संबंधित खबरें
मुस्लिम बहुल इलाकों में मिली हार के बाद तिलमिला उठे सपाई, कह दी ऐसी बात सुनकर सकते में आ जाएंगे आप
महाराष्ट्र्र चुनाव में मौलानाओं के फतवे का बीजेपी पर नहीं पड़ा कुछ असर, अब PM Modi देंगे ऐसी सजा 7 पुश्तें भी रखेंगी याद
‘एक हैं तो नेक हैं…’, PM Modi की ये बात सुनकर खुशी से झूम उठे सीएम योगी, जानिए क्या है इसके मायने?
‘कांग्रेस ने दिल्ली के आसपास की जमीन छीनकर वक्फ बोर्ड…’, ये क्या बोल गए PM Modi? सुनकर तिलमिला उठे राहुल-प्रियंका
‘हमने लोकतंत्र की परीक्षा…’, झारखंड चुनाव में मिली प्रचंड जीत के बाद ये क्या बोल गए हेमंत सोरेन? PM Modi को नहीं आएगा रास
हेमंत सोरेन से अलग क्या है कल्पना की पहचान? राजनीति में आने से पहले चलाती थीं प्ले स्कूल, JMM की जीत में रही बड़ी भूमिका
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Agricultural Laws Withdrawal केंद्र का कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला चुनावी राज्यों में मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है। यूपी व पंजाब सहित पांच राज्यों में चार जगह भाजपा की सरकार है। ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे काफी महत्त्वपूर्ण हैं।
केंद्र के फैसले के बाद कृषि कानूनों और किसान आंदोलन की वजह से बैकफुट पर नजर आ रही भाजपा और मोदी सरकार अब मजबूत नजर आएगी। अब न तो किसान नेता सरकार का विरोध कर पाएंगे और न ही अब विपक्षी दल चुनाव में हथियार के रूप में किसानों की नाराजगी का फायदा उठा पाएंगे। इस तरह से देखा जाए तो केंद्र सरकार ने भले ही मजबूरी में ही यह फैसला लिया, मगर यह उसका चुनावी राज्यों में मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है।
भाजपा के खिलाफ किसानों के विरोध को देखते हुए अखिलेश यादव ने अपना बड़ा दांव चला था और जयंत चौधरी की पार्टी संग चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। उम्मीद थी कि भाजपा की नाराजगी का असर सपा गठबंधन को होगा और जाट से लेकर कई जातियों का वोट सपा में ट्रांसफर होगा, मगर ऐन वक्त पर पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेकर पासा पलट दिया है। ऐसे में सपा प्रमुख अखिलेश यादव को फिर से अपनी रणनीति बदलने पर पीएम मोदी ने मजबूर कर दिया है। इस तरह से देखा जाए तो पीएम मोदी ने मजबूरी को मास्टरस्ट्रोक में बदल दिया।
उत्तराखंड और यूपी के तराई क्षेत्रों में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष और लखीमपुर में कृषि आंदोलन में शामिल रहे अमनदीप सिंह ने कहा, जब प्रधानमंत्री ने यह मान लिया कि किसानों को समझाने में वह नाकाम रहे। दरअसल वह नाकाम नहीं रहे क्योंकि यह बिल पूरी तरीके से गलत है और किसान विरोध में लगातार आंदोलन कर रहे थे। इसी बिल का विरोध कर रहे आंदोलन में लखीमपुर में हमारे किसानों की हत्या कर दी गई।
अब जब यह बिल वापस हो रहा है तो लखीमपुर में किसानों की हत्या करने वालों को फांसी होनी चाहिए और अजय मिश्र का इस्तीफा हर हाल में होना चाहिए। जब तक उनका इस्तीफा नहीं होता तब तक लखीमपुर में आंदोलन की चिंगारी धधकती रहेगी। लखीमपुर के किसान आंदोलन में शामिल अवतार सिंह और निर्मल सिंह ने भी कहा, अब खीरी में आंदोलन और तेज होगा, क्योंकि सरकार की लापरवाही के चलते हमारे किसानों की हत्या हुई। अगले दो से तीन दिन के भीतर जल्द ही किसान संगठनों की एक बड़ी बैठक निघासन इलाके में की जाएगी। इस दौरान आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।
Read More : Peasant Movement Who gave Edge to the Struggle किसान आंदोलन के महारथी जिन्होंने दी संघर्ष को धार
Read More : Sukhbir Singh Badal : कृषि कानूनों को रद करे केंद्र
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.