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India News(इंडिया न्यूज), Waqf Amendment Bill: गुरुवार, 8 अगस्त 2024 को, कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने लोकसभा में नरेंद्र मोदी सरकार पर कड़ी टिका की। वेणुगोपाल ने वक्फ बोर्ड में संशोधन से संबंधित विधेयक का उल्लेख करते हुए इसे संविधान के खिलाफ बताया। उनका कहना था कि इस बिल के माध्यम से वक्फ बोर्ड की गवर्निंग काउंसिल में गैर-मुस्लिमों को सदस्य बनाने का प्रावधान किया गया है, जो कि वक्फ बोर्ड की मौजूदा संरचना के खिलाफ है।
वेणुगोपाल ने इस मुद्दे को उठाते हुए सवाल किया, “क्या अयोध्या मंदिर बोर्ड का हिस्सा कोई गैर-हिंदू बन सकता है?” उन्होंने आरोप लगाया कि इस विधेयक के जरिए धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार पर हमला किया जा रहा है।
वेणुगोपाल ने बीजेपी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह विधेयक नागरिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और हरियाणा, महाराष्ट्र चुनाव को ध्यान में रखते हुए प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक देश के लोगों को विभाजित करने की कोशिश है और मोदी सरकार की नीयत पर भी सवाल उठाए।
वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक के खिलाफ समाजवादी पार्टी (सपा) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसदों ने भी अपनी आवाज उठाई। रामपुर से सपा सांसद मोहिबुल्लाह ने विधेयक को भेदभावपूर्ण बताया और कहा कि कलेक्टर को अतिरिक्त अधिकार देने का प्रावधान उनके धर्म से संबंधित मामलों में दखलंदाजी है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ऐसा हुआ तो संविधान की रक्षा के लिए जनता सड़क पर उतर सकती है।
वहीं, टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने विधेयक की आलोचना करते हुए कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है, जो समानता का अधिकार प्रदान करता है।
वक्फ बोर्ड पर क्यों छिड़ा है घमासान ? संशोधन के लिए आज पेश होगा विधेयक
डीएमके सांसद कनिमोझी ने भी विधेयक की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि संविधान सर्वोच्च है और इसका संरक्षण होना चाहिए, लेकिन यह विधेयक संविधान और मानवता दोनों के खिलाफ है। कनिमोझी ने विधेयक को संघीय ढांचे और संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के खिलाफ बताया, जो धार्मिक स्वतंत्रता और विश्वास की स्वतंत्रता की गारंटी देते हैं।
इस तरह, लोकसभा में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को लेकर एक गरमागरम बहस चल रही है, जिसमें विभिन्न सांसदों ने अपने-अपने दृष्टिकोण और आपत्तियाँ व्यक्त की हैं। यह विधेयक अभी भी विवाद और विरोध का केंद्र बना हुआ है।
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