संबंधित खबरें
राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के चलते दिल्ली सरकार ने लिया बड़ा फैसला, 50% कर्मचारियों को करना होगा ये काम
महाराष्ट्र में 288 सीटों पर मतदान आज, थोड़ी देर में शुरू होगी वोटिंग, PM मोदी ने की ये खास अपील
प्रधानमंत्री बनने से पहले ही इंदिरा ने ले लिया था ऐसा फैसला, पंडित नेहरू की लोकतांत्रिक छवि हुई थी धूमिल, पति फिरोज ने बता दिया फासीवादी
सपा विधायक जाहिद जमाल को लगा नौकरानियों का श्राप? आलीशान घर पर गिरी गाज, जानें कुर्की में कैसे लुट गए नेता?
इस राज्य में प्राइवेट कर्मियों को मिलेगा वर्क फ्रॉम होम, कैसे दिल्ली का प्रदूषण बना वरदान?
APP नेता ने कसा CM योगी पर तंज, बोले- बंटोगे तो कटोगे करने वाले… नहीं दे पर रहे किसानों …
India News(इंडिया न्यूज),Assam: असम में बांग्लादेश मूल के मु्सलमानों के लिए असम सरकार ने कुछ नए नियम बनाए है। जिसके बारे में जानकारी देते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को प्रवासी बांग्लादेश मूल के बंगाली भाषी मुसलमानों, जिन्हें “मिया” कहा जाता है उनके के लिए कुछ शर्तें रखीं। जिसमें यदि वे राज्य के स्वदेशी लोगों के रूप में पहचाने जाना चाहते हैं। “उन्हें दो से अधिक बच्चे पैदा करना बंद कर देना चाहिए और बहुविवाह का अभ्यास करना क्योंकि यह असमिया लोगों की संस्कृति नहीं है। यदि वे स्वदेशी बनना चाहते हैं, तो वे अपनी नाबालिग बेटियों की शादी नहीं कर सकते। इसके साथ ही उन्होंने आश्चर्य जताया कि अगर बंगाली भाषी मुसलमान ‘सत्र’ (वैष्णव मठ) की भूमि पर अतिक्रमण करते हैं तो वे स्वदेशी होने का दावा कैसे कर सकते हैं।
इसके साथ ही सरमा ने कहा, ”यदि आप स्वदेशी कहलाना चाहते हैं तो अपने बच्चों को मदरसों में भेजने के बजाय उन्हें डॉक्टर और इंजीनियर बनने के लिए शिक्षित करें।” उन्होंने कहा, उन्हें अपनी बेटियों को भी स्कूल भेजना शुरू करना चाहिए और उन्हें अपने पिता की संपत्तियों पर अधिकार देना चाहिए। सरमा ने कहा, “यह उनके और राज्य के मूल लोगों के बीच अंतर हैं। अगर वे इन प्रथाओं को छोड़ सकते हैं और असमिया लोगों की संस्कृति को अपना सकते हैं, तो किसी समय वे भी स्वदेशी बन सकते हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि, जम्मू-कश्मीर के बाद असम में मुसलमानों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। 2011 की जनगणना बताती है कि असम की कुल आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी 34% से अधिक है। लेकिन राज्य में यह मुस्लिम आबादी दो अलग-अलग जातियों की है – बंगाली भाषी और बांग्लादेश मूल के प्रवासी मुस्लिम और असमिया भाषी स्वदेशी मुस्लिम।
इसके साथ ही सीएम सरमा ने बालविवाह को लेकर संकल्प लेते हुए कहा कि, “जब तक मैं जिंदा हूं, बालविवाह को खत्म कर दूंगा। 2022 में, असम कैबिनेट ने राज्य के लगभग 40 लाख असमिया-भाषी मुसलमानों को, जिनके पास बांग्लादेश से प्रवास का कोई इतिहास नहीं है, “स्वदेशी असमिया मुसलमानों” और बड़े मूल असमिया समुदाय के एक उप-समूह के रूप में मान्यता दी।
हालाँकि, राज्य में मुस्लिम आबादी का एक बड़ा हिस्सा बांग्लादेश मूल के प्रवासियों का है। असमिया भाषी स्वदेशी मुस्लिम कुल मुस्लिम आबादी का लगभग 37% हैं, जबकि प्रवासी बंगाली भाषी मुस्लिम शेष 63% हैं। कैबिनेट द्वारा अनुमोदित ‘स्वदेशी’ असमिया मुसलमानों में पांच समूह शामिल हैं – गोरिया, मोरिया, जोला (केवल चाय बागानों में रहने वाले), देसी और सैयद (केवल असमिया भाषी)।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.