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India News (इंडिया न्यूज़), Mayawati, लखनऊ: मुंबई में इंडिया गठबंधन की बैठक 31 अगस्त और एक सितंबर को होने वाली है। इंडिया गठबंधन के दलों की तरफ से लगातार इसका दावा किया जा रहा था की इस बैठक में दलों की संख्या बढ़ने वाली है। पटना की पहली बैठक में 16 दल शामिल हुए थे जबकि बेंगलुरु की बैठक में कुल 26 दलों ने शिरकत की थी। जिन दलों के मुंबई बैठक में शामिल होने की खबरें जा रही थी उनमें मायावती की पार्टी बीएसपी का नाम प्रमुख था।
लेकिन मायावती ने ना सिर्फ इंडिया की बैठक में शामिल होने से मना कर दिया बल्कि इंडिया गठबंधन और एनडीए दोनों पर निशाना साधा। मायावती की तरफ से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक लंबा पोस्ट लिखा गया जिसमें कई बातें लिखी गई।
मायावती ने कहा कि एनडीए व इण्डिया गठबंधन अधिकतर गरीब-विरोधी जातिवादी, साम्प्रदायिक, धन्नासेठ-समर्थक व पूंजीवादी नीतियों वाली पार्टियाँ हैं जिनकी नीतियों के विरुद्ध बीएसपी अनवरत संघर्षरत है और इसीलिए इनसे गठबंधन करके चुनाव लड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता। अतः मीडिया से अपील-नो फेक न्यूज प्लीज़।
बसपा सुप्रीमो की तरह से कहा गया की बीएसपी, विरोधियों के जुगाड/जोड़तोड़ से ज्यादा समाज के टूटे/बिखरे हुए करोड़ों उपेक्षितों को आपसी भाईचारा के आधार पर जोड़कर उनके गठबंधन से सन 2007 की तरह अकेले आगामी लोकसभा तथा चार राज्यों में विधानसभा का आमचुनाव लडे़गी। मीडिया बार-बार भ्रान्तियाँ न फैलाए।
1. एनडीए व इण्डिया गठबंधन अधिकतर गरीब-विरोधी जातिवादी, साम्प्रदायिक, धन्नासेठ-समर्थक व पूंजीवादी नीतियों वाली पार्टियाँ हैं जिनकी नीतियों के विरुद्ध बीएसपी अनवरत संघर्षरत है और इसीलिए इनसे गठबंधन करके चुनाव लड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता। अतः मीडिया से अपील-नो फेक न्यूज प्लीज़।
— Mayawati (@Mayawati) August 30, 2023
बीएसपी अध्यक्ष ने कहा, “वैसे तो बीएसपी से गठबंधन के लिए यहाँ सभी आतुर, किन्तु ऐसा न करने पर विपक्षी द्वारा खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे की तरह भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाते हैं। इनसे मिल जाएं तो सेक्युलर न मिलें तो भाजपाई। यह घोर अनुचित तथा अंगूर मिल जाए तो ठीक वरना अंगूर खट्टे हैं, की कहावत जैसी।”
मायावती से तरफ ने हाल में बसपा से निकाले गए नेता इमरान मसूद पर भी निशाना साधा गया। उन्होंने कहा कि बीएसपी से निकाले जाने पर सहारनपुर के पूर्व विधायक कांग्रेस व उस पार्टी के शीर्ष नेताओं की प्रशंसा में व्यस्त हैं, जिससे लोगों में यह सवाल स्वाभाविक है कि उन्होंने पहले यह पार्टी छोड़ी क्यों और फिर दूसरी पार्टी में गए ही क्यों? ऐसे लोगों पर जनता कैसे भरोसा करे?
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