को अपने घर से कुछ ही दूरी पर जीटी रोड के साथ लगते अपने खेतों में नौकरों को चाय पिलाकर वापस घर जा रहा था। हत्यारों ने अपनी गाड़ी जीटी रोड पर खड़ी की हुई थी, जब रणजीत सिंह अपने खेत से वापिस बाहर आया, तो हत्यारों ने बहुत करीब से उस पर गोलियां चलाई थी। गोलियां चलाने वालों में पंजाब पुलिस का कमांडो सबदिल सिंह, अवतार सिंह, इंद्रसेन और कृष्णलाल शामिल थे।
रणजीत सिंह की हत्या करने के बाद हत्यारों ने इस्तेमाल किए गए हथियार डेरे में जाकर जमा करवा दिए थे। रणजीत सिंह डेरा की उच्च स्तरीय प्रबंधन समिति का सदस्य था। वह डेरामुखी के काफी करीब माना जाता था। इतना ही नहीं जब भी डेरा प्रमुख जीटी रोड से निकलता था, तो वह रणजीत सिंह के घर रुककर जाता था।
पहले रणजीत सिंह का घर गांव के बीच में था, लेकिन बाद में उसने जीटी रोड के साथ ही कुछ गज की दूरी पर कोठी बनवाई ताकि डेरामुखी की गाड़ियां गांव की भीड़ में ना जाएं। सूत्रों के अनुसार इतना ही नहीं रणजीत सिंह ने डेरामुखी की सेवा में लाखों रुपये भी खर्च किए थे। डेरा प्रमुख और उसके खासमखास मानते थे, कि डेरे से चिट्ठी बाहर जाने के मामलें में रणजीत सिं की भूमिका है, जिसके चलते उसकी हत्या कर दी गई थी।
रणजीत सिंह हत्याकांड में तीन गवाह महत्वपूर्ण थे। इनमें दो चश्मदीद गवाह सुखदेव सिंह और जोगिंद्र सिंह हैं। उनका कहना था कि उन्होंने आरोपितों को रंजीत सिंह पर गोली चलाते हुए देखा था। तीसरा गवाह गुरमीत का ड्राइवर खट्टा सिंह था, जिसके सामने रंजीत को मारने की साजिश रची गई थी। खट्टा सिंह ने अपने बयान में कहा था कि गुरमीत राम रहीम ने उसके सामने ही रंजीत को मारने के लिए बोला था। हालांकि बाद में खट्टा सिंह अदालत के सामने बयान से मुकर गया था। कई साल बाद खट्टा सिंह फिर से कोर्ट में पेश हो गया और गवाही दी। उसकी गवाही के बाद ही कोर्ट ने मामले में सजा सुनाई ।
रणजीत सिंह हत्याकांड का मामला 14 साल तक तारीख दर तारीख चलता रहा है और 21 अगस्त 2021 को बचाव पक्ष की अंतिम बहस पूरी हुई थी। 26 अगस्त 2021 को कोर्ट ने मामले की फाइनल सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। 8 अक्टूबर 2021 को रणजीत सिंह हत्या मामले में सीबीआई कोर्ट ने सुनारिया जेल में बंद राम रहीम के साथ कृष्ण लाल, सबदिल, अवतार और जसबीर को दोषी करार दिया गया है. वहीं, इस केस के एक आरोपी इंदरसैन की मौत हो चुकी है।
साध्वी यौन शोषण मामले में गुरमीत राम रहीम को 25 अगस्त 2017 को पंचकूला स्पेशल सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया था। जब उसे यहां दोषी करार दिया गया था, तो उसके बाद पंचकूला में गुरमीत सिंह के समर्थकों ने आगजनी, पत्थरबाजी, तोडफोड की घटनाओं को अंजाम दिया था।
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जिसके चलते पंचकूला में पत्रकारों की गाडियों सहित एक बैंक में आग लगा दी गई थी। पुलिस पर पत्थराव किया गया थातो वहीं गुरमीत सिंह को कोर्ट से भगाने की साजिश को अंजाम देने की कोशिश की गई थी। जिसके चलते एक आईपीएस अधिकारी को गुरमीत सिंह के समर्थक ने थप्पड भी मारा था। इस मामले में अभी तक उन लोगों को मुआवजा नहीं मिला है, जिनकी गाडियों को जलाया गया था, तो वहीं बाकी प्रॉपर्टी का नुकसान हुआ था।
गुरमीत राम रहीम को वर्ष 2019 में पत्रकार छत्रपति रामचंद्र के मर्डर मामले में भी सजा सुनाई गई थी। जब कि उसे पहले ही साध्वी यौन शोषण में सजा हो चुकी थी। ऐसे में उसे जेल से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही पेश किया गया था। ऐसे में इस बार भी उसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया जा सकता है। क्यों कि उसे सुनारिया जेल से पंचकूला तक लेकर आने में कानून व्यवस्था बिगड सकती है।
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