IMA On Antibiotics: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी कि IMA ने बीते दिन शुक्रवार, 3 मार्च को एक एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी में उन्होंने लोगों से एमोक्सिक्लेव और एजिथ्रोमाइसिन जैसी एंटीबायोटिक्स लेने से बचने की अपील की है। IMA के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ शरद कुमार अग्रवाल सहित अन्य सदस्यों ने इस एडवाइजरी में कहा कि जब एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता नहीं होती है तो इन्हें लेने से एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस होता है।
डॉक्टरों ने इसे लेकर कहा है कि एंटीबायोटिक दवाओं की जब भी जरूरत होगी तो प्रतिरोध की वजह से वह काम नहीं करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि आज कल बुखार, खांसी, उल्टी, दस्त, शरीर में दर्द और गले में खराश के लक्षण वाले रोगियों की संख्या में अचानक से वृद्धि देखने को मिली है। आमतौर पर ये संक्रमण लगभग 5 से 7 दिनों तक रहता है। बुखार तीन-चार दिनों के अंदर चला जाता है। वहीं खांसी तीन सप्ताह तक भी बनी रह सकती है। NCDC से मिली जानकारी के मुताबिक, अधिकतर ये मामले एच3एन2 वायरस के हैं।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के विशेषज्ञों ने इसे लेकर शनिवार को कहा कि पिछले दो-तीन महीनों से भारत में लगातार खांसी और कई मामलों में बुखार के साथ खांसी होने की वजह ‘इन्फ्लुएंजा ए’ का उपस्वरूप H3N2 ही है। आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने बताया कि पिछले दो-तीन महीनों से व्यापक तौर पर व्याप्त एच3एन2 अन्य उपस्वरूपों की तुलना में रोगी के हॉस्पिटल में भर्ती होने की सबसे बड़ी वजह है। ICMR ‘वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेटरीज नेटवर्क’ के जरिए श्वसन वायरस की वजह से होने वाली बीमारियों पर कड़ी नजर बनाए हुए है।
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