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यंग ब्रिगेड के पास बीजेपी प्रभारियों की कमान, यहां जानें औसत उम्र घटने के मायने

BY: Rajesh kumar • LAST UPDATED : July 6, 2024, 4:09 pm IST
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यंग ब्रिगेड के पास बीजेपी प्रभारियों की कमान, यहां जानें औसत उम्र घटने के मायने

India News (इंडिया न्यूज),BJP Organization: लोकसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी ने 23 राज्यों के प्रभारियों की नियुक्ति की है। संगठन में हुई इस नियुक्ति में कई नाम चौंकाने वाले हैं, वहीं लिस्ट में कुछ नाम ऐसे भी हैं, जो पहले से ही इस पद पर थे। हालांकि, बीजेपी की इस लिस्ट में सबसे खास बात नेताओं की कम उम्र है। मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक, हाल ही में नियुक्त किए गए 23 बीजेपी प्रभारियों में से 12 की उम्र 60 साल से कम है।

बता दें कि 2 प्रभारियों की उम्र 45 साल से भी कम है। 38 वर्षीय अनिल एंटनी को नागालैंड और मेघालय का प्रभार दिया गया है। इन नियुक्तियों के बाद बीजेपी संगठन में शामिल नेताओं की औसत उम्र करीब 58 साल हो गई है। अगर 2019 के आंकड़ों से देखा जाए तो यह 2 साल कम है। 2019 में जिस संगठन का पुनर्गठन किया गया था, उसमें नेताओं की औसत उम्र 60 साल थी।

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राजनीतिक दलों में प्रभारियों का क्या काम होता है?

संघीय व्यवस्था के कारण भारत में हर पार्टी राष्ट्रीय इकाई के साथ-साथ राज्य इकाई भी बनाती है। राष्ट्रीय और राज्य इकाइयों के बीच समन्वय बनाने की जिम्मेदारी प्रभारी की होती है। भाजपा में महासचिव या उपाध्यक्ष पद के नेता को राज्य का प्रभार दिया जाता है। यह प्रभारी चुनावी रणनीति तैयार करने के साथ-साथ जमीनी स्तर से फीडबैक भी राष्ट्रीय नेतृत्व को भेजता है। इसके अलावा बूथ प्रबंधन और प्रत्याशी चयन की जिम्मेदारी भी प्रभारियों की होती है। कुल मिलाकर पार्टी के प्रभारी को संगठन का चेहरा कहा जाता है।

भाजपा संगठन की कमान युवा ब्रिगेड के हाथ में होने का प्वाइंट्स…

  1. भारतीय जनता पार्टी ने शुक्रवार को 23 राज्यों के प्रभारियों की नियुक्ति की। इनमें बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, कर्नाटक और ओडिशा जैसे बड़े राज्य शामिल हैं। इन राज्यों के प्रभारियों की औसत आयु 58.65 वर्ष है। 38 वर्षीय अनिल एंटनी को सबसे युवा प्रभारी बनाया गया है। अनिल को नागालैंड का प्रभार दिया गया है। 73 वर्षीय जावड़ेकर सबसे उम्रदराज महासचिव हैं। जावड़ेकर को केरल का प्रभार दिया गया है। 43 वर्षीय नितिन नवीन को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया गया है। पार्टी के 4 प्रभारियों (सतीश पूनिया, देवेश कुमार, दुष्यंत पटेल और अशोक सिंघल) की उम्र 59 वर्ष है। प्रभारी श्रीकांत शर्मा और सुनील बंसल 54 वर्ष के हैं। इसी तरह तरुण चुघ (52 वर्ष), अजीत गोपछारे (53 वर्ष) और आशीष सूद (58 वर्ष) हैं। प्रभारी विनोद तावड़े और निर्मल सुराना 60 वर्ष के हैं। इन नेताओं की औसत आयु 58.65 वर्ष है।
  2. छत्तीसगढ़ की कमान पहले 72 वर्षीय ओम माथुर के पास थी, लेकिन पार्टी ने अब राज्य का प्रभार 43 वर्षीय नितिन नवीन को सौंप दिया है। नितिन पहले यहां ओम माथुर के साथ सह प्रभारी की भूमिका में थे। इसी तरह हिमाचल में पार्टी ने 63 वर्षीय अविनाश राय खन्ना की जगह 54 वर्षीय श्रीकांत शर्मा को प्रभारी नियुक्त किया है। वहीं, 53 वर्षीय नलिन कोहली की जगह भाजपा ने 38 वर्षीय अनिल एंटनी को नागालैंड का प्रभार सौंपा है।
  3. भाजपा की विपक्षी पार्टी कांग्रेस के राज्य प्रभारियों की औसत आयु 64.5 वर्ष है, जो भाजपा से करीब 6 वर्ष अधिक है। सचिन पायलट 44 वर्ष की उम्र में कांग्रेस के सबसे युवा महासचिव हैं। बिहार प्रभारी मोहन प्रकाश 73 वर्ष की उम्र में सबसे बुजुर्ग हैं।

कांग्रेस के ज्यादातर प्रभारी 60-70 वर्ष की उम्र के बीच हैं। 60 साल से कम उम्र के सिर्फ 5 प्रभारी हैं, जिनमें 49 वर्षीय मणिकम टैगोर, 51 वर्षीय भंवर जितेंद्र सिंह, 52 वर्षीय प्रियंका गांधी, 55 वर्षीय दीपक बाबरिया और 57 वर्षीय रणदीप सुरजेवाला शामिल हैं।

सौंपने की वजह

भाजपा इस समय केंद्र और कई राज्यों में सत्ता में है, जिसके चलते पार्टी के पहली पंक्ति के नेता सरकार में शामिल हो गए हैं। इनमें मुख्य रूप से अमित शाह, राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा, नितिन गडकरी, शिवराज सिंह, मनोहर लाल खट्टर, भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान, पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमण के नाम शामिल हैं। ऐसे में संगठन में नए नेताओं को दी गई कमान को दूसरी पंक्ति के नेताओं (सेकंड लाइन लीडरशिप) को स्थापित करने के तौर पर देखा जा रहा है।

इसीलिए पार्टी ने ज्यादातर नए नेताओं को छोटे राज्यों की जिम्मेदारी भी सौंपी है। संगठन में नए चेहरों को जगह देने के पीछे युवा वोटरों को लुभाना भी एक वजह है। सीएसडीएस के अनुसार, 2019 के मुकाबले 2024 में 18 से 45 साल के युवाओं से भाजपा को कम वोट मिलेंगे। 2019 में 18 से 25 साल के 40 प्रतिशत मतदाताओं ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया था, जो इस बार घटकर 39 प्रतिशत रह गया। 2019 में 26 से 35 साल के 39 प्रतिशत युवाओं ने भाजपा को वोट दिया था, जो इस बार घटकर 37 प्रतिशत रह गया।

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