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India News(इंडिया न्यूज), Lok Sabha Election: भारत में चुनाव का एक अलग महत्व है जहां उम्मीदवार अपने रिश्तें से ऊपर अपनी जीत को अहमियत देते है। चुनाव आते ही ऐसी खबर सुनने में आम हो जाती है कि, चाचा के सामने भतीजा, पिता के सामने बेटे ने चुनावी ताल ठोकी है लेकिन इस लोकसभा चुनाव में तो पत्नी ने ही अपने पति के खिलाफ चुनावी मैदान में ताल ठोक दिया। जी हां हम सही कह रहे है ये खबर इटावा की है जहां भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी प्रो. रामशंकर कठेरिया इटावा लोकसभा सीट से अपनी दावेदारी कर रहे हैं जो कि, कठेरिया नामांकन दाखिल कर चुके हैं, लेकिन इसी बीच उनकी पत्नी मृदुला कठेरिया ने निर्दलीय नामांकन करके राजनीतिक माहौल गर्म कर दिया है। इस सीट से जहां एक ओर समाजवादी पार्टी के कैंडिडेट जितेंद्र दोहरे मैदान में हैं तो वहीं बहुजन समाज पार्टी की प्रत्याशी सारिका सिंह बघेल भी नामांकन कर चुकी हैं। ऐसे में अब देखने वाली बात ये होगी कि जनता पत्नि और पति में किसे मौका देती है।
जानकारी के लिए बता दें कि, इससे पहले वाले 2019 के लोकसभा चुनाव में भी मृदुला कठेरिया ने निर्दलीय नामांकन किया था, लेकिन उस समय उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया था, लेकिन इस बार मृदुला ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को आजादी है और महिलाओं को भी अधिकार मिलने चाहिए, इसलिए हमने भी निर्दलीय नामांकन किया है। इस बार हम पर्चा वापस नहीं लेंगे, चुनाव में जोर-जोर से प्रचार कर रहे हैं, तो निश्चित ही बड़ी जीत होगी।
चलिए अब आपको बतातें है कि, बीजीपी उम्मीदवार रामशंकर कठेरिया कौन है। तो आपको बता दें कि, आगरा में डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर भी हैं। इसके साथ ही राष्ट्रीय अनुसूचित जाति- जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं। इसके अलावा वह रक्षा पर संसद की स्थायी समिति और गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य हैं। कठेरिया कम उम्र में ही आरएसएस से जुड़ गए थे। साथ ही आगरा लोकसभा सीट से 2 बार सांसद चुने गए थे।
वहीं 2019 के चुनाव में बीजेपी ने उन्हें इटावा से चुनावी मैदान में उतारा और वहां से रामशंकर तीसरी बार सांसद बने थे। यहां उन्होंने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को करीब 65 हजार मतों से शिकस्त दी थी। जानकारी के लिए बता दें कि, रामशंकर दलित उपजाति धानुक समुदाय से आते है जिन्हें 2014 में भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया था। उन्होंने नवंबर 2014 से जुलाई 2016 तक मानव संसाधन विकास मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में काम किया है।
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